जम्मू-कश्मीर में लगी पाबंदियों से परेशान IAS अधिकारी ने दिया इस्तीफा

एक 33 वर्षीय भारतीय प्रशासनिक सेवा(IAS) अधिकारी ने कहा कि उन्होंने प्रतिष्ठित सरकारी नौकरी से इस्तीफा दे दिया. इस्तीफा देने का कारण बताते हुए आईएएस अधिकारी कन्नन गोपीनाथन (Kannan Gopinathan)ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लाखों लोगों को “मौलिक अधिकारों” से वंचित कर दिया गया था.
एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के अनुसार कन्नन ने कहा कि ‘ऐसा नहीं है कि मेरे इस्तीफे से कुछ होगा.’
दादरा और नगर हवेली के प्रमुख विभागों के सचिव गोपीनाथन ने घाटे में चल रही सरकारी बिजली वितरण कंपनी को लाभ कमाने वाली कंपनी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
रिपोर्ट के अनुसार कन्नन ने कहा कि ‘जम्मू और कश्मीर में, लाखों लोगों के मौलिक अधिकारों को 20 दिनों से रद्द कर दिया गया है और भारत में कई लोग इससे सहमत दिख रहे हैं. यह 2019 में भारत में हो रहा है. अनुच्छेद 370 या इसका निरस्तीकरण मुद्दा नहीं है, लेकिन नागरिकों को इस पर प्रतिक्रिया देने के उनके अधिकार छीनना मुख्य मुद्दा है. वे इस कदम का स्वागत कर सकते हैं या इसका विरोध कर सकते हैं, यह उनका अधिकार है. उन्होंने कहा कि यह मुद्दा उनके इस्तीफा देने के लिए काफी है.
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पूर्व आईएएस अधिकारी और अब जम्मू और कश्मीर की राजनीति में कदम रख चुके शाह फैसल की ओर इशारा करते हुए गोपीनाथन ने कहा कि ‘यहां तक कि जब एक पूर्व IAS अधिकारी को हवाई अड्डे से हिरासत में लिया गया तब भी सिविल सोसाइटी से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई. ऐसा लगता है कि इस देश में सब ठीक हैं,’
रिपोर्ट के अनुसार गोपीनाथन ने कहा कि उन्हें प्रधानमंत्री के उत्कृष्टता पुरस्कारों के लिए आवेदन नहीं करने जैसे कारणों पर मेमो मिला है. एक अन्य मेमो उन्हें साल 2018 में केरल में बाढ़ राहत कार्य के लिए स्वेच्छा से काम करने के लिए मिला था. मेमो में उनसे पूछा गया था कि इस दौरान उन्होंने क्या किया. राहतकर्मियों को यह जानकर आश्चर्य हुआ था कि आईएएस अधिकारी अपनी आधिकारिक पहचान को बताए बिना शिविर में सेवा कर रहे थे।
गोपीनाथन ने एनडीटीवी से कहा ‘ये मेमो बहुत तुच्छ और भड़कीले थे, उन्होंने मुझे परेशान कर दिया. लेकिन यह कुछ भी नहीं है. मैं कुछ महत्वपूर्ण भूमिकाओं में सेवारत रहा हूँ जब मैंने अपना इस्तीफा दिया था और मुझे लगा कि वहाँ बड़े मुद्दे हैं, जिन्हें उठाने की जरूरत है.’