यूपी सरकार का बड़ा फैसला, शहर और गांव को आबादी के हिसाब से मिलेगा बजट
.png)
यूपी में राज्य सरकार ने गांव और शहरों को आबादी के हिसाब से विकास का बजट अब जारी करने का फैसला लिया गया है जिसमें उत्तर प्रदेश विधानसभा के पटल पर छठे राज्य वित्त आयोग की संस्तुतियां रखी गई है अब इस निर्णय को लेकर राज्य सरकार द्वारा लागू किया जाएगा.
शहर और ग्रामीणों की आबादी के आधार पर बजट
अब राज्य सरकार द्वारा इस फैसले को लागू किया जाएगा. छठे राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष दीपक कुमार की तरफ से संस्तुति की गई है जिसमें पंचायती राज संस्थाओं को केंद्रीय वित्त आयोग की तरफ से अपेक्षाकृत अधिक धनराशि प्राप्त होती है जिसमें ऐसे में पंचायती राज संस्थाओं और नगरीय स्थानीय निकायों के बीच वर्तमान में धनराशि बंटवारे का 60 और 40 के अनुपात में किसी भी तरह के परिवर्तन की आवश्यकता नहीं पड़ेगी. और नगरीय निकायों को दी जाने वाली 60% की धनराशि में से 45% नगर निगमों, 35% नगर पालिका परिषद, 20% धनराशि नगर पंचायत को दे दी जाएगी ग्रामीण निकायों की जनपदवार प्राप्त धनराशि में से 70% धन राशि ग्राम पंचायत को तथा 15-15% जिला पंचायत, क्षेत्र पंचायत को आवश्यक रूप से दी जाएगी.
जानिए किस वेबसाइट पर मिलेगी अधिक जानकारी
अब इस कड़ी में क्षेत्र पंचायत और ग्राम पंचायत को 90% धनराशि कुल जनसंख्या और 10% अनुसूचित जाति जनजाति की जनसंख्या के आधार पर धरातल पर उतर जाएगा जिला पंचायत वित्त आयोग की संस्तुति पर अपनी अंतरित धनराशि में से 25% धनराशि अपने कर्मचारियों के वेतन और पेंशन पर खर्च कर पाएगी देश में अब पहली बार किसी भी राज्य वित्त आयोग की ओर शहर और ग्रामीण निकायों में विस्तृत जानकारी के लिए पोर्टल https://upsfc.up.gov.in विकसित का डाटा इकट्ठा किया जा रहा है जिसमें यही नहीं रिपोर्ट में या भी लिखा गया है कि उसे पूर्व के वित्त आयोग की ओर से कोई डाटा उपलब्ध नहीं करवाया गया है जिसमें डेटा एकत्र करने में बड़ी कठिनाई हुई है. इस दौरान अगर कोई नगर पालिका ऊंचीकृति होकर नगर निगम में तब्दील होती है.
तथा कोई नगर पंचायत नगर पालिका में से उसे उच्चीकृति का अंश दिया जाएगा फिर अंतर निकाय अंश का पुनर निर्धारण किया जाएगा प्रतिबंध यह होगा कि उच्चीकरण के परिणाम स्वरूप अंतर निकाय अंश का पुननिर्धारण तथा परिमाणी अंतरण अगले वित्तीय साल के प्रारंभ यानि अप्रैल महीने से किया जाएगा. राज्य वित्त आयोग कैंटोनमेंट बोर्ड को कोई धनराशि नहीं देगा क्योंकि अब राज्य सरकार का इस पर सीधा कोई प्रशासनिक नियंत्रण नहीं होगा राज विधायिका के प्रति जवाब देही में भी होता है ऐसे में राज्य के कर राजस्व से अनुदान देना व्यावहारिक नहीं होगा. छठा राज्य वित्त आयोग ने पंचायत के स्वयं के वित्तीय संसाधनों को बढ़ाने तथा उसका विस्तार करने पर कोई संस्तुतियां नहीं दी है जिसमें विस्तृत अध्ययन की आवश्यकता जुटी है.
ताजा खबरें
About The Author

शम्भूनाथ गुप्ता पिछले 5 वर्षों से सक्रिय पत्रकारिता में हैं। 'मीडिया दस्तक' और 'बस्ती चेतना' जैसे प्लेटफॉर्म पर न्यूज़ और वीडियो एडिटिंग टीम में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। न्यूज़ प्रोडक्शन और डिजिटल कंटेंट निर्माण में गहरा अनुभव रखते हैं। वर्तमान में वे 'भारतीय बस्ती' की उत्तर प्रदेश टीम में कार्यरत हैं, जहां वे राज्य से जुड़ी खबरों की गंभीर और सटीक कवरेज में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।