छात्रों पर पुलिस कार्रवाई से नाराज सीएम योगी, जांच के निर्देश

छात्रों पर पुलिस कार्रवाई से नाराज सीएम योगी, जांच के निर्देश
छात्रों पर पुलिस कार्रवाई से नाराज सीएम योगी, जांच के निर्देश

उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश में स्थित बाराबंकी जिले में श्रीरामस्वरूप यूनिवर्सिटी में सोमवार को छात्रों पर हुए लाठीचार्ज ने बड़ा मुद्दा खड़ा कर दिया है. इस मामले पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सख्त रुख अपनाते हुए पुलिस की कार्रवाई पर नाराज़गी जताई है. मुख्यमंत्री ने तुरंत सीओ को निलंबित करने का आदेश दिया और घटना की जांच अयोध्या मंडलायुक्त से कराने का आदेश भी दिया. इसके साथ ही, विश्वविद्यालय की डिग्री और मान्यता को लेकर भी सत्यापन करने के आदेश दिए गए हैं.

पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई 

खबरों के मुताबिक, बाराबंकी के सीओ सिटी हर्षित चौहान, नगर कोतवाल राम किशुन राना और चौकी इंचार्ज गजेंद्र सिंह व गदिया पुलिस चौकी के सभी कर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया गया है. यह कार्रवाई इसलिए हुई क्योंकि छात्रों पर बल प्रयोग करने के बाद पुलिस की भूमिका सवालों के घेरे में आ चुकी है.

बिना मान्यता को लेकर छात्रों का विरोध

विद्यार्थियों का आरोप है कि विश्वविद्यालय ने उन्हें ऐसे लॉ कोर्स में दाखिला दिया है, जिसे बार काउंसिल ऑफ इंडिया की मान्यता प्राप्त नहीं है. छात्रों ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि इस वजह से उनका भविष्य ख़तरे में है. इसी मुद्दे पर सोमवार, 1 सितंबर को कैंपस में प्रदर्शन हुआ और छात्रों व पुलिस के बीच टकराव हो गया. झड़प बढ़ने पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया, जिसमें कई छात्र घायल हुए और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा.

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पुलिस और छात्रों में भिड़ंत


पुलिस का कहना है कि प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने गुस्से में पास की पुलिस चौकी और विश्वविद्यालय परिसर में तोड़फोड़ की थी. स्थिति नियंत्रण से बाहर जाती देख पुलिस ने भीड़ पर हल्का बल प्रयोग किया. इस दौरान सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें पुलिसकर्मी छात्रों पर डंडे बरसाते दिखाई दे रहे हैं. पुलिस अधीक्षक अर्पित विजयवर्गीय ने बताया कि विश्वविद्यालय प्रशासन और छात्रों के बीच विवाद बढ़ने से माहौल बिगड़ा. परंतु, सभी घायलों का इलाज किया जा रहा है और मामले की जांच वीडियो फुटेज के आधार पर की जा रही है.

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एबीवीपी भी आया छात्रों के समर्थन में


इस पूरे विवाद में भारतीय जनता पार्टी से जुड़ा छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) भी छात्रों के साथ खड़ा हो गया है. संगठन के पदाधिकारी आकाश शुक्ला ने आरोप लगाया कि अपने हक के लिए आवाज उठाने वाले छात्रों को पुलिस ने बेरहमी से पीटा. कई घायल छात्रों को मेयो अस्पताल और जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है.

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घटना से नाराज़ एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने सोमवार रात जमकर विरोध प्रदर्शन किया. उन्होंने शशांक त्रिपाठी के घर के बाहर नारेबाजी की, पुतला दहन किया और फिर पुलिस अधीक्षक कार्यालय तक मार्च कर प्रशासन के खिलाफ जमकर विरोध जताया.


आंदोलन जारी रखने की चेतावनी


एबीवीपी के अवध प्रांत सचिव पुष्पेंद्र बाजपेयी ने साफ कहा कि "यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक विश्वविद्यालय प्रशासन छात्रों से सीधे बातचीत नहीं करता और निष्कासित छात्रों को वापस प्रवेश नहीं दिया जाता." उन्होंने यह भी मांग की कि "लॉ डिग्री की मान्यता को लेकर स्थिति पूरी तरह साफ की जाए. छात्र हितों से जुड़े किसी भी अन्याय को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.


विश्वविद्यालय प्रशासन का दावा

इधर, विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रों के सभी आरोपों को खारिज कर दिया है. रजिस्ट्रार प्रोफेसर नीरजा जिंदल ने कहा कि उनके लॉ कोर्स को बार काउंसिल ऑफ इंडिया से पूरी तरह मान्यता मिली हुई है. उन्होंने यह भी बताया कि 2022–23 के लिए मान्यता संबंधी सभी दस्तावेज आधिकारिक वेबसाइट पर मौजूद हैं और 2027 तक संबद्धता शुल्क का भुगतान भी कर दिया गया है. रजिस्ट्रार ने कुछ लोगों पर छात्रों को गुमराह करने और गलत जानकारी फैलाने का आरोप लगाया.

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शोभित पांडेय एक समर्पित और अनुभवशील पत्रकार हैं, जो बीते वर्षों से डिजिटल मीडिया और ग्राउंड रिपोर्टिंग के क्षेत्र में लगातार सक्रिय हैं। खबरों की समझ, तथ्यों की सटीक जांच और प्रभावशाली प्रेज़ेंटेशन उनकी विशेष पहचान है। उन्होंने न्यूज़ राइटिंग, वीडियो स्क्रिप्टिंग और एडिटिंग में खुद को दक्ष साबित किया है। ग्रामीण मुद्दों से लेकर राज्य स्तरीय घटनाओं तक, हर खबर को ज़मीनी नजरिए से देखने और उसे निष्पक्षता के साथ प्रस्तुत करने में उनकी विशेष रुचि और क्षमता है।