स्मार्टवॉच के दौर में भी क्यों चमक रहा है Rolex का जलवा?

स्मार्टवॉच के दौर में भी क्यों चमक रहा है Rolex का जलवा?
Why is Rolex still shining in the era of smartwatches?

क्या आप घड़ी पहनने का शौक रखते हैं? अगर समय देखने के लिए बार-बार इस्तेमाल ना भी करें, तो भी यह एक स्टाइल स्टेटमेंट की तरह ही सही, लगभग हर हाथ में घड़ी नजर आ ही जाती है। अब जैसे-जैसे दौर बदल रहा है, वैसे-वैसे घड़ियां भी बदल रही हैं। आपकी वॉचेस अब धीरे-धीरे स्मार्ट वॉचेस में बदल चुकी हैं। किसी जमाने में सिर्फ समय बताने वाली घड़ियां अब आपकी सेहत का ध्यान रखने से लेकर आपके पूरे दिन के शेड्यूल तक का ख्याल रखने लगी हैं। स्मार्ट वॉच की इंडस्ट्री बूम पर है और एक से बढ़कर एक ब्रांड्स इस इंडस्ट्री में आगे बढ़ने के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। लेकिन आज भी दुनिया के टॉप लग्जरी ब्रांड्स में से एक ऐसा ब्रांड है, जो इस ए.आई. की दुनिया से दूर अपनी ट्रेडिशनल घड़ियों के दम पर पूरी दुनिया में छाया हुआ है। बस, आज हम जानेंगे इस ब्रांड की सक्सेस स्टोरी — रोलेक्स।

नमस्कार, आप देख रहे हैं बस्तक, मैं हूं आपके साथ अरिमा द्विवेदी। बात जब रोलेक्स वॉचेस की आती है तो यह किसी पहचान की मोहताज नहीं है। घड़ियों की दुनिया से निकलकर यह ब्रांड एक ऐसी पहचान बना चुका है, जो हर सीमा से परे है। अपने लंबे इतिहास में रोलेक्स ने अनगिनत घड़ियां बनाई हैं और इस इंडस्ट्री में नियम बनाने वाला एक बेमिसाल नाम बन चुका है। रोलेक्स घड़ियों का चर्चा अक्सर उनके स्टाइल, खूबियों और कीमत की वजह से होता है। रोलेक्स कंपनी की बनाई घड़ियां कई दशकों से रईसों की पहली पसंद बनी हुई हैं। बाजार में बिकने वाली घड़ियों में से रोलेक्स सबसे लग्जरियस और महंगी घड़ियों में से एक है।

1905 में शुरू हुआ रोलेक्स आज दुनिया का सबसे मशहूर और लग्जरी वॉच ब्रांड बन गया है। इसकी घड़ियां अपनी शानदार डिज़ाइन, एकदम सटीक मशीनरी और ट्रेडिशनल घड़ी बनाने की तकनीक के लिए जानी जाती हैं। लेकिन यहां तक पहुंचने के सफर में रोलेक्स ने क्या कुछ जी किया है, यह बेहद दिलचस्प है। हेंस विल्सफ और अल्फ्रेड डेविस ने जब सन 1905 में इसकी नींव रखी थी, तब शायद ही किसी को पता था कि यह दुनिया भर में सबका चहेता ब्रांड बन जाएगा।

घड़ियों की दुनिया को पूरी तरह बदलने का श्रेय भी हेंस को ही जाता है। उन्होंने ही दुनिया की पहली रेस्ट वॉच बनाई। इसलिए रोलेक्स की कहानी समझने के लिए पहले हेंस विल्सफ को जानना जरूरी है। 22 मार्च 1881 में जब हेंस का जर्मनी में जन्म हुआ तो उनके परिवार में खुशी का माहौल था। लेकिन खुशी ज्यादा सालों तक टिकी नहीं, क्योंकि हेंस के माता-पिता तब चले गए जब उनकी उम्र महज 12 साल की थी। हेंस के माता-पिता उनके लिए कोई भी जमा पूंजी नहीं छोड़कर गए थे, ऐसे में हेंस और उनके भाई-बहनों की जिम्मेदारी उनके अंकल पर आ गई। उनके अंकल ने उनका दाखिला एक अच्छे स्कूल में कराया और उनके पिता की प्रॉपर्टी बेचकर मन लगाकर पढ़ाई करने की सीख दी। हेंस गणित और अंग्रेजी में काफी अच्छे थे और पढ़ाई पूरी करने के बाद वह स्विट्जरलैंड चले गए, जहां एक मोती व्यापारी के यहां उन्होंने काम किया।

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19 साल की उम्र में हेंस ने घड़ियों की दुनिया में कदम रखा। वह एक घड़ी बनाने वाली कंपनी में काम करते थे, जहां उनका काम यह था कि घड़ियां सही समय बता रही हैं या नहीं, यह देखना। सन 1903 में हेंस लंदन पहुंचे और एक नया जीवन शुरू करने की कोशिश की। एक महंगी प्रॉपर्टी खरीदने के लिए लाखों रुपए इकट्ठा किए, लेकिन चोरों ने एक दिन उन्हें लूट लिया। हेंस निराश होकर खाली हाथ लौट आए और फिर से एक घड़ी कंपनी में नौकरी करने लगे।

लंदन में पत्नी के सहयोग से ब्रिटिश नागरिकता ली। 1905 में हेंस ने एक अलग तरीके की रिस्ट वॉच बनाने का सपना देखा। हालांकि हेंस के पास पूंजी ज्यादा नहीं थी, लेकिन लंदन में उनकी मुलाकात एक व्यापारी अल्फ्रेड डेविस से हुई। डेविस को उनकी सोच पसंद आ गई और उन्होंने हेंस की योजनाओं में पैसा लगाने का फैसला कर लिया। शुरुआत में हेंस विल्सफ और डेविस ने पॉकेट वॉच ही बनाई, लेकिन 3 सालों के अंदर ही यह ब्रांड पूरे ब्रिटेन में पॉपुलर हो गया।

कुछ समय बाद हेंस के ब्रांड का नाम बदलने का फैसला किया और उन्होंने नाम रखा "रोलेक्स"। उन्होंने महसूस किया कि यह नाम बोलने में आसान था और याद भी आसानी से हो जाता था। इस तरह जन्म हुआ रोलेक्स का। 1908 में उन्होंने इसे रजिस्टर्ड कराया और ब्रांड के नाम से घड़ियां बेचना शुरू किया। 1910 में रोलेक्स ने अपनी पहली रिस्ट वॉच बनाई और उसे वॉच ऑब्ज़र्वेशन ब्यूरो को टेस्टिंग के लिए भेजा। नतीजे चौंकाने वाले थे, कंपनी को स्विस क्रोमोनिटर सर्टिफिकेट हासिल हो गया। यह इतिहास की पहली ऐसी रिस्ट वॉच बनी, जिसे इतनी सटीकता का प्रमाण मिला था।

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