एक क्लिक में 35 लाख की ठगी: कैसे मासूम निवेशक बन रहे हैं साइबर फ्रॉड का शिकार?

सोचिए आप सोशल मीडिया पर स्क्रॉल कर रहे हैं, और एक ऐसा विज्ञापन दिखता है जो कहता है – "मार्केट में निवेश करें और कमाएं लाखों"। आप क्लिक करते हैं, जुड़ जाते हैं एक WhatsApp ग्रुप में, और फिर शुरू होती है एक ऐसी कहानी, जो सीधी जाकर खत्म होती है आपके बैंक अकाउंट से लाखों रुपए की विदाई पर।
यह कोई काल्पनिक कहानी नहीं, बल्कि मुंबई के एक बिजनेसमैन के साथ हकीकत में घटी घटना है। उन्होंने Facebook पर एक विज्ञापन देखा, क्लिक किया और एक WhatsApp ग्रुप में जुड़ गए। शुरुआत में सब कुछ बहुत असली जैसा लगा – 130 लोगों का ग्रुप, मार्केट एक्सपर्ट्स की बातचीत, स्टॉक्स और ट्रेडिंग की सलाहें, और फिर एक शानदार ऐप का लिंक – 'Bear Trading App'। नाम सुनने में प्रोफेशनल लगता है, लेकिन हकीकत इसके बिल्कुल उलट थी।
कैसे हुई ठगी की शुरुआत?
जैसे ही बिजनेसमैन इस ग्रुप में जुड़े, उन्हें लगातार निवेश के नए-नए मौके दिखाए जाने लगे। IPO में अलॉटमेंट, ओवर द काउंटर ऑप्शन ट्रेडिंग, सर्किट में चल रहे स्टॉक्स – हर चीज बहुत आकर्षक लग रही थी। उन्होंने पहले थोड़ी रकम लगाई, और जब कुछ लाभ दिखा, तो उन्होंने भरोसा करके और पैसे इनवेस्ट किए। धीरे-धीरे यह रकम बढ़ते-बढ़ते 35 लाख तक पहुंच गई।
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लालच ने किया आंखों को बंद
जब उन्होंने देखा कि उनके 35 लाख रुपए अब 65 लाख हो चुके हैं, तो वे बेहद खुश हुए। उन्हें कहा गया कि विड्रॉअल का समय आ गया है, लेकिन फिर नया जाल बुना गया। कहा गया कि पैसे निकालने के लिए पहले आपको 15% कमीशन और 12% टैक्स जमा करना होगा। यहीं से उन्हें शक हुआ और धीरे-धीरे यह साफ हुआ कि वे साइबर ठगी का शिकार हो चुके हैं।
कैसे फंस रहे हैं लोग?
1. फर्जी विज्ञापन – ये विज्ञापन AI और एल्गोरिदम की मदद से बनाए जाते हैं। Facebook, Instagram जैसे प्लेटफॉर्म्स पर टारगेटेड तरीके से दिखाए जाते हैं।
2. WhatsApp ग्रुप्स – यहां फर्जी एक्सपर्ट्स होते हैं, जो खुद को कोच और निवेश सलाहकार बताते हैं।
3. लालच का जाल – जल्दी पैसे कमाने के चक्कर में लोग सोच-समझ खो बैठते हैं।
4. फर्जी ऐप्स और वेबसाइट्स – ये असली ट्रेडिंग ऐप की तरह लगते हैं लेकिन इनके पीछे का सिस्टम पूरी तरह से ठगों का होता है।
5. नकली लाभ दिखाना – ऐप में अकाउंट बैलेंस बढ़ता हुआ दिखता है ताकि व्यक्ति ज्यादा पैसे इनवेस्ट करे।
क्या सबक मिलते हैं इस कहानी से?
सोशल मीडिया पर दिखने वाले विज्ञापनों पर आंख बंद कर भरोसा न करें।
कभी भी अपने आधार कार्ड, बैंक डिटेल्स, या अन्य निजी जानकारी किसी अनजान ऐप या वेबसाइट पर न दें।
निवेश के लिए सिर्फ सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल करें।
अगर कोई स्कीम बहुत ज्यादा अच्छा लग रहा है, तो शायद वह फर्जी है।
क्यों हो रहा है बार-बार ऐसा?
साइबर क्राइम का दायरा अब सिर्फ OTP चोरी या कार्ड क्लोनिंग तक सीमित नहीं रहा। अब ये ठग फाइनेंस और ट्रेडिंग के नाम पर भरोसे का जाल बुनते हैं। खासकर आम लोग, जो शेयर बाजार की जटिलताओं को नहीं समझते, वे सबसे आसान शिकार बनते हैं। और जब बात आती है “IPO में जल्दी पैसा लगाने” या “सीक्रेट टिप्स” की, तो लालच हावी हो जाता है।
सरकार और साइबर एजेंसियों की चेतावनियाँ
सरकार और साइबर सेल लगातार लोगों को आगाह करती रही हैं कि सोशल मीडिया के माध्यम से आए लिंक या ग्रुप्स में शामिल होने से पहले उसकी विश्वसनीयता जरूर जांचें। साथ ही, कोई भी ट्रेडिंग ऐप डाउनलोड करने से पहले उसकी Google Play Store या Apple App Store पर समीक्षा पढ़ें और रेटिंग चेक करें।
35 लाख की ठगी एक चेतावनी है – हमारे लिए, आपके लिए, हर उस व्यक्ति के लिए जो ऑनलाइन किसी स्कीम में निवेश करने का विचार कर रहा है। याद रखें, लालच का कोई अंत नहीं होता और ठगों के पास आपकी भावनाओं और जरूरतों से खेलने के तमाम तरीके हैं।
ऑनलाइन दुनिया में कदम फूंक-फूंक कर रखना अब एक जरूरत बन चुकी है। जितना आसान एक क्लिक में पैसा कमाना लगता है, उतना ही आसान अब एक क्लिक में सबकुछ खो देना भी हो गया है।