निजी कम्पनियों की समाजसेवा और सीएसआर फंड
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यदि निजी क्षेत्र की कम्पनियां नियमानुसार मुनाफे के 2 प्रतिशत की धनराशि ग्रामीण क्षेत्रों के विकास पर व्यय करें तो कई कल्याणकारी योजनाओं को गति मिल सकती है और भुखमरी जैसी समस्याओं को जड़ से समाप्त करना संभव हो सकता है।
मूल प्रश्न यह कि आखिर अरबों रूपयों के मुनाफे की घोषणा करने वाली निजी क्षेत्र के कुछ कम्पनियों के सीएसआर फंड कहां खर्च हो रहे हैं ?
सच तो ये है कि सीएसआर फंड (CSR Fund) के व्यय का सुनिश्चित आंकड़ा सरकार के पास है ही नहीं और चंद कथित सामाजिक संस्थायें मिलीभगत कर लम्बा खेल कर रही है और इसका लाभ उन तक नहीं पहुंच पा रहा है जिस उद्देश्य को लेकर यह योजना बनायी गई थी।
यदि सरकार थोड़ी निगरानी बढायें और निजी कम्पनियों को क्षेत्र एवं कार्य योजना में भागीदारी का दायित्व दिया जाय तो सीएसआर फंड न केवल पात्रों तक पहुंचेगा वरन इससे होने वाले विकास की गति का भी आकलन हो सकेगा। यदि निजी कम्पनियां सीएसआर के धन का सदपुयोग करें तो अनेक चेहरों पर मुस्कान लाई जा सकती है।
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