अयोध्या से इस रूट पर ट्रेनों की बढ़ी स्पीड, यात्रियों को होगी सुविधा

उत्तर प्रदेश: अब बाराबंकी से अयोध्या की यात्रा और अधिक सहज, तेज़ व सुविधाजनक हो गई है. रेलवे ने ट्रैक को अपग्रेड कर ट्रेनों की रफ्तार 110 किमी प्रति घंटे तक बढ़ा दी है, जिससे अब यह सफर महज़ एक घंटे में तय किया जा सकेगा.
अयोध्या, जिसे रामनगरी के नाम से जाना जाता है, अब बाराबंकी व आसपास के यात्रियों के लिए और भी अधिक सुलभ हो गई है. भारतीय रेलवे ने इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए बाराबंकी-अयोध्या रेलखंड पर यातायात को सुगम बनाने हेतु पटरियों को सुदृढ़ करने का बड़ा कार्य पूरा कर लिया है. इस ट्रैक पर अब ट्रेनें 110 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलेंगी, जो पहले की अधिकतम गति से कहीं अधिक है. पहले जहां यह दूरी तय करने में लगभग दो घंटे लगते थे, अब वही यात्रा लगभग एक घंटे में पूरी हो सकेगी. करीब 100 किलोमीटर की यह दूरी पहले ट्रेनों की धीमी गति और कमजोर पटरियों के कारण यात्रियों को थकाने वाली लगती थी. कभी रेलवे ट्रैक में दिक्कतें होती थीं तो कभी ट्रेनें कम रफ्तार से चलती थीं, जिससे यात्रा में समय लगता था.
परंतु अब रेलवे ने न सिर्फ इस खंड पर नई ग्रेड की पटरियों का निर्माण किया, बल्कि ट्रैक के नीचे मजबूत बोल्डर बिछाकर संरचना को टिकाऊ बनाया है. इसके साथ ही पूरे मार्ग पर विद्युतिकरण का कार्य भी पूर्ण कर लिया गया है, जिससे अब अधिकतर ट्रेनें बिजली से संचालित होकर पर्यावरण के प्रति भी सकारात्मक कदम उठाएंगी. रेलवे विभाग के अनुसार, इस ट्रैक पर प्रतिदिन करीब 35 ट्रेनें चलती हैं, जिन्हें अब नए गति मानकों का लाभ मिलेगा. तेज रफ्तार से चलने वाली इन ट्रेनों से यात्रियों का कीमती समय बचेगा और आवागमन में सुविधा भी बढ़ेगी. खासकर श्रद्धालु, पर्यटक और दैनिक यात्रा करने वाले यात्रियों को इसका सीधा लाभ मिलेगा.
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हालांकि जहां एक ओर पटरियों की हालत में सुधार देखा जा रहा है, वहीं दूसरी ओर बाराबंकी रेलवे स्टेशन का आधारभूत ढांचा अभी भी विकास की प्रतीक्षा में है. ‘अमृत भारत स्टेशन योजना’ के अंतर्गत स्टेशन के कायाकल्प के लिए 34 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं, लेकिन निर्माण कार्य धीमी गति से हो रहा है. नई स्टेशन भवन को निर्मित कराने का कार्य अधूरा है और फिलहाल स्टेशन पर अस्थायी ढांचों के सहारे ही टिकट वितरण और अन्य प्रशासनिक कार्य संचालित किए जा रहे हैं. यहां तक कि स्टेशन अधीक्षक व अन्य कर्मचारियों के लिए स्थायी कार्यालय भी उपलब्ध नहीं है. यात्रियों को अत्याधुनिक सुविधाएं देने की योजना तो बनाई गई है, लेकिन जब तक स्टेशन का विकास कार्य पूरा नहीं होता, तब तक रेलवे की यह उपलब्धि अधूरी मानी जाएगी.