सरकारी कर्मचारियों को मिलेगी पुरानी पेंशन! मोदी सरकार ला रही नई योजना

सरकारी कर्मचारियों को मिलेगी पुरानी पेंशन! मोदी सरकार ला रही नई योजना
सरकारी कर्मचारियों को मिलेगी पुरानी पेंशन!

सशस्त्र बलों को छोड़कर सभी केंद्रीय सरकारी कर्मचारी, जो अप्रैल 2004 के बाद संबंधित सेवाओं में शामिल हुए हैं, नई पेंशन प्रणाली (एनपीएस) के अंतर्गत आते हैं. दीगर है कि केंद्र ने 20 साल पहले पेंशन सुधारों के हिस्से के रूप में पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को समाप्त कर दिया था.तब से केंद्रीय और राज्य सरकार के कर्मचारी संघों द्वारा पुरानी व्यवस्था को बहाल करने की मांग उठाई जा रही है. जो लोग 2004 से पहले किसी भी केंद्रीय सरकारी सेवा में शामिल हुए हैं. वे अभी भी पुरानी पेंशन योजना के तहत आते हैं ऐसे में उन्हें गारंटीकृत पेंशन मिलती है.

केंद्र सरकार पहले भी कई बार कह चुकी है कि पुरानी व्यवस्था पर वापस जाने का सवाल ही नहीं उठता. अब दावा किया जा रहा है कि केंद्र सरकार राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के तहत केंद्रीय कर्मचारियों के अंतिम वेतन का 50% पेंशन के रूप में देने पर विचार कर रही है. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, पुरानी पेंशन योजना और नई पेंशन प्रणाली के बीच भुगतान असमानताओं को देखते हुए सरकार यह कदम उठा सकती है.

वित्त सचिव टी वी सोमनाथन की अध्यक्षता वाली एक समिति को यह जिम्मेदारी सौंपी गई थी कि वह ओपीएस में वापसी की मांग के विभिन्न पहलुओं पर गौर करे और सरकार को रिपोर्ट सौंपे. ओपीएस के तहत, केंद्र सरकार के कर्मचारियों को वेतन आयोग की सिफारिशों के साथ समायोजित उनके अंतिम वेतन का 50% आजीवन पेंशन मिलता है.

नई पेंशन योजना को लेकर कई कर्मचारी संगठनों ने कई शिकायतें की हैं. उनका दावा है कि दो पेंशन प्रणाली होने से न केवल एक ही संगठन से सेवानिवृत्त होने वाले और समान वर्षों तक सेवा देने वाले कर्मचारियों के बीच आय में असमानता पैदा हुई है, बल्कि यह एक साथ काम करने वाले दो कर्मचारियों के बीच एक स्पष्ट भेदभाव भी है. ये कर्मचारी इस आधार पर भी एनपीएस के खिलाफ हैं कि नई प्रणाली से उनके टेक-होम वेतन में 10% की कमी आती है. इस मुद्दे पर केंद्र पर दबाव बनाने के लिए, केंद्र सरकार के कर्मचारियों से जुड़े विभिन्न हलकों से ओपीएस को बहाल करने की मांग की गई है. हाल ही में, ऑल इंडिया रेलवेमेन फेडरेशन (एआईआरएफ) ने केंद्र को पत्र लिखकर पुरानी पेंशन प्रणाली को बहाल करने की मांग की है.

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वागार्थ सांकृत्यायन
संपादक, भारतीय बस्ती

वागार्थ सांकृत्यायन एक प्रतिबद्ध और जमीनी सरोकारों से जुड़े पत्रकार हैं, जो पिछले कई वर्षों से पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। भारतीय बस्ती के संपादक के रूप में वे खबरों को सिर्फ़ घटनाओं की सूचना तक सीमित नहीं रखते, बल्कि उनके सामाजिक और मानवीय पक्ष को भी उजागर करते हैं।

उन्होंने भारतीय बस्ती को एक मिशन के रूप में विकसित किया है—जिसका उद्देश्य है गांव, कस्बे और छोटे शहरों की अनसुनी आवाज़ों को मुख्यधारा की मीडिया तक पहुंचाना। उत्तर प्रदेश की राजनीति, समाज और संस्कृति पर उनकी विशेष पकड़ है, जो खबरों को गहराई और विश्वसनीयता प्रदान करती है