UP के इस जिले में स्कूल के मैदान में हो रही थी रामलीला, हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला, अब आया ये आदेश

Firozabad News

UP के इस जिले में स्कूल के मैदान में हो रही थी रामलीला, हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला, अब आया ये आदेश
Supreme Court stays an order of the Allahabad High Court

सर्वोच्च न्यायालय ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है जिसमें उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद स्थित एक स्कूल के मैदान में चल रहे रामलीला समारोह पर रोक लगा दी गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चूँकि समारोह शुरू हो चुका है, इसलिए यह इस शर्त के साथ जारी रहेगा कि छात्रों को कोई असुविधा न हो.

सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट से अनुरोध किया कि वह जिला प्रशासन से इस मुद्दे को सुलझाने के लिए कहे और ऐसे समारोहों के लिए कोई वैकल्पिक स्थल चिन्हित करे ताकि स्कूलों के खेल के मैदानों का उपयोग केवल छात्र ही कर सकें.

जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस उज्जल भुइयां और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने इस शर्त पर उत्सव जारी रखने की अनुमति दी कि छात्रों को कोई असुविधा न हो. बेंच ने हाईकोर्ट के आदेश के उस पैराग्राफ पर रोक लगाते हुए कहा, "हालांकि हम स्कूल परिसर में धार्मिक उत्सव आयोजित करने की अनुमति नहीं देते हैं, लेकिन यह रामलीला पिछले 100 वर्षों से चली आ रही है और इस वर्ष उत्सव 14 सितंबर से शुरू हुआ है."

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बेंच ने श्री नगर रामलीला महोत्सव द्वारा दायर याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया और हाईकोर्ट से जिला प्रशासन को भविष्य में किसी अन्य स्थल के लिए प्रस्ताव प्रस्तुत करने का निर्देश देने का अनुरोध किया.

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फिरोजाबाद का क्या है मामला?

बेंच ने हाईकोर्ट से कहा कि वह अगली सुनवाई की तारीख पर अन्य हितधारकों के साथ श्री नगर रामलीला महोत्सव की सुनवाई करे और किसी अन्य स्थल के लिए प्रस्ताव प्रस्तुत करे.

शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता प्रदीप सिंह राणा को भी फटकार लगाई कि उन्होंने अपनी शिकायत पहले नहीं की और 14 सितंबर को उत्सव शुरू होने के बाद ही मामला दायर किया. बेंच ने जनहित याचिका दायर करने वाले याचिकाकर्ता से कहा, "न तो आप छात्र हैं और न ही छात्रों के अभिभावक, उत्सव रोकने में आपकी क्या रुचि है?"

जनहित याचिका दायर करने वाले याचिकाकर्ता ने दलील दी कि कंक्रीट की दीवार बनने के बाद ही उन्होंने उत्सव पर रोक लगाने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

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