पाकिस्तान की अंदरूनी लड़ाई और झूठे दावों की हकीकत: जानिए सच क्या है

इन दिनों पाकिस्तान के हालात फिर से चर्चा में हैं। सोशल मीडिया और कुछ चैनलों पर दावा किया जा रहा है कि बलूचिस्तान में बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी यानी बीएलए ने पाकिस्तानी सेना को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया है और बलूच लड़ाकों ने पाकिस्तान का झंडा उतारकर वहां अपना झंडा फहरा दिया है। कुछ जगहों पर यह भी कहा जा रहा है कि पाकिस्तान अंदर ही अंदर एक सिविल वॉर जैसी स्थिति में फंस गया है। लेकिन क्या यह सब पूरी तरह सच है? क्या पाकिस्तान वाकई खुद को तबाह कर रहा है? और क्या भारत ने वाकई में पाकिस्तान के कई बड़े शहरों पर हमला किया है? आइए, तथ्यों के आधार पर इन सवालों के जवाब तलाशते हैं।
सबसे पहले बात करते हैं बलूचिस्तान की। यह इलाका लंबे समय से पाकिस्तान के लिए सिरदर्द बना हुआ है। यहां के लोगों में काफी समय से अलगाववादी भावना है और कई संगठन जैसे बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) पाकिस्तान से अलग होने की मांग कर रहे हैं। BLA की तरफ से समय-समय पर पाकिस्तानी सेना पर हमले भी किए जाते रहे हैं। लेकिन अभी तक किसी भी बड़े पैमाने पर यह पुष्टि नहीं हुई है कि BLA ने किसी इलाके में पाकिस्तान का झंडा हटाकर अपना झंडा फहराया हो। यह दावा सोशल मीडिया के कुछ अकाउंट्स तक सीमित है और किसी भी भरोसेमंद न्यूज एजेंसी ने इसकी पुष्टि नहीं की है। इसलिए इसे पूरी तरह सच मान लेना सही नहीं होगा।

अब आते हैं उस दावे पर जिसमें कहा गया है कि भारत ने पाकिस्तान के बड़े शहरों—जैसे लाहौर, कराची और रावलपिंडी—में ड्रोन और मिसाइल अटैक किए, जिनमें स्टेडियम तबाह हो गए और मैच रद्द कर दिए गए। यह दावा पूरी तरह झूठा और भ्रामक है। भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव जरूर रहा है, लेकिन इस स्तर पर हमले की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। अगर भारत ने वाकई ऐसा किया होता, तो यह अंतरराष्ट्रीय मीडिया में बड़ी खबर होती और संयुक्त राष्ट्र तक इसकी प्रतिक्रिया आती। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। न ही पाकिस्तान ने किसी हमले को स्वीकार किया और न ही भारत ने ऐसी कोई कार्रवाई की है। इसलिए यह कहना कि स्टेडियम तबाह हो गए, मैच रद्द कर दिए गए और पाकिस्तान मानने को तैयार नहीं है—यह सब सोशल मीडिया पर फैलाया गया फेक प्रोपेगेंडा है।
Read Below Advertisement
इसके अलावा यह भी दावा किया जा रहा है कि भारत ने IMF (अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष) में पाकिस्तान को फंड दिए जाने का विरोध किया है और वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया है। भारत पहले भी कई बार IMF और FATF जैसे मंचों पर पाकिस्तान की आतंकी फंडिंग को लेकर आपत्ति जता चुका है, लेकिन इस ताजा दावे की पुष्टि IMF की किसी आधिकारिक रिपोर्ट या किसी विश्वसनीय न्यूज सोर्स से नहीं हुई है। अगर ऐसा हुआ होता, तो इसकी जानकारी अंतरराष्ट्रीय मीडिया में होती। इसलिए इस दावे को भी जांचे-परखे बिना सही नहीं कहा जा सकता।
एक और दावा जो खूब वायरल हुआ, वो यह था कि पाकिस्तान ने भारत के S-400 मिसाइल सिस्टम को गिराने का दावा किया है। यह पूरी तरह झूठ है। भारत के पास जो S-400 सिस्टम है, वह रूस से आया एक अत्याधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम है और इसकी सुरक्षा बेहद मजबूत है। पाकिस्तान की ओर से ऐसा कोई आधिकारिक दावा सामने नहीं आया है, और न ही भारत की ओर से ऐसी कोई घटना रिपोर्ट की गई है। यह केवल सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही अफवाहों का हिस्सा है, जिसका कोई आधार नहीं है।
पाकिस्तान की आंतरिक हालत वाकई में खराब है। आर्थिक स्थिति कमजोर है, बलूचिस्तान में विद्रोह की स्थिति है, और राजनीतिक अस्थिरता भी बनी हुई है। लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि हर अफवाह सच है। सोशल मीडिया पर कुछ लोग जानबूझकर झूठे दावे फैलाते हैं ताकि भावनाएं भड़कें और भ्रम का माहौल बने। खासतौर पर जब कोई देश आंतरिक संघर्ष से जूझ रहा हो, तो उसके बारे में सही जानकारी रखना और गलत बातों से बचना बेहद जरूरी है।
भारत की नीति अब तक साफ रही है—वह संयम से काम लेता है, लेकिन जब भी जरूरत पड़ी है, उसने सख्त जवाब भी दिया है। लेकिन किसी देश पर अचानक मिसाइल अटैक करना या स्टेडियम को तबाह कर देना जैसे दावे न केवल झूठे हैं, बल्कि भड़काऊ भी हैं। इनसे केवल गलतफहमी और नफरत बढ़ती है।
इसलिए जरूरी है कि जब भी कोई वीडियो, पोस्ट या बयान दिखे जिसमें ऐसे बड़े दावे किए जा रहे हों, तो पहले उसे अच्छे से जांचें। अगर कोई घटना सच है, तो उसकी पुष्टि बड़े और भरोसेमंद मीडिया हाउस जरूर करेंगे। लेकिन अगर वह केवल छोटे अकाउंट्स, यूट्यूब चैनलों या अज्ञात वेबसाइट्स पर ही दिख रही है, तो उसके सच होने की संभावना कम है।
आज के समय में सूचना एक हथियार बन गई है। देश के खिलाफ भी इसका गलत इस्तेमाल किया जा सकता है। पाकिस्तान में चाहे जो भी हालात हों, भारत को चाहिए कि वह अपनी रणनीति और छवि को संतुलित रखे। फेक न्यूज और अफवाहों से सतर्क रहें और केवल उसी जानकारी पर भरोसा करें जो तथ्य आधारित हो।
भारतीय बस्ती — झूठ नहीं, सच का साथी।