इलाहाबाद हाई कोर्ट का बड़ा फैसला: अब मकान मालिक की मर्जी से खाली करनी होगी किराए की दुकान
इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: मालिक कहे तो खाली करनी होगी दुकान
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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मकान मालिक की संपत्ति को लेकर एक अहम फैसला सुनाया है। यह फैसला किराएदारी कानून के तहत काफी मायने रखता है। कोर्ट ने अपने फैसले में साफ बताया है कि मकान मालिक को अपनी संपत्ति पर क्या अधिकार है और वह उसे कैसे इस्तेमाल कर सकता है। इससे अब किराएदारों को भी यह समझ में आ जाएगा कि उनके अधिकार की सीमा क्या है।
संपत्ति के इस्तेमाल पर हाई कोर्ट की राय
हाई कोर्ट ने अपने आदेश में यह स्पष्ट कर दिया है कि मकान मालिक को अपनी संपत्ति के इस्तेमाल का पूरा हक है। यह फैसला खासतौर पर उन मामलों में मदद करेगा जहां किराएदार और मकान मालिक के बीच विवाद होता है। कोर्ट ने मकान मालिक के हक में यह कहते हुए फैसला दिया कि वह अपनी संपत्ति का उपयोग अपने हिसाब से कर सकता है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में साफ कहा है कि मकान मालिक अपनी संपत्ति का इस्तेमाल अपनी जरूरत के अनुसार कर सकता है। अगर मकान मालिक को जरूरत हो, तो वह किराएदार से प्रॉपर्टी खाली करा सकता है। कोर्ट ने कहा कि मकान मालिक के कहने पर किराएदार को दुकान या मकान खाली करना ही होगा।
क्या है मामला?
यह मामला मेरठ के जुल्फिकार अहमद से जुड़ा है। उन्होंने इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी, जिसे कोर्ट ने जस्टिस अजीत कुमार की बेंच ने खारिज कर दिया।
यह मामला कोर्ट पहुंचा और कोर्ट ने दुकान खाली करने का आदेश दे दिया। जुल्फिकार ने इस आदेश के खिलाफ फिर से हाई कोर्ट में अपील की, लेकिन वहां से भी उन्हें राहत नहीं मिली।
किराएदार की दलील क्या थी?
जुल्फिकार के वकील ने कोर्ट में कहा कि जहांगीर तीसरी दुकान में अपना काम चला सकते हैं, इसलिए किराए की दुकान खाली करवाना जरूरी नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि किराएदारी कानून के अनुसार किराएदार के हित सबसे पहले आते हैं।
मकान मालिक की तरफ से क्या कहा गया?
मकान मालिक के वकील रजत ऐरन और राज कुमार सिंह ने कोर्ट में दलील दी कि जहांगीर को तीनों दुकानों की जरूरत है, और उन्होंने अपनी जरूरत को सबूतों के साथ साबित किया है। उन्होंने कहा कि मकान मालिक को तय करने का पूरा हक है कि वह अपनी संपत्ति का कैसे इस्तेमाल करेगा, और इसमें किराएदार का दखल नहीं होना चाहिए।
कोर्ट ने क्या कहा?
कोर्ट ने मकान मालिक की दलीलों को सही माना और कहा कि अपनी ही दुकान में काम करने के लिए मकान मालिक को मजबूर नहीं किया जा सकता कि वह किराएदार की मर्जी से चले। मकान मालिक को अपनी संपत्ति को लेकर निर्णय लेने का पूरा अधिकार है। अंत में, हाई कोर्ट ने जुल्फिकार की याचिका खारिज कर दी और कहा कि किराएदार को मकान मालिक के फैसले का पालन करना ही होगा।
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हर्ष शर्मा उत्तर प्रदेश में सक्रिय एक युवा डिजिटल पत्रकार हैं। उन्होंने Inkhabar, Expose India और Times Bull जैसे प्लेटफॉर्म्स पर कंटेंट राइटिंग और सोशल मीडिया मैनेजमेंट में काम किया है। SEO फ्रेंडली लेखन और डिजिटल न्यूज प्रोडक्शन में अनुभव रखते हैं। वर्तमान में भारतीय बस्ती में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।