जयन्ती पर याद किये गये फिराक गोरखपुरी

जयन्ती पर याद किये गये फिराक गोरखपुरी
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बस्ती (Basti News)। बुधवार को प्रेमचन्द साहित्य एवं जन कल्याण संस्थान द्वारा  अध्यक्ष सत्येन्द्रनाथ मतवाला के संयोजन में कलेक्ट्रेट परिसर में उर्दू साहित्य में पहली बार ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त करने वाले फिराक गोरखपुरी (firaq gorakhpuri) को  उनकी जयन्ती पर गोष्ठी का आयोजन कर याद किया गया।

प्रधानाचार्य डा. ओम प्रकाश पाण्डेय ‘प्रकाश’ ने फिराक गोरखपुरी के जीवन वृत्त और साहित्य पर प्रकाश डालते हुये कहा कि 28 अगस्त 1896 को गोरखपुर  में पैदा हुए फिराक गोरखपुरी का पूरा नाम रघुपति सहाय था, लेकिन आप फिराक गोरखपुरी के नाम से ही मशहूर हुए।  अपने परिश्रम और योग्यता के चलते फिराक गोरखपुरी का चुनाव पीसीएस. और आईसीएस इंडियन सिविल सर्विस के लिए हुआ था लेकिन इसी दौरान महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन के समर्थन में उन्होंने इस्तीफा दे दिया जिसके परिणाम स्वरूप उन्हें जेल भी जाना पड़ा। उनकी शायरी आज भी लोगों की जुबान पर है। ‘एक मुद्दत से तेरी याद भी आई न हमें, और हम भूल गए हों तुम्हें ऐसा भी नहीं’।

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गोष्ठी में मो. वसीम अंसारी, बटुकनाथ शुक्ल, ओम प्रकाश नाथ मिश्र, विनय कुमार श्रीवास्तव, पेशकार मिश्र, अजमत अली सिद्दीकी आदि ने फिराक गोरखपुरी ने ने ऑल इंडिया रेडियो में प्रोडयूसर के रूप में आपनी अमूल्य सेवाएं दीं,  अपनी एक पुस्तक‘ उर्दू गजल गोई’ की प्रस्तावना में वर्तमान समय की गजल की तस्वीर पेश की। उनकी शायरी में वर्तमान भारत के गुलामी की पीड़ा के बीच विद्रोह और आजाद स्वर स्पष्ट रूप से मुखरित हुआ। ‘बहुत पहले से आहट उनकी हम पहचान लेते हैं. तुझे ए जिंदगी हम दूर से पहचान लेते हैं’’ जैसी शायरी आज तक लोगों की जुबान पर है।

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कार्यक्रम के दूसरे चरण में श्याम प्रकाश शर्मा के संचालन में आयोजित काव्य गोष्ठी में डा. रामकृष्ण लाल ‘जगमग’ डा. पंकज कुमार सोनी, कमलापति पाण्डेय, लालमणि प्रसाद, दीपक सिंह प्रेमी, शाद अहमद ‘शाद’ रामचन्द्र राजा, फूलचन्द चौधरी, सागर गोरखपुरी, पं. चन्द्रबली मिश्र, डा. राम मूर्ति चौधरी, हरीश दरवेश, परमात्मा प्रसाद निर्दोष, जगदम्बा प्रसाद भावुक, शाहिद वस्तवी आदि की रचनायें सराही गई। भागवत प्रसाद श्रीवास्तव, सामईन फारूकी, जगदीश प्रसाद, दीनानाथ, डा. आनन्द स्वरूप श्रीवास्तव, सुनील रानी श्रीवास्तव आदि की रचनायें सराही गई।

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