कोरोना काल में बच्चों की कैसे देखभाल करेगी एक्यूप्रेशर की रंग चिकित्सा, जानें यहां

कोरोना काल में बच्चों की कैसे देखभाल करेगी एक्यूप्रेशर की रंग चिकित्सा, जानें यहां
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विश्व संवाद परिषद योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा प्रकोष्ठ के उ.प्र.अध्यक्षा प्रोफेसर डॉ अर्चना दुबे ने बताया कि कोरोना काल के इस महामारी के समय में वैसे तो हर व्यक्ति परेशान है किंतु इसमें भी यदि देखा जाए तो हमारे बच्चे सबसे ज्यादा परेशान हैं. बच्चों में कोरोना होने पर एक बहुत बड़ी चुनौती होती है. छोटे बच्चों में इस समस्या के होने पर सबसे बड़ी तकलीफ यह होती है कि ना तो वह बड़ी-बड़ी दवाइयां खा सकते हैं, ना तो वह कड़वे स्वाद वाले एवं गर्म काढे का प्रयोग कर सकते हैं, ना तो उन्हें स्टीम लेना आता है, और ना ही वह गर्म पानी वगैरह पी सकते हैं.

उनकी इस परेशानी का दूसरा कारण यह भी है कि उनका इस समय लोगों से मिलना -जुलना पूरी तरीके से बंद है. बच्चे ना तो अपने दोस्तों से मिल सकते हैं, ना तो उनके घर जा सकते हैं और ना तो उन्हें अपने घर ही बुला सकते हैं. न वो पार्क जा सकते हैं, ना वह कहीं खेलकूद सकते हैं. खेलने के नाम पर केवल और केवल आज एक ही साधन है और वह हमारा मोबाइल. उस मोबाइल में विडंबना यह है कि वह मोबाइल भी ज्यादातर उनके माता-पिता के पास होता है क्योंकि उन्हें भी तो ऑफिस का सारा काम घर पर बैठकर ही मोबाइल एवं लैपटॉप की मदद से करना होता है.

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ऐसे में बच्चे पूरे टाइम घर पर अकेले बोर होते हैं और अकेलेपन की वजह से कई परेशानियां देखने को मिलती है.डॉ अर्चना दुबे बताया कि एक तरफ जहां बहुत छोटे बच्चों की यह समस्या देखने में आ रही है, वही हमारे टीनेजर्स में भी एक अलग ही प्रकार की परेशानियां देखने को मिल रहे हैं. उनके माता-पिता उन्हें ऑनलाइन क्लासेज के लिए मोबाइल दे देते हैं किंतु मोबाइल के अत्यधिक प्रयोग की वजह से उनके सिर में दर्द, आंखों में दर्द, चिड़चिड़ाहट, उदासी, डिप्रेशन जैसी अनेको समस्याओं का सामना करना पड़ता है.

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उ.प्र.अध्यक्षा प्रोफेसर डॉ अर्चना दुबे
उ.प्र.अध्यक्षा प्रोफेसर डॉ अर्चना दुबे

उपरोक्त सभी परेशानियों की वजह से एक मानसिक तनाव जाने – अनजाने बच्चों में बढ़ता जा रहा है और इसकी वजह से उनके रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी पर भी असर पड़ता है. मोबाइल की वजह से ना केवल उनकी शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ रहा है बल्कि उनके मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित होते हुए देखा जा सकता है जिसकी वजह से बच्चे देर रात तक जगते हैं और सुबह देर तक सोते हैं जिसके परिणाम स्वरूप उनके शरीर में विटामिन डी की कमी होकर उनके शरीर का वजन बढ़ना, भूख न लगना, किसी काम में मन न लगना, थकान, सुस्ती आलस्य कमजोरी, हाथ पैर में दर्द, तथा सिर दर्द जैसे लक्षण देखने में तो आते ही हैं किंतु इसके साथ ही इम्यूनिटी सिस्टम के कम हो जाने की वजह से उनमें कोरोना से प्रभावित होने अवसर भी अधिक हो जाते हैं इसलिए हमें इस कोरोना काल की महामारी के समय में बच्चों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए क्योंकि यह बच्चे ही हमारी कल के भविष्य हैं.

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अगर हमने इन पर आज ध्यान नहीं दिया तो कल इनके साथ एक बहुत बड़ी समस्या हो सकती है, इसलिए कोशिश करें कि –
आपका बच्चा सुबह समय पर उठे
-प्रतिदिन नियमित रूप से पौष्टिक नाश्ता करें जिसमें अनाज के साथ ही फल एवं दूध से बनी चीजें शामिल हो.
-इसके साथ ही उन्हें खाने में बींस का प्रयोग करना चाहिए. यह हमारे मस्तिष्क को ऑक्सीजन तथा रक्त की आपूर्ति करते हैं.
-आहार में सूखे मेवे एवं चॉकलेट खाने चाहिए जिससे हमारे मस्तिष्क के सीखने की क्षमता बढ़ती है, यह मस्तिष्क को तेज करता है, याददाश्त बढ़ाता है तथा एकाग्रता में होने वाली कमी में सुधार लाता है.
-इसके साथ ही उन्हें दिन भर में कभी-कभी कॉफी जैसी चीजों का प्रयोग करते रहना चाहिए. -कॉफी तथा चॉकलेट्स भी हमारे फोकस और चेतनता यानी अलर्टनेस को बढ़ावा देते हैं. -पर्याप्त मात्रा में नींद लेते रहे. -शरीर में तरल की भरपूर मात्रा रहनी चाहिए, इसलिए नियमित रूप से पानी, फलों के जूस, रसदार फल तथा शरबत आदि का प्रयोग करते रहना चाहिए. -अपनी सुविधानुसार सुबह या शाम (सुबह हो तो बहुत अच्छा है) 30 मिनट के लिए कम से कम कोई भी व्यायाम, या योग को अपनी दिनचर्या में जरूर शामिल करना चाहिए. इसके अलावा रोग से लड़ने की क्षमता बढ़ाने तथा कोरोना काल में इस बीमारी से बचने तथा उनमें होने वाली छोटी-मोटी परेशानियों के लिए एक्यूप्रेशर के रंग चिकित्सा का प्रयोग अत्यंत लाभदायक होता है. अतः इसका प्रयोग अवश्य करें.


*भूख कम लगने पर मध्यमा उंगली के स्थान पर चित्र में दिखाएं अनुसार बिंदु संख्या 1 पर पीले रंग का स्केच लगाया जाना चाहिए.
*पानी की कमी से होने वाले मुंह के छालों के लिए चित्र में दर्शाए अनुसार पहली अंगुली के बिंदु संख्या 2 पर काला रंग लगाए.
*बच्चों में कोरोना के संक्रमण से बचने, फेफड़ों की कार्य क्षमता बढ़ाने, तथा ऑक्सीजन का स्तर सामान्य बनाए रखने के लिए चित्र में दिखाएं अनुसार बिंदु संख्या 3 एवं 4 पर काले रंग का प्रयोग करना चाहिए.
(*विशेष नोट*- जिन बच्चों के घर में कोरोना के मरीज हो या उनके माता-पिता में कोरोना हो, उन बच्चों को इन दो बिंदुओं पर काले रंग का प्रयोग अवश्य करना चाहिए.)
*मोबाइल के अत्यधिक प्रयोग की वजह से कुछ बच्चों की आंखों में दर्द, जलन, पानी गिरना तथा सिर दर्द की समस्या देखी जाती है. इससे बचने के लिए उन्हें अंगूठे के नीचे वाले हिस्से में हथेली पर दिखाए अनुसार बिंदु संख्या 5 काला रंग लगाना चाहिए.
*सर्दी,खांसी, गले में खराश एवं बुखार आने पर चित्र में दिखाएं अनुसार बिंदु संख्या 6 पर लाल, बिंदु संख्या 7 पर हरा तथा बिंदु संख्या 8 पर काला रंग लगाया जाना चाहिए.
*मानसिक थकान की समस्या होने पर बच्चा दिन भर थका- थका सा महसूस करता है तथा उसका पढ़ने में मन नहीं लगता.ऐसा होने पर अंगूठे में बिंदु संख्या 8 के थोड़ा सा नीचे बिंदु संख्या 9 पर लाल रंग लगाना चाहिए.

*एकाग्रता तथा उत्साह की कमी होने पर चित्र में दिखाए गए अंगूठे में सबसे ऊपर बिंदु संख्या 10 पर लाल रंग का प्रयोग करना चाहिए.
अनियमित दिनचर्या, मोबाइल एवं लैपटॉप का अत्यधिक प्रयोग एवं कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए इन बिंदुओं का अवश्य प्रयोग करें क्योंकि इन बिंदुओं पर लगाए गए रंग हमारे शरीर के समस्त अंगों के साथ ही फेफड़ों की कार्य क्षमता को बढ़ाकर हमें कोरोना से लड़ने में मदद करते है तथा कोरोना से बचाव के साथ ही शरीर की अन्य बीमारियों के लिए भी सुरक्षा चक्र का काम करते है. अतः इस लॉकडाउन के समय में बच्चों को एक्यूप्रेशर के अंतर्गत आने वाले इस रंग चिकित्सा का प्रयोग करके सुरक्षित रखा जा सकता है.

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