यूपी के इन जिलो में अब नहीं होगी यह बड़ी दिक्कत, सरकार कर रही तैयारी

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उत्तर प्रदेश: योगी आदित्यनाथ सरकार अब प्रदेश के 10 प्रमुख शहरों में जल निकासी की पुरानी और गंभीर समस्या से स्थायी समाधान की ओर कदम बढ़ा रही है. इसके लिए सरकार ने एक विस्तृत और तकनीकी रूप से समृद्ध ड्रेनेज मास्टर प्लान तैयार किया है, जो राज्य के शहरी क्षेत्रों की जल निकासी प्रणाली को पूरी तरह से बदल देगा.

प्रदेश की राजधानी लखनऊ से लेकर कानपुर, बरेली, शाहजहांपुर, वाराणसी, प्रयागराज, मुरादाबाद, झांसी, गाजियाबाद और मेरठ जैसे बड़े शहरों में अब जल भराव की समस्याएं बीते कल की बात बनने वाली हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशों के तहत इन शहरों के लिए एक व्यापक कार्य योजना तैयार की गई है, जिसे उत्तर प्रदेश जल निगम (नगरीय) के कंस्ट्रक्शन एंड डिजाइन सर्विसेस विभाग द्वारा क्रियान्वित किया जाएगा. यह योजना केवल वर्तमान समस्याओं के समाधान तक सीमित नहीं है, बल्कि भविष्य में प्रदेश के अन्य शहरों में भी इसी मॉडल के आधार पर योजनाएं तैयार की जाएंगी.

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इस योजना की सबसे खास बात यह है कि इसमें केवल पारंपरिक ढांचे जैसे पाइपलाइन और पंप पर निर्भर न रहते हुए, प्राकृतिक प्रणालियों और आधुनिक तकनीकों का समन्वय किया गया है. योजना को ‘एकीकृत शहरी तूफान जल निकासी मास्टर प्लान’ (IUSWDMP) नाम दिया गया है, जो हर शहर की भौगोलिक और भौतिक परिस्थितियों के आधार पर तैयार किया जाएगा.

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इस मास्टर प्लान की बुनियाद बहुत मजबूत और वैज्ञानिक विश्लेषण पर आधारित है. इसके तहत टोपोग्राफिकल सर्वे, फील्ड सर्वे, डेटा एनालिसिस, सैटेलाइट इमेजिंग, और जियोग्राफिकल इन्फॉर्मेशन सिस्टम (GIS) जैसी उन्नत तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा. इन तकनीकी अध्ययनों के आधार पर आईआईटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से विशेषज्ञ राय भी ली जाएगी, ताकि योजना को अधिक प्रभावशाली और टिकाऊ बनाया जा सके.

इस प्लान का एक मुख्य उद्देश्य यह भी है कि बारिश के दौरान जल का अधिकतम उपयोग हो सके. योजना के माध्यम से वर्षा जल का संचयन, पुनर्चक्रण और सुनियोजित निकासी सुनिश्चित की जाएगी, जिससे न केवल जल भराव की समस्या से निपटा जा सकेगा, बल्कि बाढ़ जैसी आपदाओं का भी खतरा कम होगा. इस प्रक्रिया से नालियों के ओवरफ्लो, सड़कों पर गंदा पानी बहने, और शहरी नागरिकों की रोजमर्रा की जिंदगी में आने वाली बाधाओं को दूर किया जा सकेगा.

योजना यह सुनिश्चित करेगी कि जल की गुणवत्ता में सुधार हो, शहरी जल प्रबंधन की क्षमता बढ़े और साथ ही पर्यावरणीय संतुलन भी बना रहे. विशेष बात यह है कि इस योजना में प्रत्येक शहर के नगर निगमों से सक्रिय संवाद किया जाएगा, ताकि स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार निर्माण और विकास कार्यों को प्राथमिकता दी जा सके.

जल निगम की ओर से एक विशेषज्ञ टीम का गठन किया जाएगा जो जमीन पर योजना के कार्यान्वयन की निगरानी करेगी. यह टीम जलभराव वाले क्षेत्रों की पहचान कर, उन स्थानों पर आवश्यक निर्माण कार्यों को तीव्र गति से पूरा करवाएगी. इसके अंतर्गत ड्रेनेज की नई लाइनें बिछाई जाएंगी, पुराने और जर्जर सिस्टम को बदला जाएगा और आधुनिक जल निकासी प्रणाली विकसित की जाएगी.

दरअसल, अब तक अधिकतर शहरों में जल निकासी केवल पाइप और पंप के सहारे की जाती रही है, जो कभी-कभी अधिक बारिश होने पर फेल हो जाती है. लेकिन अब सरकार की मंशा है कि ऐसी व्यवस्था हो, जिसमें वर्षा जल को स्वाभाविक रूप से बहने और जमा होने के लिए रास्ता मिले. यानी अब नालों और नालियों के निर्माण के साथ ही ऐसी व्यवस्था बनेगी जिसमें बारिश का पानी शहर के अंदर ही दोबारा उपयोग में आ सके. इस मास्टर प्लान से उम्मीद की जा रही है कि उत्तर प्रदेश के शहर जल्द ही उन समस्याओं से मुक्त होंगे, जो बरसात के मौसम में लोगों के लिए मुसीबत बन जाती थीं. एक नई दिशा, नई तकनीक और स्पष्ट दृष्टिकोण के साथ राज्य सरकार जल प्रबंधन के क्षेत्र में एक नई मिसाल कायम करने जा रही है.

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