Basti news: सरकारी अस्पतालों में ओपीडी बंद होने से बढ़ी मुश्किलें
-भारतीय बस्ती संवाददाता-
बस्ती. उत्तर प्रदेश स्थित बस्ती शहर से लेकर देहात तक सरकारी अस्पतालों की ओपीडी सेवायें बंद है और इसके चलते लोग विवशता में स्थानीय चिकित्सकों या झोला छाप डाक्टरों की शरण में जाने को मजबूर है. अनेक प्रमुख चिकित्सकों ने तो मरीजों को देखना ही बंद कर दिया है. जबकि श्रीकृष्णा मिशन हास्पिटल में कोरोना के साथ ही सामान्य मरीज भी देखे जा रहे हैं.
कोरोना संक्रमण काल के चलते ग्रामीण क्षेत्रों की चिकित्सा व्यवस्था बदहाल है. सरकारी अस्पतालों में ओपीडी सेवा बंद है, जिससे लोगों को इलाज की सुविधा नहीं मिल पा रही है. लोग मजबूर होकर छोलाछाप से इलाज करा रहे हैं. ग्रामीण क्षेत्र के बाजारों व चैराहों पर लोगों का उपचार करने वाले झोलाछाप ही बीमार मरीजों के सहारा हैं. सरकारी अस्पतालों में ओपीडी व्यवस्था बंद है. ऐसे में वायरल बुखार से ग्रसित मरीजों के सामने झोलाछाप ही विकल्प बचे हैं. मौसम के बदलाव के साथ ही सीजनल वायरल फीवर के मामले बढ़ रहे हैं. अप्रैल, मई व जून में आमतौर पर इनका प्रकोप बढ़ जाता है. ऐसे में सरकारी अस्पतालों में ओपीडी सेवा बंद होने से लोगों के सामने इलाज व दवा की समस्या आ पड़ी है.
मरीज जब बीमारी के बाद सरकारी अस्पतालों व प्राइवेट नर्सिंग होम पहुंचते तो पहले ही उन मरीजों को कोरोना जांच की सलाह दी जा रही है और बाद में उपचार की बात कही जाती है. ऐसे में वह दर-दर भटकने के बजाय घर लौट कर स्थानीय झोलाछाप से इलाज करा रहे हैं. इतना ही नहीं बाजारों में दवा की दुकान चलाने वाले भी अनुभव के आधार पर मरीजों को दवाएं दे रहे हैं. इन्हें न तो मरीजों की बीमारी का इतिहास जानने की जरूरत हो रही और न ही किसी जांच रिपोर्ट को देखने की दरकार पड़ रही है.