यूपी में किसानों को होगा दोगुना फायदा! योगी सरकार का यह प्लान तैयार
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किसानों को आधुनिक खेती की तकनीकों के साथ-साथ निर्यात बढ़ाने के गुर सिखाए जाएंगे। इनकी उत्पादकता और गुणवत्ता में सुधार हो सके। किसानों को अंतरराष्ट्रीय तकनीकों को समझाने के लिए उन्हें विभिन्न देशों में भेजने की भी योजना है।
पूर्वांचल के किसानों की बदलने वाली है तस्वीर
सरकार ने की इस योजना से बड़ी पहल
अपने हालिया बजट में सरकार ने छुट्टा मवेशियों की सुरक्षा के लिए 2,000 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं. यह पहले दिए गए 1,001 करोड़ रुपये के अतिरिक्त है. इसके अलावा 543 नयी गौशालाओं को मंजूरी दी गई है. प्रत्येक बड़ी गौशाला के लिए 1.60 करोड़ रुपये की अतिरिक्त धनराशि दी गई है. राज्य सरकार पशुपालकों को मवेशी पालने के लिए लगातार प्रोत्साहित कर रही है। पशुपालन मंत्री धर्मपाल सिंह ने मीडिया से कहा, ष्हम गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हर स्तर पर काम कर रहे हैं. राष्ट्रीय दुग्ध विकास बोर्ड, कृषि विभाग और अन्य हितधारकों से बात करके हम सभी पशुशालाओं में ‘वर्मीकम्पोस्ट’ बनाएंगे. इसे किसानों को बेचा जाएगा और गाय आधारित प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। मवेशी पालन को बढ़ावा देने के लिए सरकार नंदिनी कृषक समृद्धि योजना के तहत देशी नस्लों को बढ़ावा दे रही है. साथ ही बैंक ऋण पर 50 प्रतिशत सब्सिडी दे रही है. अमृत धारा योजना 10 लाख रुपये तक की सब्सिडी वाले ऋण प्रदान करती है. तीन लाख रुपये से कम के ऋण के लिए किसी गारंटर की आवश्यकता नहीं होती है। मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा, ष्इसके लिए परियोजनाओं पर काम किया जा रहा है और नाबार्ड (राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक) जैसे संगठनों से भी मदद ली जाएगी.ष् हाल में समाप्त हुए महाकुंभ के दौरान पशुपालन और दुग्ध विकास मंत्रालय ने गहन विचार-विमर्श किया और पर्यावरण के अनुकूल कृषि में गौशालाओं की भूमिका को मजबूत करने के लिए रणनीतिक योजनाएं तैयार कीं। अधिकारी ने कहा कि इस कृषि पद्धति में मवेशी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इसमें गाय के गोबर और मूत्र को जैविक उर्वरक के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि इससे किसानों को दोहरा लाभ मिलेगा. उन्होंने कहा कि उनके परिवारों को शुद्ध दूध मिलेगा और जैविक उर्वरकों के माध्यम से मिट्टी की उर्वरता भी बढ़ेगी. अधिकारी ने कहा कि समय के साथ ये प्रयास गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनने में मदद करेंगे। विभाग के एक अधिकारी ने कहा, ष्योजनाओं के अनुसार गाय के गोबर और मूत्र का उपयोग पर्यावरण के अनुकूल कृषि पद्धतियों के लिए किया जाएगा. साथ ही किसानों और गौशालाओं के कर्मचारियों को मवेशियों के पोषण में सुधार के लिए चारा उत्पादन और संरक्षण के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार लोगों के स्वास्थ्य और भूमि एवं पानी की गुणवत्ता को प्राथमिकता दे रही है, जिसके तहत प्राकृतिक खेती पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. यह एक ऐसी विधि है जिसमें खेती के लिए रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक का इस्तेमाल नहीं किया जाता।