बस्ती के इन गाँव में बनेंगे यह भवन, खर्च होंगे 12 करोड़ रुपए
करोड़ों की लागत, लेकिन जमीन बनी बाधा
इन अन्नपूर्णा भवनों के निर्माण पर करीब 12 करोड़ रुपये खर्च किए जाने का अनुमान है. हालांकि, योजना के रास्ते में फिलहाल जमीन से जुड़ी समस्याएं आ रही हैं. जिले के 43 गांव ऐसे हैं, जहां पहले चिन्हित की गई जमीन को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. इसी वजह से वहां निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका. अब प्रशासन इन गांवों में वैकल्पिक भूमि तलाशने की प्रक्रिया में जुटा है.
मनरेगा से बनेगा भवन, मिलेगा रोजगार
शासन स्तर से अन्नपूर्णा भवनों के निर्माण को मनरेगा योजना के तहत मंजूरी दी गई है. इसका फायदा यह होगा कि गांवों में भवन बनने के साथ-साथ स्थानीय मजदूरों को रोजगार भी मिलेगा. निर्माण पूरा होने के बाद इन भवनों को आपूर्ति विभाग को सौंपा जाएगा, जहां से राशन वितरण की व्यवस्था संचालित होगी.
तैयार हो रहे भवन, जल्द होगा हैंडओवर
कुछ ग्राम पंचायतों में अन्नपूर्णा भवनों का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है. इन भवनों को जल्द ही हैंडओवर कर वहां संचालित उचित दर की दुकानों को शिफ्ट किया जाएगा. अधिकारियों का कहना है कि जहां जमीन से जुड़ी कोई समस्या नहीं है, वहां काम तेजी से आगे बढ़ रहा है.
राजनीति और रंजिश से मिलेगी राहत
अन्नपूर्णा भवनों के बनने से ग्रामीणों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है. अब राशन लेने के लिए कार्डधारकों को कोटेदार के निजी घर पर नहीं जाना पड़ेगा. सार्वजनिक स्थान से वितरण होने पर गांव की राजनीति और आपसी रंजिश का असर भी कम होगा. जो परिवार अब तक सामाजिक कारणों से राशन लेने में हिचकिचाते थे, उन्हें भी आसानी होगी.
हर भवन में होंगी जरूरी सुविधाएं
इन भवनों में अनाज के सुरक्षित भंडारण के साथ-साथ वितरण की समुचित व्यवस्था होगी. खाद्य एवं रसद विभाग और ग्राम्य विकास विभाग की सहमति से इस योजना को आगे बढ़ाया जा रहा है, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में व्यवस्था अधिक व्यवस्थित हो सके.
प्रति भवन खर्च और लक्ष्य
एक अन्नपूर्णा भवन के निर्माण पर औसतन साढ़े आठ लाख रुपये खर्च हो रहे हैं. इस हिसाब से 150 भवनों पर लगभग 12 करोड़ रुपये की लागत आएगी. इनमें से 21 भवन खाद्य विभाग के माध्यम से, जबकि शेष मनरेगा योजना से बनाए जाएंगे.
इन गांवों में फंसा है जमीन का मामला
बहादुरपुर, बनकटी, बस्ती सदर, दुबौलिया, गौर, हरैया, कप्तानगंज, कुदरहा, परशुरामपुर, रामनगर, रुथौली, सल्टौआ, सांऊघाट और विक्रमजोत क्षेत्र के कुल 43 गांवों में भूमि विवाद के कारण निर्माण अटका हुआ है. प्रशासन का कहना है कि समन्वय बनाकर इन अड़चनों को जल्द दूर किया जाएगा.
जिला प्रशासन के अनुसार, जिन गांवों में जमीन की समस्या है वहां जल्द समाधान निकालकर निर्माण शुरू कराया जाएगा. इसके लिए संबंधित अधिकारियों से पत्राचार किया गया है. अगर यह योजना तय समय पर पूरी होती है, तो बस्ती जिले में राशन वितरण की तस्वीर पूरी तरह बदल सकती है और ग्रामीणों को एक साफ, सुरक्षित और सम्मानजनक व्यवस्था मिल सकेगी.
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शोभित पांडेय एक समर्पित और अनुभवशील पत्रकार हैं, जो बीते वर्षों से डिजिटल मीडिया और ग्राउंड रिपोर्टिंग के क्षेत्र में लगातार सक्रिय हैं। खबरों की समझ, तथ्यों की सटीक जांच और प्रभावशाली प्रेज़ेंटेशन उनकी विशेष पहचान है। उन्होंने न्यूज़ राइटिंग, वीडियो स्क्रिप्टिंग और एडिटिंग में खुद को दक्ष साबित किया है। ग्रामीण मुद्दों से लेकर राज्य स्तरीय घटनाओं तक, हर खबर को ज़मीनी नजरिए से देखने और उसे निष्पक्षता के साथ प्रस्तुत करने में उनकी विशेष रुचि और क्षमता है।