ये देशभक्त कर रहे ओलंपिक आंदोलन को भारत में मजबूत

The Olympic Games 2024

ये देशभक्त कर रहे ओलंपिक आंदोलन को भारत में मजबूत
The Olympic Games 2024

आर.के. सिन्हा
ओलंपिक खेल दुनिया को जोड़ते हैं, यह किसी को बताने की जरूरत नहीं है. इसके बहाने हर चार सालों के बाद दुनियाभर के खेल प्रेमियों को एक से बढ़कर एक खिलाड़ियों के श्रेष्ठ प्रदर्शन को देखने का मौका भी मिलता है. जो खिलाड़ी ओलंपिक खेलों में पदक प्राप्त करते हैं, वे सारी दुनिया में अपनी छाप छोड़ते हैं. हमारे अपने देश में फिलहाल ओलंपिक खेलों  की विभिन्न स्पर्धाओं को खेल प्रेमी ध्यान से देख रहे हैं. लेकिन, कुछ लोग और संस्थाएं भी ओलंपिक आंदोलन को गति प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करती हैं. उनमें राजधानी के सेंट स्टीफंस कॉलेज को स्थापित करने वाली संस्था दिल्ली ब्रदरहुड सोसायटी (डीबीएस) और सीमा सुरक्षा बल यानी बीएसएफ के पूर्व महानिदेशक अश्वनी कुमार जैसे महानुभावों का शानदार योगदान रहा है. जब देश मनु भाकर के कांस्य पदक जीतने पर खुशी मना रहा था, तब राजधानी में ब्रदर्स हाउस में भी मनु भाकर की जीत का जश्न मनाया जा रहा था. वहां रहने वाले ईसाई पादरी इस बात पर और भी खुश थे कि मनु के कोच जसपाल राणा उनसे संबंधित हैं. दरअसल, राणा सेंट स्टीफेंस कॉलेज के  छात्र रहे हैं, जिसे दिल्ली ब्रदरहुड सोसाइटी (डीबीएस) द्वारा स्थापित किया गया था.

दिल्ली ब्रदरहुड सोसाइटी (डीबीए) राजधानी में अपने सेंट स्टीफेंस कॉलेज और अब हरियाणा में सोनीपत में सेंट स्टीफेंस कैम्ब्रिज स्कूल के माध्यम से भारत में खेल संस्कृति विकसित करने में उल्लेखनीय काम करते आ रहे हैं . इस कॉलेज ने कई महान ओलंपिक खिलाड़ियों को तैयार किया. यह शिक्षा, समाज सेवा सेवा और उभरते एथलीटों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रतिबद्ध रही है. इस कॉलेज ने ऐसे खिलाड़ियों की फौज निकाली है जिन्होंने ओलंपिक   या अन्य खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है. डॉ. कर्णी सिंह निश्चित रूप से सेंट स्टीफेंस कॉलेज के सबसे प्रसिद्ध ओलंपियन हैं. उन्होंने 1960, 1964, 1968, 1972 और 1980 ओलंपिक में शूटिंग प्रतियोगिताओं में भाग लिया. प्रसिद्ध खेल प्रशासक और सेंट स्टीफेंस कॉलेज के पूर्व छात्र रणधीर सिंह ने भी 1968 से 1984 तक पांच ओलंपिक खेलों में भाग लिया. एक असाधारण निशानेबाज, मनशेर सिंह ने 2004 और 2008 ओलंपिक में भाग लिया. रणधीर सिंह और मनशेर सिंह ने सेंट स्टीफेंस कॉलेज में पढ़ाई की और वहां अपनी शूटिंग कौशल को निखारा. मनशेर "जॉय" सिंह डबल ट्रैप और ट्रैप में विशेषज्ञ हैं. 2008 के ओलंपिक खेलों में, वे ट्रैप क्वालीफिकेशन में पहले स्थान पर रहे.  इसके अलावा, उनके पास एशियाई खेलों और राष्ट्रमंडल खेलों के अनेक पदक हैं. 1994 में विक्टोरिया, ब्रिटिश कोलंबिया में राष्ट्रमंडल खेलों में, उन्होंने ट्रैप स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता था. दिल्ली ब्रदरहुड सोसायटी की तरफ से यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया जाता है कि इनके  छात्र न केवल शिक्षा में बल्कि खेल और अन्य गतिविधियों में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन करें और आदर्श नागरिक बनें.  यह अपने यहां पढ़ने वालों को हर संभव सुविधा प्रदान करते हैं. इसी दृष्टिकोण के साथ, सेंट स्टीफेंस कैम्ब्रिज स्कूल, जो हाल ही में दिल्ली-सोनीपत सीमा पर स्थापित हुआ है, विभिन्न खेलों के लिए आधुनिक सुविधाएँ प्रदान कर रहा है, जिसका उद्देश्य भारत के लिए भविष्य के ओलंपियन तैयार करना है.

यह भी पढ़ें: गैस सिलेंडर से लेकर बिजली बिल भरना हो जाएगा महंगा !, 1अगस्त से बदल जाएंगी ये चीजें, देखें पूरी लिस्ट

रोम खेलों के दौरान, सेंट स्टीफंस कॉलेज में गणित के प्रोफेसर रणजीत भाटिया ने मैराथन में भाग लिया था. 2000 के सिडनी ओलंपिक में, सेंट स्टीफंस कॉलेज के पीयूष कुमार ने 4x400 मीटर रिले दौड़ में भाग लिया था, और संदीप सेजवाल ने 100 और 200 मीटर ब्रेस्टस्ट्रोक तैराकी स्पर्धाओं में भाग लिया था. सेंट स्टीफंस कॉलेज की पूर्व छात्रा, टेबल टेनिस खिलाड़ी नेहा अग्रवाल ने 2008 के बीजिंग ओलंपिक में भाग लिया था.

यह भी पढ़ें: देश के इस हिस्से में अगले दो-तीन महीने में आ सकता है भीषण तूफान, हो सकती है मूसलाधार बारिश, अलर्ट जारी

अब बात कर लें   अश्वनी कुमार जी की. वे भारत में ओलंपिक खिलाड़ियों की भावी पीढ़ी को प्रेरित करते रहेंगे.  वे बीएसएफ के दूसरे महानिदेशक थे. उन्होंने  1972 के म्युनिख ओलंपिक के बाद ओलंपिक खेलों के सुरक्षा पहलुओं की निगरानी की थी. वे मॉन्ट्रियल (1976), मॉस्को (1980), लॉस एंजिल्स (1984), बार्सिलोना (1992), अटलांटा (1996) और सिडनी (2000) खेलों की सुरक्षा टीम का नेतृत्व कर रहे थे. 1972 के म्यूनिख ओलंपिक खेलों में फिलिस्तीनी आतंकवादियों ने ओलंपिक गांव पर हमला  करके इजरायली टीम के दो सदस्यों को मार भी डाला था.

यह भी पढ़ें: UP Politics: जब राजनाथ सरकार के ऐसे ही फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने लगा दी थी रोक

म्यूनिख के बाद, ग्रीष्मकालीन और शीतकालीन ओलंपिक खेलों को बिना किसी अप्रिय घटना के आयोजित करने की मांग उठने लगी थी . तब अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) ने अश्वनी कुमार से खेलों के सुरक्षा पहलुओं की देखभाल करने का अनुरोध किया. आईओसी को पता था कि वे पुलिसिंग जानते हैं. हॉकी प्रेमी और इम्पीरियल पुलिस (आईपी) अधिकारी (अब भारतीय पुलिस सेवा), अश्वनी कुमार ने  म्यूनिख के बाद के ओलंपिक खेलों में, ओलंपिक गांवों और स्टेडियमों सुरक्षा को बढ़ा दिया था. यह भी सच है कि बढ़ी हुई सुरक्षा ने उस उत्सवपूर्ण और खुले माहौल को कम कर दिया जो ओलंपिक का मूल है. लेकिन, म्यूनिख में हादसे के बाद आयोजकों के पास कोई विकल्प भी तो नहीं था.

अश्वनी कुमार को देश ने पहली बार तब जाना था जब उन्होंने पंजाब के मुख्यमंत्री प्रताप सिंह कैरों के हत्यारे सुच्चा सिंह को नेपाल में जाकर पकड़ा था. कैरों राजधानी में अपने मित्र से मिलकर वापस चडीगढ़ जा रहे थे. रास्ते में सोनीपत के पास राई में उनका सुच्चा सिंह और उनके साथियों ने कत्ल कर दिया था. अश्वनी कुमार नेपाल में सुच्चा सिंह का पीछा करते हुए काफी दूर तक भागे थे. दोनों में हाथापाई हुई. पर अश्वनी कुमार के घूंसों की बौछार ने सुच्चा सिंह को पस्त कर दिया था. इससे पहले भारत सरकार ने उन्हें 1951 में सौराष्ट्र के खूंखार डाकू भूपत गिरोह को खत्म करने के लिए भेजा था. वहां पर भी वे सफल हुए थे. हॉकी में तो मानों उनकी जान बसती थी. उन्होंने अपनी एक बेटी का नाम ही हॉकी रख दिया था. पंजाब पुलिस में रहते हुए वे भारतीय हॉकी संघ के अध्यक्ष बने. वहां से वे फिऱ भारतीय ओलंपिक संघ से भी जुड़ गए.

 बहरहाल, सारा देश यह उम्मीद कर रहा है कि पेरिस ओलंपिक खेलों में भारत के हिस्से में  पूर्व के ओलंपिक खेलों से अधिक पदक मिलेंगे.  (लेखक  वरिष्ठ संपादक, स्तंभकार और पूर्व सांसद हैं)

On

Join Basti News WhatsApp

ताजा खबरें

Lucknow Property News: लखनऊ में पाएं सपनों का 1BHK/ 2BHK/ 3BHK/ 4BHK Ready To Move फ्लैट, यहां जानें पूरी जानकारी
यूपी के इस जिले में पांच जिन तक बंद रहेगा रेलवे फाटक, अब इस रूट का करना होगा इस्तेमाल
यूपी के इस जिले को मिलेगी पांचवीं Vande Bharat Express, एक साथ जुड़ेंगे तीन राज्य, जानें- रूट और टाइमिंग
Watch: यूपी आ रही वंदेभारत में लोकोपायलट्स के बीच मारपीट, तोड़ दिया केबिन का शीशा, Video Viral
यूपी में बस्ती, लखनऊ, प्रयागराज अमेठी समेत 11 जिलों के बीच चलेगी AC बस, अयोध्या होगा सेंटर प्वाइंट, जानें- रूट और किराया
Indian Railway News: दीपावली और छठ में यूपी के लिए 96 स्पेशल ट्रेनें चलाएगा भारतीय रेलवे, यहां देखें लिस्ट, बुकिंग शुरू
यूपी के 3 जिलों से देहरादून के लिए चलेगी लग्जरी बस, जानें- रूट, किराया और टाइमिंग
अयोध्या रिंग रोड बन जाने से होंगे ये फायदे, 3 National Highways पर कम होगा ट्रैफिक, राम मंदिर का दर्शन आसान
यूपी के इस जिले में अब चलेंगी इलेक्ट्रिक बसें, नेपाल से बिहार बॉर्डर तक कर पाएंगे सफर
यूपी के इस जिले में बनेगा मेट्रो का नया रूट, दो राज्यों से बढ़ेगा संपर्क, जुड़ेंगे ये स्टेशन