गोरखपुर में 400 एकड़ जमीन अधिग्रहण की तैयारी, ‘नया गोरखपुर’ प्रोजेक्ट को मिलेगी रफ्तार
कुसम्ही क्षेत्र में अधिग्रहण प्रक्रिया अंतिम चरण में
जीडीए ने कुसम्ही इलाके के 3 गांवों में अनिवार्य भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया लगभग पूरी कर ली है. अब प्राधिकरण की नजर परियोजना के उत्तर दिशा में स्थित बालापार, रहमतनगर और मानीराम गांवों पर है, जहां जल्द ही अधिग्रहण की कार्रवाई शुरू की जाएगी.
शुरुआत में अधिकारियों ने किसानों से समझौते के माध्यम पर जमीन लेने की कोशिश की थी, लेकिन पर्याप्त भूमि नहीं मिल पाई. अब लगभग 400 एकड़ जमीन अनिवार्य अधिग्रहण के अंतर्गत ली जाएगी. इस पूरी प्रक्रिया में लगभग 1 साल तक का समय लगने की संभावना जताई जा रही है.
24 गांवों में फैली है योजना की परिधि
‘नया गोरखपुर’ योजना के लिए कुल 24 गांवों को चयनित किया गया है. इनमें से ज्यादातर पिपराइच विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं. इनमें कुशीनगर मार्ग के 12 गांव और बालापार क्षेत्र के 12 गांव शामिल हैं. सरकार इस परियोजना के लिए पहली किस्त का बजट पहले ही जारी कर चुकी है.
जीडीए और राजस्व विभाग के अधिकारी अब तक किसानों से तीन दौर की बैठकें कर चुके हैं, परंतु सहमति नहीं बन सकी. इसी वजह से प्राधिकरण ने पहले चरण में कुशीनगर मार्ग के कोनी समेत 3 गांवों की करीब 600 एकड़ जमीन अनिवार्य रूप से अर्जित करने का फैसला लिया है.
अगले चरण में बालापार और मानीराम की बारी
कुशीनगर रोड पर सामाजिक प्रभाव अध्ययन (SIA) की रिपोर्ट सरकार को भेज दी गई है. अब धारा 11 के तहत अधिसूचना जारी की जाएगी. इसी क्रम में बालापार, रहमतनगर और मानीराम गांवों में अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू होगी. जीडीए ने इसके लिए प्रस्ताव विशेष भूमि अधिग्रहण अधिकारी को भेज दिया है, जिसके पश्चात धारा 4 के अंतर्गत आपत्तियां आमंत्रित की जाएंगी.
जीडीए उपाध्यक्ष का बयान
जीडीए उपाध्यक्ष आनंद वर्धन ने इस विषय पर जानकारी देते हुए कहा कि "बालापार, रहमतनगर और मानीराम में अनिवार्य अर्जन की प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी. कई जगह किसानों से समझौते के तहत भूमि ली जा चुकी है. परियोजना के अंतर्गत “गुरुकुल सिटी” नामक एक आधुनिक सिटी भी विकसित की जाएगी. ‘नया गोरखपुर’ एक जनहित परियोजना है, जिसका उद्देश्य शहर को योजनाबद्ध और आधुनिक स्वरूप देना है." इसके अतिरिक्त, उन्होंने भरोसा दिलाया कि किसानों के हितों की पूरी रक्षा करते हुए पारदर्शिता के साथ विकास कार्य आगे बढ़ाए जाएंगे.
मुआवजे पर उठी सबसे बड़ी आपत्ति
किसानों के असंतोष का सबसे बड़ा कारण मुआवजे की दरें हैं. उनका कहना है कि शहर के बाहरी इलाकों में जमीन की कीमतें कई गुना बढ़ चुकी हैं, लेकिन 2016 से सर्किल रेट में कोई परिवर्तन नहीं किया गया. किसान मांग कर रहे हैं कि पहले रेट में संशोधन किया जाए, फिर बाजार मूल्य का चार गुना मुआवजा दिया जाए.
कई किसान कोर्ट की शरण में
कुसम्ही क्षेत्र के कुछ किसानों ने मुआवजे की राशि को लेकर कोर्ट में याचिका दायर की है. उनका आरोप है कि सरकार और जीडीए उनकी जमीन का उचित मूल्य नहीं दे रहे हैं और पारदर्शिता की कमी बनी हुई है.
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शोभित पांडेय एक समर्पित और अनुभवशील पत्रकार हैं, जो बीते वर्षों से डिजिटल मीडिया और ग्राउंड रिपोर्टिंग के क्षेत्र में लगातार सक्रिय हैं। खबरों की समझ, तथ्यों की सटीक जांच और प्रभावशाली प्रेज़ेंटेशन उनकी विशेष पहचान है। उन्होंने न्यूज़ राइटिंग, वीडियो स्क्रिप्टिंग और एडिटिंग में खुद को दक्ष साबित किया है। ग्रामीण मुद्दों से लेकर राज्य स्तरीय घटनाओं तक, हर खबर को ज़मीनी नजरिए से देखने और उसे निष्पक्षता के साथ प्रस्तुत करने में उनकी विशेष रुचि और क्षमता है।
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