हिन्दी दिवस 2019 : एक सुर में बोले साहित्यकार- सत्ता की भाषा आज भी अंग्रेजी

हिन्दी दिवस 2019 : एक सुर में बोले साहित्यकार- सत्ता की भाषा आज भी अंग्रेजी
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बस्ती Basti . हिन्दी दिवस (Hindi Diwas 14 september) की पूर्व संध्या पर प्रेमचन्द (Premchand) साहित्य एवं जन कल्याण संस्थान अध्यक्ष सत्येन्द्रनाथ मतवाला के संयोजन में शुक्रवार को कलेक्ट्रेट परिसर में ‘हिन्दी का भविष्य’ विषयक संगोष्ठी का आयोजन किया गया.

विषय प्रवर्तन करते हुये वरिष्ठ कवि सत्येन्द्रनाथ मतवाला ने कहा कि आजादी के 7 दशक बाद भी हिन्दी को सत्ता प्रतिष्ठानों का आदर नहींं मिल पाया.

उन्होंने कहा कि हिन्दी के विकास में कवियो, साहित्यकारों, सिनेमा, नाटक आदि का विशेष योगदान रहा है. आज इण्टरनेट के रथ पर सवार होकर हिन्दी विश्व व्यापी होने के साथ ही पेट की भाषा बन गई है. हिन्दी का भविष्य उज्जवल है.

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hindi diwas की पूर्व संध्या पर साहित्यकार बोले-

मुख्य अतिथि मो. वसीम अंसारी ने कहा कि हम सभी भाषाओं को आदर देकर ही हिन्दी को प्रतिष्ठित कर सकते हैं. हिन्दी को रोजगार की भाषा बनाने की जरूरत है.

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गोष्ठी को बटुकनाथ शुक्ल, डा. राम कृष्ण लाल ‘जगमग’ विनय कुमार श्रीवास्तव, डा. राम मूर्ति चौधरी, श्याम प्रकाश शर्मा, सन्तोष कुमार श्रीवास्तव, लालमणि प्रसाद, हरीश दरवेश, पंकज कुमार सोनी, जगदम्बा प्रसाद भावुक आदि ने संस्कृत, पालि, प्राकृत, अपभ्रंश से विकसित हिन्दी भाषा की यात्रा पर विस्तार से प्रकाश डाला. कहा कि हिन्दी अपने बूते विकसित हो रही है, यह शुभ लक्षण है. सत्ता की भाषा तो आज भी अंग्रेजी ही बनी हुई है.

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कार्यक्रम में पेशकार मिश्र, सामईन फारूकी, जगदीश, दीनानाथ के साथ ही अनेक साहित्यकार, वरिष्ठ नागरिक शामिल रहे.

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