रविकिशन पर सीएम योगी की चुटकी, कालीबाड़ी मंदिर और योगानंद की विरासत पर भी बोले

रविकिशन पर सीएम योगी की चुटकी, कालीबाड़ी मंदिर और योगानंद की विरासत पर भी बोले
CM Yogi took a dig at Ravi Kishan, also spoke on Kalibari temple and Yogananda's legacy

गोरखपुर में एक जनसभा के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कालीबाड़ी मंदिर, शहर के विकास कार्यों और सांसद रविकिशन को लेकर कई दिलचस्प टिप्पणियाँ कीं। उन्होंने जहां गोरखपुर की जनता की विकासशील सोच की सराहना की, वहीं मज़ाकिया अंदाज़ में रविकिशन पर चुटकी भी ली।

मुख्यमंत्री ने सबसे पहले कालीबाड़ी मंदिर का ज़िक्र करते हुए कहा कि, "आजकल कालीबाड़ी के बाबा दिखाई नहीं दे रहे। पिछले पांच-छह महीने से शायद कहीं तपस्या में गए हैं। अब तो कालीबाड़ी मंदिर काफी बड़ा बन गया है।" उन्होंने आगे कहा कि गोरखपुर की जनता ने विकास के किसी भी कार्य में कभी कोई बाधा नहीं डाली।

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सीएम योगी ने नाला, नाली और सड़क चौड़ीकरण जैसे कार्यों में जनता के सहयोग को सराहा और कहा कि, "यहां के लोग विकास को लेकर बहुत सहयोगी हैं, यही वजह है कि कार्य समय पर पूरे हो रहे हैं।"

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इसके बाद सीएम ने सांसद रविकिशन पर हल्के-फुल्के अंदाज़ में तंज कसते हुए कहा, "रामगढ़ताल के किनारे शीशमहल भी बन गया है। सांसद शायद पहली बार आए हैं। पहले आए थे कि नहीं? 132 वर्ष किसी की उम्र नहीं होगी सिवाय रविकिशन के। आपने वोट लिया, लेकिन कभी मिलने नहीं आए। कितनों को भोजन के लिए बुलाया? आज आए हैं।"

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इस मज़ाक के बीच रविकिशन ने भी सभा को संबोधित किया और गोरखपुर की आध्यात्मिक विरासत पर ज़ोर देते हुए कहा कि, "जिनके योग को पूरी दुनिया मान रही है, ऐसे परमहंस योगानंद का जन्म गोरखपुर में हुआ है। इस स्थल को पर्यटन के रूप में विकसित करने का जो प्रयास हो रहा है, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए बहुत लाभकारी सिद्ध होगा।"

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रविकिशन ने बताया कि जब वह लॉस एंजिल्स में शूटिंग कर रहे थे, तब उन्हें योगानंद के बारे में पता चला। उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं मालूम था कि परमहंस योगानंद का जन्म गोरखपुर में हुआ था। इस स्थल के विकसित हो जाने के बाद विदेशों से पर्यटक और छात्र यहां आएंगे, जिससे आने वाली पीढ़ियों को बड़ा लाभ मिलेगा।

सभा के अंत में रविकिशन ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रशंसा करते हुए कहा कि वे हिंदुओं के रक्षक के रूप में भारतीय परंपराओं और संस्कृति की जड़ों को जीवित रखे हुए हैं।

इस पूरे आयोजन में विकास, विरासत और व्यंग्य का अनोखा संगम देखने को मिला, जो गोरखपुर की राजनीति को न सिर्फ रोचक बनाता है, बल्कि इसकी संस्कृति को भी जीवंत बनाए रखता है।

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