यूपी में इस पैसेंजर ट्रेन को एक्सप्रेस ट्रेन में किया परिवर्तित, बढ़ाया किराया
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प्रदेश में चलने वाली पैसेंजर ट्रेन के किराए में व्यापक रूप से वृद्धि की जा चुकी है अब यात्रियों में असंतोषित व्यापत है. यात्रियों का कहना है विशेष कर उन ट्रेनों में देखी जा रही है जिसमें पैसेंजर ट्रेन के रूप में चलाया जाता था. अब अचानक से उन्हें एक्सप्रेस का दर्जा दे दिया गया है. इधर अब ट्रेन की गति और स्टॉपेज में कई विशेष परिवर्तन किया जा चुका है.
पैसेंजर को बना दिया एक्सप्रेस ट्रेन
जिसमें सुबह 6:30 बजे शाहजहांपुर से चलकर 9:15 बजे पीलीभीत तक पहुंचती है यहां पर करीब करीब एक घंटा खड़ी रहने के बाद बरेली सिटी के लिए रवाना होती है यहां पर लगभग 45 मिनट खड़ी होने के बाद कासगंज के लिए रवाना होती है उसके बाद मुरादाबाद होकर लाल कुआं के लिए प्रस्थान करती है. और इसी कड़ी में वापस भी आ जाती है फिर अगले दिन लगभग 11:00 बजे आसपास पीलीभीत पहुंच जाया करती है फिर वही 12:10 पर शाहजहांपुर के लिए स्पेशल एक्सप्रेस बनाकर संचालित की जाती है. इसको लेकर सफर करने वाले यात्रियों में आक्रोश है.
रेल यात्रियों में आक्रोश, धन उगाही का व्यापार
शाहजहांपुर, पीलीभीत, बीसलपुर इन सभी रास्तों पर एनइआर बड़ी लाइन बेचकर केवल कोयला ढोने के लिए इसे बनाया गया है जिसमें रोड पर कोई भी लंबी रूट की ट्रेन अभी नहीं है जो पैसेंजर है वह भी टुकड़ों में लाल कुआं तक ही जाती है बाकी बचा हुआ किसी भी रेलवे स्टेशन के लिए एक दो अदद एक्सप्रेस ट्रेन तक नहीं है अब जब छोटी लाइन थी तो उसे समय मां पूर्णागिरि के दर्शन के लिए टनकपुर से शाहजहांपुर तक कोई तीन ट्रेन सीधे संचालित होती थी.
इस दौरान कुल उसमें 7 जोड़ी ट्रेन संचालित होती थी अब इस रूट के बासी उड़ते कोयले की राख और ट्रेन ना होने से काफी समस्याओं का सामना करते हैं. अब इसको लेकर रेल मदद ऐप पर शिकायत दर्ज किया गया है इसके साथ-साथ लंबे रूट की ट्रेन चलाने के लिए लगातार अपील भी की जा रही है. इसी बीच सीएमआइ ठाकुर ने कहा है कि पैसेंजर ट्रेन से पीलीभीत तक किराया लगभग ₹25 ही लगते थे जबकि विशेष एक्सप्रेस ट्रेन का किराया करीब 55 रुपए निर्धारित किया गया है जिसमें अब यात्रियों को नाराजगी और आपत्ति हो रही है. यात्रियों का कहना है कि रेलवे प्रशासन ने कुछ पैसेंजर ट्रेनों को विशेष रूप से एक्सप्रेस ट्रेन का दर्जा दे दिया है और उसके साथ-साथ किराया भी बढ़ा दिया है इन ट्रेनों की गति और स्टॉपेज और कोच अवसंरचना में कोई भी महत्वपूर्ण बदलाव नहीं किया गया है.