हिन्दी दिवस 2019 : एक सुर में बोले साहित्यकार- सत्ता की भाषा आज भी अंग्रेजी
विषय प्रवर्तन करते हुये वरिष्ठ कवि सत्येन्द्रनाथ मतवाला ने कहा कि आजादी के 7 दशक बाद भी हिन्दी को सत्ता प्रतिष्ठानों का आदर नहींं मिल पाया.
उन्होंने कहा कि हिन्दी के विकास में कवियो, साहित्यकारों, सिनेमा, नाटक आदि का विशेष योगदान रहा है. आज इण्टरनेट के रथ पर सवार होकर हिन्दी विश्व व्यापी होने के साथ ही पेट की भाषा बन गई है. हिन्दी का भविष्य उज्जवल है.
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मुख्य अतिथि मो. वसीम अंसारी ने कहा कि हम सभी भाषाओं को आदर देकर ही हिन्दी को प्रतिष्ठित कर सकते हैं. हिन्दी को रोजगार की भाषा बनाने की जरूरत है.
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कार्यक्रम में पेशकार मिश्र, सामईन फारूकी, जगदीश, दीनानाथ के साथ ही अनेक साहित्यकार, वरिष्ठ नागरिक शामिल रहे.
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