बस्ती स्टेशन पर रील बनाना पड़ा महंगा, मालगाड़ी पर चढ़े 3 युवक गिरफ्तार

बस्ती स्टेशन पर रील बनाना पड़ा महंगा, मालगाड़ी पर चढ़े 3 युवक गिरफ्तार
बस्ती स्टेशन पर रील बनाना पड़ा महंगा, मालगाड़ी पर चढ़े 3 युवक गिरफ्तार

यूपी में आज का रील्स बनाने वाले की भीड़ अधिक बढ़ चुकी है अब यह पूरे देश में आम सवाल बन चुका है रील्स का एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जहां लोग डांस, कॉमेडी, खाना, कला समेत अपने हुनर को बिना किसी विशेष संसाधन के साझा करते हैं. जिसमें स्मार्टफोन कैमरा तथा एडिटिंग एप के माध्यम से वीडियो बनाना बेहद आसान हो चुका है. 

रचनात्मक अभिव्यक्ति और पहचान का मंच

उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में रील्स का ट्रेंड्स पूरा शहर देखा है मेरी जानकारी के अनुसार बताया गया है कि रील्स की चाहत रखने वाले तीन युवक के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है. खड़ी मालगाड़ी के ऊपर चढ़कर फोन से वीडियो बना रहे रेलवे सुरक्षा बल गस्त के दौरान उन्हें पकड़ लिया है. इस दौरान पकड़े गए युवक की जांच पड़ताल की जा रही है जांच के दौरान मोहम्मद शरीफ 21 वर्ष, महफूज 18 वर्ष, गोलू 18 वर्ष पूछताछ से पता चला है जिसमें महफूज रहमतगंज का निवासी बताया जा रहा है.

जिसमें मोहम्मद शरीफ और गोलू बैरीहवा मोहल्ले के रहने वाले युवक बताये जा रहे हैं. जांच पड़ताल के दौरान तीनों युवक बस्ती शहर कोतवाली क्षेत्र के आसपास के रहने वाले बताए जा रहे हैं. आरपीएफ इंस्पेक्टर राशिफल वेज मिर्जा के मुताबिक इन तीनों युवकों ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर रील्स डालने के लिए इन कार्यों को अंजाम दिया है रेलवे परिसर में इस तरह से इन गतिविधियों को करना कानून का उल्लंघन माना जाता है. आज की दुनिया में मोबाइल फोन से वीडियो बनाना कई हानिकारक चीजों को चुनौती भी दे रहा है आज के युवा बच्चों जैसी हरकत करके खुद को जोखिम में डाल देते हैं.

Uttar Pradesh News (27)
Basti Railway Station
कम लागत और आसान निर्माण

इस मामले को लेकर आरपीएफ ने इन तीनों युवकों के खिलाफ रेलवे एक्ट के माध्यम से मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई प्रारंभ कर दी है. इसी बीच रेलवे प्रशासन ने यात्रियों और युवाओं से रेलवे संपत्ति की सुरक्षा व्यवस्था को ध्यान रखते हुए अपील किया है कि सोशल मीडिया कंटेंट के लिए रेलवे के परिसर में खतरनाक गतिविधियां न करने की विशेष रूप से दिशा निर्देश जारी किया है. आगे बताया गया कि सोशल मीडिया रील्स की चाह का मुख्य कारण है.

सशक्त रचनात्मकता की अभिव्यक्ति बड़ी ऑडियंस तक पहुंचाना और आर्थिक अवसर जिसमें गुणवत्ता बनाए रखना और समय प्रबंधन चुनौती पूर्ण भी हो सकता है. रेलवे प्रशासन ने कहा है कि व्यूज और प्रसिद्धि की चाह में कई बार गुणवत्ता से समझौता भी लोग करते हैं. जिसमें रील्स देखकर और बनाने की लत लग चुकी है जो समय और ऊर्जा को प्रभावित कई लोगों को कर रहा है. आगे उन्होंने कहा कि रील्स उत्पादन करने में महंगी सेट अप की आवश्यकता बिल्कुल भी नहीं है स्मार्टफोन और इन-बिल्ट ऐप्स काफी है उत्पादन और उपभोग दोनों तेज हो गए हैं. रील्स का औसत समय से 15 से 30 सेकंड होता है. जिसमें लोग जान को जोखिम में डालकर लोकप्रियता हासिल करते हैं.

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