बस्ती पहुंचने पर श्री गंगा कलश यात्रा का हुआ भव्य स्वागत
इस दौरान श्रद्धालुओं ने मां गंगा से विश्व कल्याण और सुख-समृद्धि की प्रार्थना करते हुए हर हर गंगे, जय मां गंगे के जयकारे लगाए. गंगोत्री धाम के रावल शिव प्रकाश महाराज ने कहा कि यह विश्व का सबसे बड़ा कलश है जिसकी क्षमता 1100 लीटर है. यह यात्रा सनातन धर्म की पवित्रता और सद्भावना को समर्पित है.
गंगोत्री धाम के कपाट बंद होने के बाद हर साल गंगा जल से भरा कलश नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर तक पहुंचाया जाता है. पूरे साल इसी जल से पशुपतिनाथ का विशेष जलाभिषेक किया जाता है. उन्होंने बताया कि पूर्व काल से ही सनातन धर्म में यह वैदिक परंपरा चली आ रही है.
कहा कि विश्व कल्याण और सुख समृद्धि के लिए इस कलश यात्रा का अपना एक अलग महत्व है. नेपाल और भारत की मैत्री और अखंडता को बरकरार रखने का भी यह एक संदेश देता है. यह कलश कार्तिक शुक्ल शिव त्रयोदशी 3 नवंबर को भगवान पशुपतिनाथ को अर्पण किया जाएगा.
इस अवसर पर राम सिंगार ओझा, अम्बिका प्रसाद ओझा, माधव दास ओझा, उमाकांत तिवारी, आशुतोष शुक्ल, अमरनाथ शुक्ल, कृपा शंकर ओझा, जगदंबा प्रसाद ओझा, सन्तोष कुमार शुक्ल, विवेक कान्त पाण्डेय, श्रीराम निषाद, पंकज ओझा, विश्वनाथ ओझा, राजीव ओझा, राजमणि पाण्डेय, मनीष पाण्डेय, विपिन शुक्ल, लवकुश त्रिपाठी, प्रमोद ओझा, अनिल त्रिपाठी आदि उपस्थित रहे.
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