OPINION: क्या है तालिबानी सोच ?
तनवीर जाफ़री
वैसे तो इस समय अफ़ग़ानिस्तान में तालिबानी सरकार सत्ता में है. अमेरिकी सेना से दो दशक की लड़ाई के बाद अफ़ग़ानिस्तान में 15 अगस्त, 2021 को तालिबान की वापसी हुई. निश्चित रूप से तालिबानों ने वहां की राष्ट्रपति अशरफ़ ग़नी सरकार के साथ बिना किसी ख़ून ख़राबे के हुये संघर्ष के बाद सत्ता पर बलात क़ब्ज़ा जमाया है. चीन सहित कई देशों ने उसे मान्यता भी दे दी है. परन्तु दरअसल तालिबानों का नाम 1990 के दशक से ही बदनाम है जबकि इसकी लगाम कट्टरपंथी तालिबानी नेता मुल्ला उमर के हाथों में थी. हालांकि पाकिस्तान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों ने तो 1996 में अफ़ग़ानिस्तान में मुल्ला उमर की सरकार को भी मान्यता दे दी थी. दरअसल तालिबानी शब्द प्रायः तालिब इल्म के साथ प्रचलित शब्द है. तालिब इल्म का अर्थ विद्यार्थी अर्थात विद्या का चाहने वाला विद्या की तलब रखने वाले इसी तरह इल्म का तलबगार तालिब इल्म कहा जायेगा. परन्तु तालिबान सत्ता से लेकर सत्ता संघर्ष या अमेरिका विरोधी संघर्ष के दौरान धार्मिक मान्यताओं या शरीया क़ानून के नाम पर अपने ही देश के लोगों के साथ बर्बरता से पेश आये. इसी संगठन के लोग सज़ा के तौर लोगों को सरे आम गोलियों से उड़ा देते थे. लोगों की गर्दनें काट देते. स्कूलों को बमों से उड़ा देते. शिक्षा, ख़ासकर महिला शिक्षा का विरोध करते. अन्य धर्मों व धर्मस्थलों के प्रति असहिष्णुता पूर्ण रवैय्या अपनाते. इसी मानवाधिकार विरोधी क्रूर हरकतों के चलते इन्हें पूरे विश्व में एक कट्टरपंथी जमाअत के रूप में देखा जाने लगा. गोया कट्टरपंथी सोच को ही 'तालिबानी सोच' कहा जाने लगा. कुछ उसी तरह जैसे तानाशाही का पर्यायवाची 'हिटलर शाही ' बन चुका है.
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