श्री बाबा झुंगीनाथ धाम में श्रीमद्भागवत कथा: रुक्मणी और कन्हैया का विवाह जीव और ईश्वर का मिलन

बस्ती. श्री बाबा झुंगीनाथ धाम में 7 दिवसीय सरस संगीतमयी श्रीमद्भागवत कथा एवं श्री हरिनाम महामंत्र यज्ञ और सन्त सम्मेलन में व्यासपीठ से कथा के छठवे दिन कथा व्यास सन्तोष सरन जी महाराज शुक्ल ने कहा कि जो ईश्वर से मिलना चाहता है उसे अपना जीवन सादा रखना चाहिये. राजकन्या होते हुये भी रूक्मिणी पार्वती जी के दर्शन के लिये पैदल ही गयी. रूक्मिणी और कन्हैया का विवाह जीव और ईश्वर का मिलन है. महात्मा जी ने कहा कि रुक्मिणी भगवान कृष्ण की पत्नी थी. रुक्मिणी को लक्ष्मी का अवतार भी माना जाता है.
उन्होंने श्रीकृष्ण से प्रेम विवाह किया था. रुक्मिणी भगवान कृष्ण की पत्नी और रानी हैं. द्वारिका के राजकुमार कृष्ण ने उनके अनुरोध पर एक अवांछित विवाह को रोकने के लिए उनका अपहरण कर लिया और उनके साथ भाग गए और उन्हें दुष्ट शिशुपाल से बचाया.
दयानिधि गोस्वामी ने कहा कि रुक्मिणी का सबसे बड़ा भाई रुक्मी दुष्ट राजा कंस का मित्र था, जिसे कृष्ण ने मार दिया था और इसलिए वह इस विवाह के खिलाफ खड़ा हो गया था. महात्मा जी ने कहा कि रुक्मिणी के जीवन की एक घटना यह बताती है कि भौतिक धन से अधिक विनम्र भक्ति का मूल्य है. रुक्मिणी एक समर्पित पत्नी है, जो अपने प्रभु की सेवा में विनम्र है. उनकी भक्ति ही उसकी वास्तविक आंतरिक सुंदरता है.
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धार्मिक अनुष्ठान में आयोजक धु्रवचन्द्र पाठक, मुख्य यजमान माता बदल पाठक, शैलेष पाण्डेय, शीतल गोस्वामी, जगदम्बा पाण्डेय, संजय दीक्षित, सतीश चौबे, राकेश पाठक, शीतला प्रसाद पाण्डेय, रामकुमार, हनुमत प्रसाद मिश्र, जगन्नाथ वर्मा , राममूति यादव, जय प्रकाश दास, रंजना पाठक, उर्मिला त्रिपाठी, मिलन, शुभम पाठक, विनोद कुमार गोस्वामी, देवी प्रसाद गोस्वामी, दयानिधि सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु श्रोता उपस्थित रहे.