Ayodhya News: श्री सीताराम विवाह प्रसंग श्रवण द्वारा जीवन में उमंग का संचार होता है : राघव ऋषि
अयोध्या. परमात्मा का आश्रय प्रेम से ही पाया जा सकता है प्रेम के वश हो प्रभु हर स्थिति अवस्था में मिल जाते है. परमात्मा का मिलना उतना कठिन नहीं जितना कि हमारा सरल होना. परमात्मा तो भाव की ही इच्छा रखते हैं. अब कुछ होने पर भी भाव की अल्पता परमात्मा से मिलन में सबसे ज्यादा बाधक है. परमात्मा में विश्वास ही उन्हें पाने का सरल उपाय है श्रीरामकथा त्रिवेणी के चतुर्थ दिवस अयोध्या स्थित श्री सिद्ध हनुमान बाग वासुदेव घाट में दिव्य रहस्य उद्घाटित करते हुए पूज्य श्री राघव ऋषि जी ने कहा.
कथा प्रसंग में श्रीसीताराम विवाह महोत्सव की छवि कथा में ही समाहित करते हुऐ कहा की जिसका जिसके प्रति सत्य प्रेम स्नेह होता है वह उसे अवश्य ही मिल जाता है. सीता जी की अंतरात्मा में राम जी को पति रूप में स्वीकार कर गौरी जी के वरदान से संतुष्ट हुईं. रामजी ने जनक के ताप को धनुष तोड़ कर नष्ट किया.सीताराम की मनोहर जोड़ी आज दूल्हा दुल्हन के रुप में ऐसी जोड़ी जिसे देख स्वयं कामदेव भी मोहित हो जाए.सीताराम जी की मोहक झांकी का कथा के मध्य विवाह सम्पन्न हुआ. अपार जन समूह ने विवाह महोत्सव में भेट,पूजा कर पुण्य लाभ लिया.
सीताराम दरस रस बरसे जैसे सावन की झड़ी सौरभ जी ने भक्तों को विवाह की दिव्य झांकी का भजन के शब्दों से दर्शन कराते हुए भक्तों को झूमने पर विवश किया.सीताराम विवाह झांकी का सभी श्रद्धालु भक्तों व कथा के मुख्य यजमान श्री मुन्नालाल गुप्ता श्रीमती नीलम गुप्ता श्री अभिषेक गुप्ता श्री अंकित गुप्ता श्री सुभाष जी गोविंद जी गणमान्य अयोध्या वासियों ने भव्य आरती सम्पन्न कर पुण्य लाभ अर्जित कर धन्य हुए.