सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा: तक्षक जगत से पृथक नही - राघवाचार्य

बस्ती . मनुष्य का शरीर ही वह कुरूक्षेत्र है जहां निवृत्ति और प्रवृत्ति का युद्ध होता रहता है. इस शरीर रथ को जो श्रीेकृष्ण के हाथों में सौंप देता है उसे विजय श्री मिलती है . सुदामा ने ईश्वर से निरपेक्ष प्रेम किया तो उन्होने सुदामा को अपना लिया और अपने जैसा वैभवशाली भी बना दिया. जीव जब ईश्वर से प्रेम करता है तो ईश्वर जीव को भी ईश्वर बना देते हैं. यह सद् विचार कथा व्यास गुरू स्वामी राघवाचार्य जी महाराज ने शिव नगर तुरकहिया में भाजपा जिलाध्यक्ष महेश शुक्ल के आवास पर आयोजित 7 दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के सातवे दिन व्यासपीठ से व्यक्त किया. महात्मा जी ने कहा कि तक्षक जगत से पृथक नही है, वह भी ब्रम्ह रूप है. शुकदेव जी ने परीक्षित को ब्रम्ह का दर्शन कराकर निर्भय कर दिया. कथा को विश्राम देते हुये महात्मा जी ने कहा कि सतकर्म का कोई अंत नहीं. कथा सुनकर जीवन में उतारेंगे तो श्रवण सार्थक होगा.
सुदामा चरित्र का भावुक वर्णन करते हुये महात्मा जी ने कहा कि शारीरिक मिलन तुच्छ है और मन का मिलन दिव्य. यदि धनी व्यक्ति दरिद्रों को हृदय से सम्मान दें तो आज भी सभी नगर द्वारिका की तरह समृद्ध हो सकते हैं.
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श्रीकृष्ण द्वारा उद्धव को उपदेश देने के प्रसंग का वर्णन करते हुये महात्मा जी ने कहा कि ज्ञानयोग, निष्काम कर्मयोग, भक्तियोग का ज्ञान देते हुये भगवान कृष्ण ने कहा कि उद्धव इस अखिल विश्व में मैं ही व्याप्त हूं, ऐसी भावना करना. सुख दुख तो मन की कल्पना है. जो सदगुणो से सम्पन्न है वह ईश्वर है और असंतुष्ट व्यक्ति दरिद्र.
भाजपा जिलाध्यक्ष महेश शुक्ल , माता श्यामा देवी ने विधि विधान से परिजनों, श्रद्धालुओं के साथ व्यास पीठ का वंदन किया. गुरूवार को भण्डारे का आयोजन किया गया है. मुख्य रूप से विधायक सीए चन्द्र प्रकाश शुक्ल, पूर्व जिलाध्यक्ष दयाशंकर मिश्र, वैभव पाण्डेय, अनूप खरे, विमल पाण्डेय, विश्वनाथ गिरी, गिरीश पाण्डेय, आशीष कुमार श्रीवास्तव, विजय तिवारी, रामउग्रह जायसवाल, रामचरन चौधरी, सुधाकर पाण्डेय, ब्रम्हानंद शुक्ला, सुरेन्द्र कुमार त्रिपाठी, विनय उपाध्याय, योगेश शुक्ला, गिरीश पाण्डेय, अनूप खरे, अखिलेश शुक्ला के साथ श्रद्धालु श्रोता उपस्थित रहे.