UP के इन गांवों की बदल सकती है किस्मत, जमीन के नीचे छिपा है कच्चा तेल?
जंगल और नदी किनारे चल रहा काम
शनिवार को कंपनी की टीम ने बिधूना क्षेत्र के धनवाली सामपुर गांव के पास जंगलात में काम किया. यहां अलग-अलग 8 स्थानों पर बोरिंग कर जमीन के भीतर नियंत्रित धमाके किए गए. इन धमाकों से निकलने वाली तरंगों को आधुनिक उपकरणों से रिकॉर्ड किया गया, जिससे जमीन के अंदर मौजूद संरचना को समझा जा सके.
जीपीएस और आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल
बोरिंग स्थल से करीब 20 मीटर दूर तक ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) की मदद से आसपास के क्षेत्रों का अध्ययन किया गया. वैज्ञानिक तरीके से यह जांच की जा रही है कि जमीन के भीतर तेल या गैस जैसे तत्व मौजूद हैं या नहीं. कंपनी का दावा है कि यह प्रक्रिया पूरी तरह सुरक्षित और मानकों के अनुसार की जा रही है.
पहले अछल्दा, अब बिधूना पर फोकस
इससे पहले बुधवार शाम से गुरुवार रात तक अछल्दा क्षेत्र के हसनपुर गांव के पास सेंगुर नदी किनारे करीब 180 फीट गहरी खुदाई की गई थी. शुक्रवार को भी टीम ने वहां काम जारी रखा. इसके बाद शनिवार को टीम बिधूना पहुंची और धनवाली सामपुर गांव के आसपास अपना अस्थायी कैंप लगा लिया.
क्या होता है कच्चा तेल
टीम में शामिल विशेषज्ञों के अनुसार कच्चा तेल एक तरल हाइड्रोकार्बन होता है, जो धरती की परतों के भीतर पाया जाता है. इसे रिफाइनरी में प्रोसेस करके पेट्रोल, डीजल, केरोसिन और कई रासायनिक उत्पाद तैयार किए जाते हैं. इसी वजह से कच्चे तेल की खोज किसी भी क्षेत्र के लिए आर्थिक रूप से बेहद अहम मानी जाती है.
अलग-अलग टीमें, अलग जिम्मेदारी
तेल की खोज के इस अभियान में काम को कई हिस्सों में बांटा गया है. सर्वे, बोरिंग, ब्लास्टिंग और डाटा रिकॉर्डिंग के लिए अलग-अलग टीमें बनाई गई हैं. बताया गया है कि इस पूरे अभियान में लगभग 500 मजदूर और लगभग 45 बोरिंग मशीनें लगाई गई हैं. जहां भी तेल के संकेत मिलते हैं, वहां त्रिपाई लगाकर गहराई तक बोरिंग की जाती है.
धमाकों की आवाज से जुटे ग्रामीण
बोरिंग के दौरान जब तेज धमाकों की आवाज आई, तो आसपास के गांवों के लोग मौके पर पहुंच गए. हालांकि कंपनी की ओर से ग्रामीणों को पहले ही जानकारी दे दी गई थी कि यह काम सर्वे का हिस्सा है और इससे कोई खतरा नहीं है. फिर भी लोग उत्सुकता से पूरी प्रक्रिया को देखते नजर आए.
रिपोर्ट सीधे ऑनलाइन भेजी जा रही
फील्ड इंचार्ज संतोष मौर्या ने इस विषय पर जानकारी देते हुए बताया कि हर बोरिंग और ब्लास्टिंग के बाद जो डाटा मिलता है, उसे तुरंत ऑनलाइन सिस्टम के जरिए उच्च अधिकारियों को भेजा जाता है. सभी आंकड़ों का विश्लेषण होने के बाद ही यह तय किया जाएगा कि किसी स्थान पर कच्चे तेल का भंडार है या नहीं.
15 दिन में पूरा होगा सर्वे
कंपनी के अनुसार औरैया जिले में यह सर्वे लगभग 15 दिनों में पूरा कर लिया जाएगा. इसके बाद टीम का रुख आगरा जिले की ओर होगा, जहां इसी तरह का अध्ययन किया जाएगा.
प्रशासन की भी नजर
जिलाधिकारी डॉ. इन्द्रमणि त्रिपाठी ने बताया कि इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC) से मिली जानकारी के अनुसार जिले में कच्चे तेल की संभावनाओं को लेकर सर्वे चल रहा है. फिलहाल यह केवल खोज और अध्ययन का चरण है. अंतिम फैसला वैज्ञानिक रिपोर्ट आने के बाद ही लिया जाएगा.
अगर सर्वे में तेल भंडार की पुष्टि होती है, तो यह औरैया जिले के लिए बड़ी उपलब्धि साबित हो सकती है. इससे न सिर्फ क्षेत्र का औद्योगिक विकास होगा, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे. वर्तमान में सभी की नजरें सर्वे रिपोर्ट पर टिकी हैं, जो तय करेगी कि धरती के नीचे छुपा खजाना सच में मौजूद है या नहीं.
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शोभित पांडेय एक समर्पित और अनुभवशील पत्रकार हैं, जो बीते वर्षों से डिजिटल मीडिया और ग्राउंड रिपोर्टिंग के क्षेत्र में लगातार सक्रिय हैं। खबरों की समझ, तथ्यों की सटीक जांच और प्रभावशाली प्रेज़ेंटेशन उनकी विशेष पहचान है। उन्होंने न्यूज़ राइटिंग, वीडियो स्क्रिप्टिंग और एडिटिंग में खुद को दक्ष साबित किया है। ग्रामीण मुद्दों से लेकर राज्य स्तरीय घटनाओं तक, हर खबर को ज़मीनी नजरिए से देखने और उसे निष्पक्षता के साथ प्रस्तुत करने में उनकी विशेष रुचि और क्षमता है।