देश के इस हिस्से में अगले दो-तीन महीने में आ सकता है भीषण तूफान, हो सकती है मूसलाधार बारिश, अलर्ट जारी
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खबरों के मुताबिक, राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान के पूर्व निदेशक और एमेरिटस वैज्ञानिक एस प्रसन्ना कुमार ने इस विषय पर कहा है कि प्रशांत महासागर में एल नीनो चरण की समाप्ति और ला नीना स्थितियों की शुरुआत की वज़ह से, पश्चिमी प्रशांत महासागर और पूर्वी हिंद महासागर गर्म होते जा रहे हैं, इसी कारण से वातावरण में नमी बढ़ गई है. अब अगस्त महीने में भीषण बारिश की संभावना है अथवा मॉनसून के मौसम में वृद्धि हो सकती है.
गर्म होने से अधिक ट्रॉपिकल चक्रवात उत्पन्न हो रहे?
एक नए रिसर्च पेपर के अनुसार, प्रसन्ना कुमार द्वारा नेतृत्व की गई टीम ने एक महत्वपूर्ण प्रश्न पर ध्यान केंद्रित किया है - क्या उत्तरी हिंद महासागर के गर्म होने से अधिक ट्रॉपिकल चक्रवात उत्पन्न हो रहे हैं. इस रिसर्च पेपर का अनुमान है कि यह अगस्त महीने में प्रकाशित किया जा सकता है. इस पेपर के सह-लेखकों में एनआईओ के आरएस अभिनव और जायु नार्वेकर शामिल हैं. साथ ही, विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर की एवेलिन फ्रांसिस ने भी इस पेपर में को-ऑथर हैं.
प्रसन्ना कुमार ने बताया है कि 'अरब सागर में चक्रवातों की ताकत में वृद्धि दिखाई दे रही है.' उन्होंने बताया कि 'बंगाल की खाड़ी में कुल चक्रवातों की संख्या में कुछ कमी हो सकती है, लेकिन गंभीर चक्रवातों की संख्या में वृद्धि दर्ज की गई है.' आगे उन्होंने यह भी कहा कि 'अरब सागर अटलांटिक और प्रशांत महासागरों की तुलना में बहुत तेजी से गर्म हो रहा है, इसलिए मॉनसून के मौसम के बाद बड़ी संख्या में चक्रवात उत्पन्न हो सकते हैं.'
उन्होंने यह कहा कि 'साउथवेस्ट मॉनसून सत्र के समाप्त होते ही अधिक तीव्रता वाले चक्रवात लहर आ सकते हैं, लोगों को अधिक सावधानी बरतनी पड़ेगी.'
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वागार्थ सांकृत्यायन
संपादक, भारतीय बस्ती
वागार्थ सांकृत्यायन एक प्रतिबद्ध और जमीनी सरोकारों से जुड़े पत्रकार हैं, जो पिछले कई वर्षों से पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। भारतीय बस्ती के संपादक के रूप में वे खबरों को सिर्फ़ घटनाओं की सूचना तक सीमित नहीं रखते, बल्कि उनके सामाजिक और मानवीय पक्ष को भी उजागर करते हैं।
उन्होंने भारतीय बस्ती को एक मिशन के रूप में विकसित किया है—जिसका उद्देश्य है गांव, कस्बे और छोटे शहरों की अनसुनी आवाज़ों को मुख्यधारा की मीडिया तक पहुंचाना। उत्तर प्रदेश की राजनीति, समाज और संस्कृति पर उनकी विशेष पकड़ है, जो खबरों को गहराई और विश्वसनीयता प्रदान करती है