यूपी के इस ज़िले में 11 करोड़ का घोटाला

यूपी के इस ज़िले में 11 करोड़ का घोटाला
यूपी के इस ज़िले में 11 करोड़ का घोटाला

उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश में स्थित बलरामपुर जिले में मिड-डे मील योजना से जुड़ा एक बड़ा वित्तीय खेल उजागर हुआ है. शुरुआत में जब रिकॉर्ड की जांच शुरू हुई, तो अधिकारी भी हैरान रह गए. कागज़ों में छात्रों की भारी-भरकम संख्या, लेकिन स्कूलों में सन्नाटा. बाहर से चमकती व्यवस्था, लेकिन अंदर से खोखली.

44 नाम सामने: कौन जिम्मेदार?

जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) द्वारा की गई गहन जांच के बाद यह सामने आया कि फर्जीवाड़े का दायरा बहुत बड़ा है. उनकी शिकायत के आधार पर पुलिस ने जिला समन्वयक समेत 44 लोगों पर मामला दर्ज किया है.इनमें शामिल हैं:-

  • तीन मदरसों के प्रधानाध्यापक
  • पांच ग्राम प्रधान
  • परिषदीय विद्यालयों के पांच हेडमास्टर
  • और अन्य कई जिम्मेदार लोग

दस्तावेज़ों में फर्जी खेल

जांच में पाया गया कि जिला समन्वयक फिरोज अहमद खान इस पूरे मामले के केंद्र में हैं. आरोप है कि उन्होंने स्कूलों में बच्चों की संख्या को कागज़ों पर कई गुना बढ़ाया. इसी फर्जी संख्या के आधार पर महीनों तक मिड-डे मील का बजट निकलवाया जाता रहा और करोड़ों रुपये की राशि ग़ायब होती चली गई.

यह भी पढ़ें: बिजली बिल भरकर भी बकायेदार? UP में अजीब गड़बड़

स्कूलों में खाली कमरे, फाइलों में भीड़भाड़

सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि कई मदरसों और स्कूलों में वास्तविकता बिल्कुल उलट थी. जहाँ 10–15 बच्चे पढ़ते पाए गए, वहां दस्तावेज़ों में 100 से ज़्यादा बच्चों के नाम दर्ज थे.

यह भी पढ़ें: UP में एक और नाम बदलेगा! CM योगी की बड़ी घोषणा

यही नहीं, इन काल्पनिक छात्रों के आधार पर हर महीने लाखों रुपये का बजट जारी होता रहा. यह पैसा कहाँ गया, अब पुलिस इसी धागे को पकड़कर आगे बढ़ रही है.

बड़े एक्शन की तैयारी

BSA की तहरीर पर FIR दर्ज होने के बाद बलरामपुर पुलिस ने जांच की गति बढ़ा दी है. अधिकारी स्पष्ट तौर पर कह रहे हैं कि यह बड़ा वित्तीय घोटाला है, और इसमें शामिल सभी लोगों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी. इस खुलासे के बाद शिक्षा विभाग में हड़कंप मचा हुआ है, और कई अधिकारी अब अपनी भूमिका स्पष्ट करने में जुटे हैं.

बच्चों की योजनाओं पर निगरानी क्यों ज़रूरी?

यह मामला सिर्फ एक जिले का नहीं, बल्कि यह पूरे सिस्टम के लिए चेतावनी है. बच्चों के पोषण के लिए बनाई गई योजना में इस तरह की हेराफेरी बताती है कि निगरानी की व्यवस्था कितनी ढीली पड़ सकती है. सरकारी योजनाओं की पारदर्शिता, समय-समय पर जांच और सख्त जवाबदेही ही ऐसे घोटालों को रोक सकती है क्योंकि जब बच्चा ही अधिकारों से वंचित हो जाए, तो बाकी योजनाओं का क्या अर्थ रह जाता है.

On

About The Author

Shobhit Pandey Picture

शोभित पांडेय एक समर्पित और अनुभवशील पत्रकार हैं, जो बीते वर्षों से डिजिटल मीडिया और ग्राउंड रिपोर्टिंग के क्षेत्र में लगातार सक्रिय हैं। खबरों की समझ, तथ्यों की सटीक जांच और प्रभावशाली प्रेज़ेंटेशन उनकी विशेष पहचान है। उन्होंने न्यूज़ राइटिंग, वीडियो स्क्रिप्टिंग और एडिटिंग में खुद को दक्ष साबित किया है। ग्रामीण मुद्दों से लेकर राज्य स्तरीय घटनाओं तक, हर खबर को ज़मीनी नजरिए से देखने और उसे निष्पक्षता के साथ प्रस्तुत करने में उनकी विशेष रुचि और क्षमता है।