Main Ayodhya Hoon : Opinion | वक्त किसी को नहीं छोड़ता
मुझ अयोध्या को भी नही छोड़ा.पापनाशिनी पावन सलिला सरयू के तट पर बसी और और सुन्दरता में इन्द्र की नगरी को भी मात देने वाली मुझ अयोध्या को टिन टप्पर वाली नगरी के रुप में जाना जाने लगा.
राम की पैड़ी बनी तो लेकिन समूचे फैजाबाद और अयोध्या के गंदे नाले राम की पैड़ी में गिरने लगे और उसमें सेवार पैदा हो गये.
फिर भी आस्था का आलम देखिये कि देश और विदेशो से आने वाले श्रद्धालु उसी राम की पैड़ी में भी स्नान करने से नही चूकते.जब कि स्थानीय लोग उधर से गुजरते समय मुह पर रुमाल रख कर गुजरने को बाध्य है.
यह भी हो गया औपचारिक
जब राम जी श्री लंका विजय के बाद अयोध्या लौटे तो राम की नगरी को दीपो से सजाया गया था और दीपावली का पर्व मनाया गया.
धीरे धीरे यह पर्व भी औपचारिक हो गया.
अब पुनः उत्तर प्र ने दीपोत्सव की शरुआत कर, राम जी की सबसे ऊंची मूर्ति लगाने को कार्यरुप देकर और आधुनिक अयोध्या बसाने का जो अभियान शुरु किया उससे अब यह भरोसा हो चला है कि अयोध्या का दिन भी लौटेगा और मुझ अयोध्या नया रुप मिलेगा.
Main Ayodhya Hoon
मैं अयोध्या हूं. सभ्यता का आदि स्रोत राम जी की नगरी अयोध्या का दुनिया में कोई शानी नही है. सरयू का अवतरण अपने आप में विचित्र कथानक को अपने आप में संजोये हुए है. सरयू के बारे में कहा गया था ‘अल्प पंक नहि तीर’ लेकिन अब पंक ही पंक दिखायी देता है.
पहले के लोगों को जानकारी है कि सरयू में कभी खेंचुहो की भरमार थी. लोगो को उन्ही के बीच में स्नान करना होता था लेकिन वे किसी स्नानार्थी के लिये नुकसानदेह नहीं थे बल्की बच्चे उनसे खेलते थे.
विगत दिनों सरयू में मगरमच्छ देखे गये और मगरमच्छों के कारण स्नान करने वालों को सचेत किया गया और बच्चों पर रोक लगाते हुए कहा गया कि अभिभावको के बिना बच्चे स्नान करने न जांय. प्रशासन को इस ओर विशेष ध्यान देना चाहिये.
अयोध्या के सात सरोवरो का अपना अनोखा सौदर्य था. इन सरोवरों पर भूमाफियाों की गीध दृष्टि पड़ी और उन्होने इन सरोवरो को पाट कर कालोनियां बना लिया और अयोध्या के सौदर्य को मटियामेट कर दिया.
पूर्व मुख्यमंत्री श्रीपति मिश्र ने हर की पैड़ी की तर्ज पर राम की पैड़ी बनाया तो लेकिन वह अधूरी रह गयी और उसका स्वरुप नही विकसित हो पाया.
मूर्ति बनने से संवर जाएंगे दिन?
योगी आदित्यनाथ के मुख्मंत्री बनने के बाद दीपोत्सव के साथ ही अयोध्या को सरयू तट पर नये ढंग से बसाने और 208 मीटर ऊंची राम जी की मूर्ति स्थापित करने के अभियान से टिनटप्पर कही जाने वाली अयोध्या के दिन संवरने वाले है.
यदि समय रहते राम जी की मूर्ति की स्थापना और आधुनिक अयोध्या को अंतिम रुप दिया जा सका तो निस्संदेह अयोध्या का पर्यटन के क्षेत्र में भी आकर्षण बढ़ेगा और अयोध्या का कायाकल्प हो सकेगा.
आपसी बातचीत और समितियों के गठन के सभी प्रयोगो के बिफल होने के बाद देश की सबसे बड़ी अदालत ने राम मंदिर के प्रकरण की सुनवाई दिन प्रतिदिन यानि सप्ताह में पांच दिन कर रही है और सुनवाई के दौरान तमाम नये नये पक्ष सामने आ रहे हैं.
अब तो यहां तक कहा जा रहा है कि राम जी के मंदिर को बाबर के आदेश से मीरवाकी ने तोड़ा ही नहीं. मंदिर को 1528 में नही 1660 में औंरगजेब के आदेश से तोड़ा गया.
औरंगजेब के Ayodhya आने का प्रमाण
वैसे औरंगजेब के अयोध्या आने का कोई प्रमाण नही मिलता लेकिन पक्षकार अब अदालत में भी यह नया और गढ़ा मथा रख रहे हैं कि राम मंदिर को बाबर के आदेश से तोड़ा ही नही गया . इसे औंगजेब ने तोड़़वाया.
प्रकरण अदालत में है. सवाल यह नही है मंदिर को बाबर के आदेश से तोड़ा गया या औरंगजेब के आदेश से तोड़ा गया. इस बात में अब संदेह की कोई गुंजाइश नहीं है.
बाबरी मस्जिद का निर्माण राम जी का मंदिर तोड़ कर उसी के मलवे से की गयी यह अदालत के संज्ञान में पूरे प्रमण के साथ आ गया है.
इस स्थान पर राम जी का मंदिर था. अदालत अपने विवेक से हर स्तर पर पक्षकारो की सुनवाई कर रही है .
पक्षकार भी अपनी तत्परता से तथ्यों को प्रस्तुत कर सर्वमान्य निष्कर्ष तक पहुंचने के प्रयास में है. फैसला अदालत के हाथ में है उसी की प्रतीक्षा है.
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