गोरखपुर- सिद्धार्थनगर से लेकर मेरठ-पानीपत तक नया एक्सप्रेसवे, यूपी का सबसे लंबा रूट तय

शामली से आगे बढ़कर पानीपत तक पहुंचेगा रास्ता
पहले इस एक्सप्रेसवे की योजना गोरखपुर से शामली तक थी, लेकिन अब इसे पानीपत तक विस्तार देने का निर्णय लिया गया है. अधिकारियों के अनुसार यह परियोजना लगभग 700 किलोमीटर लंबी होगी, जो पूर्वी उत्तर प्रदेश को सीधे हरियाणा से जोड़ेगी. इससे दोनों राज्यों के बीच आवागमन और व्यापार में बड़ी बढ़ोतरी होगी.
उद्योग और रोजगार में बढ़ोतरी
अधिकारियों के मुताबिक पानीपत क्षेत्र में 4000 से ज्यादा औद्योगिक इकाइयां हैं जिनमें कपड़ा, लकड़ी-फर्नीचर, कागज और कृषि-आधारित उद्योग प्रमुख हैं. इसके अलावा, उत्तर प्रदेश के हजारों मजदूर हरियाणा के विभिन्न इलाकों में काम करते हैं. ऐसे में यह एक्सप्रेसवे दोनों राज्यों के बीच औद्योगिक व आर्थिक संबंधों को मजबूत करेगा और रोजगार के नए अवसर खोलेगा.
DPR पर तेजी से काम
परियोजना के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार की जा रही है. इसमें सड़क का रूट, तकनीकी मानक, भूमि अधिग्रहण और पर्यावरणीय पहलुओं का अध्ययन किया जा रहा है. एनएचएआई के उपमहाप्रबंधक (तकनीकी) अंकित वर्मा ने इस विषय पर जानकारी देते हुए बताया कि रिपोर्ट तैयार होने के बाद इसे राज्य सरकार के पास स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा.
4 से 8 लेन तक का एक्सप्रेसवे
यह नया एक्सप्रेसवे 4 से 6 लेन का होगा, जिसे भविष्य में आठ लेन तक बढ़ाया जा सकेगा. निर्माण कार्य 2026 में शुरू होने की उम्मीद है. यह एक्सप्रेसवे न केवल पूर्वी यूपी के जिलों को जोड़ेगा, बल्कि उन क्षेत्रों को भी फायदा देगा जो अपने ODOP (वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट) उत्पादों के लिए मशहूर हैं.
स्थानीय उत्पादों को मिलेगा नया बाजार
एनएचएआई के एक अधिकारी ने उदाहरण देते हुए इस विषय पर कहा कि सिद्धार्थनगर का काला नमक चावल विश्वभर में प्रसिद्ध है और इसका निर्यात भी होता है. ऐसे उत्पादों को तेज़ परिवहन व्यवस्था मिलने से बाजार तक पहुंच और बढ़ेगी.
दुर्घटनाओं में कमी और सुरक्षित सफर
अंकित वर्मा ने बताया कि "एक्सेस कंट्रोल्ड सड़क प्रणाली से दुर्घटनाओं की संभावना काफी घट जाती है क्योंकि इसमें बिना अनुमति के कोई वाहन सड़क पर प्रवेश नहीं कर सकता. इससे सड़क सुरक्षा के स्तर में भी सुधार होगा."
भूमि अधिग्रहण और पर्यावरण पर विशेष ध्यान
डीपीआर में यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि पेड़ों की न्यूनतम कटाई हो और प्रमुख सड़कों व राजमार्गों से बेहतर कनेक्टिविटी बनाई जाए. राज्य सरकार भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में एनएचएआई को पूरा सहयोग देगी.
निर्माण कई हिस्सों में होगा
अधिकारियों ने बताया कि परियोजना को कई पैकेजों में बांटा जाएगा, जिनमें हर खंड लगभग 50 से 70 किलोमीटर लंबा होगा. हर हिस्से का ठेका अलग-अलग एजेंसियों को निविदा के माध्यम से दिया जाएगा जिससे काम तेजी से आगे बढ़े.
2.5 साल में पूरा होने का लक्ष्य
एनएचएआई अधिकारी वर्मा ने यह भी बताया कि "एक बार स्वीकृति मिलने के बाद पूरा प्रोजेक्ट करीब ढाई साल में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. सरकार का लक्ष्य है कि इस एक्सप्रेसवे के बन जाने से यात्रा सुगम हो और उत्तर प्रदेश के विकास की रफ्तार भी दोगुनी हो जाए."
किन जिलों से होकर गुजरेगा एक्सप्रेसवे
यह प्रस्तावित एक्सप्रेसवे सिद्धार्थनगर, बलरामपुर, श्रावस्ती, लखनऊ, सीतापुर, मेरठ, अमरोहा, पीलीभीत, बरेली और मुरादाबाद जैसे प्रमुख जिलों से होकर गुजरेगा. इसका अधिकांश हिस्सा ग्रीनफील्ड कॉरिडोर के रूप में विकसित किया जाएगा, यानी नई भूमि पर निर्माण होगा.
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शोभित पांडेय एक समर्पित और अनुभवशील पत्रकार हैं, जो बीते वर्षों से डिजिटल मीडिया और ग्राउंड रिपोर्टिंग के क्षेत्र में लगातार सक्रिय हैं। खबरों की समझ, तथ्यों की सटीक जांच और प्रभावशाली प्रेज़ेंटेशन उनकी विशेष पहचान है। उन्होंने न्यूज़ राइटिंग, वीडियो स्क्रिप्टिंग और एडिटिंग में खुद को दक्ष साबित किया है। ग्रामीण मुद्दों से लेकर राज्य स्तरीय घटनाओं तक, हर खबर को ज़मीनी नजरिए से देखने और उसे निष्पक्षता के साथ प्रस्तुत करने में उनकी विशेष रुचि और क्षमता है।