यूपी में गोरखपुर से यात्रा करने वालों के लिए खुशखबरी, इस तारीख से पहले की तरह ट्रेनों का होगा संचालन
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ट्रेनों का संचालन एक अत्यंत महत्वपूर्ण और व्यापक प्रणाली है. जो देश की सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक जीवन रेखा के रूप में कार्य करती है. नीचे इस विषय पर एक संक्षिप्त लेख आर्टिकल प्रस्तुत है.
ट्रेनों का संचालन, भारत की जीवन रेखा
जिसमें समय.सारणी ट्रैफिक नियंत्रण, रखरखाव, टिकटिंग प्रणाली और सुरक्षा उपायों का समावेश होता है. यह कार्य विभिन्न ज़ोनल रेलवे और डिवीज़नों के माध्यम से किया जाता है. रेलवे मंत्रालय इसकी निगरानी करता है और आधुनिक तकनीकों जैसे कि डिजिटल सिग्नलिंग, जीपीएस ट्रैकिंग, और ऑनलाइन रिजर्वेशन प्रणाली को अपनाकर संचालन को और अधिक कुशल बना रहा है. मंगलवार को भी गोरखपुर जंक्शन पर सुबह 09ः45 से शाम 06ः15 बजे तक मेगा ब्लाक रहा. इस दौरान ट्रेनों का संचालन लगभग पूरी तरह ठप रहा. पूर्वी और पश्चिमी छोर पर थर्ड लाइन और विद्युतीकरण कार्य हुआ. थर्ड रेल लाइन में कनेक्शन दिए गए. ज्वाइंट और प्वाइंट बनाए गए. ट्रेनों के लिए प्लेटफार्म नंबर एक और तीन खोला गया है. शेष सभी प्लेटफार्म पूरी तरह बंद हैं. यात्रियों की परेशानी बढ़ गई हैं. दिल्ली जाने वाले लोगों को ट्रेनों में चढ़ने के लिए धक्कामुक्की करनी पड़ रही है. बिहार से आने वाली ट्रेनों में पैर रखने की जगह नहीं बच रही. लोग टायलेट में खड़ा होकर यात्रा करने को मजबूर हैं. दुर्ग से 30 अप्रैल को चलने वाली 18201 दुर्ग-नौतनवा एक्सप्रेस नौतनवा के स्थान पर गोरखपुर में यात्रा समाप्त करेगी. नौतनवा से 02 मई को चलने वाली 18202 नौतनवा-दुर्ग एक्सप्रेस नौतनवा के स्थान पर देवरिया सदर से चलाई जाएगी.
ट्रेनों का सामाजिक और आर्थिक महत्व
रेलवे न केवल लोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाती है. बल्कि यह रोजगार सृजन, सामानों के परिवहन, तीर्थ यात्रा, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच को भी सुगम बनाती है. ग्रामीण क्षेत्रों को शहरों से जोड़कर यह शहरीकरण और औद्योगीकरण में भी योगदान देती है. यार्ड रिमाडलिंग के अंतर्गत 12 अप्रैल से नानइंटरलाकिंग हो रही है. 26 अप्रैल तक प्री नानइंटरलाकिंग हुई। 27 से नानइंटरलाकिंग चल रही है. इस दौरान गोरखपुर जंक्शन से बनकर चलने वाली और रुकने वाली सभी एक्सप्रेस और पैसेंजर ट्रेनें निरस्त कर दी गई हैं. बिहार से चलने वाली बिहार संपर्क क्रांति एक्सप्रेस समेत रनथ्रू ट्रेनें ही गोरखपुर होकर गुजर रही हैं.
नानइंटरलाकिंग के बाद गोरखपुर जंक्शन से गोरखपुर कैंट तक तीसरी लाइन चालू हो जाएगी. गोरखपुर कैंट सेटेलाइट स्टेशन के रूप में और बेहतर रूप से कार्य करने लगेगा, अधिक गाड़ियां चलाई जा सकेंगी. गोरखपुर जंक्शन पर इलेक्ट्रानिक इंटरलाकिंग सिस्टम कार्य करने लगेगा. गोरखपुर की ट्रेनें भी कंप्यूटर माउस के इशारे से चलने लगेंगी. दरअसल, दस साल बाद गोरखपुर जंक्शन की यार्ड रिमाडलिंग हो रही है. वर्ष 2013 में जंक्शन की यार्ड रिमाडलिंग हुई थी. उस दौरान जंक्शन पर रूट रिले इंटरलाकिंग पैनल सिस्टम (आरआरआइ) लागू हुआ था. अभी तक पैनल के बटन से ट्रेनें चल रही थीं, अब पूरा सिस्टम डिजिटल प्लेटफार्म पर आ जाएगा. सिस्टम को कंप्यूटराइज्ड करने के लिए यार्ड रिमाडलिंग हो रही है. रेलवे प्रणाली को कई चुनौतियों का सामना भी करना पड़ता है. जैसे समय पर ट्रेन संचालन, दुर्घटनाओं की रोकथाम, भीड़भाड़ और रखरखाव की समस्याएँ। सरकार मेक इन इंडिया हाई.स्पीड बुलेट ट्रेन. और निजीकरण जैसी पहलों के माध्यम से इन समस्याओं का समाधान ढूंढने का प्रयास कर रही है।