बापू-शास्त्री के देश में राजनीति की दिशा दृष्टि

-डॉ. श्रीनाथ सहाय-
महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने गांधी जी के बारे में कहा था कि “भविष्य की पीढ़ियों को इस बात पर विश्वास करने में मुश्किल होगी कि हाड़-मांस से बना ऐसा कोई व्यक्ति भी कभी धरती पर आया था.” गांधी के विचारों ने दुनिया भर के लोगों को न सिर्फ प्रेरित किया बल्कि करुणा, सहिष्णुता और शांति के .ष्टिकोण से भारत और दुनिया को बदलने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने अपने समस्त जीवन में सिद्धांतों और प्रथाओं को विकसित करने पर जोर दिया और साथ ही दुनिया भर में हाशिये के समूहों और उत्पीड़ित समुदायों की आवाज उठाने में भी अतुलनीय योगदान दिया. साथ ही महात्मा गांधी ने विश्व के बड़े नैतिक और राजनीतिक नेताओं जैसे- मार्टिन लूथर किंग जूनियर, नेल्सन मंडेला और दलाई लामा आदि को प्रेरित किया तथा लैटिन अमेरिका, एशिया, मध्य पूर्व तथा यूरोप में सामाजिक एवं राजनीतिक आंदोलनों को प्रभावित किया.20वीं सदी की सबसे प्रभावशाली वैश्विक शख्सियतों की सूची में महात्मा गांधी का नाम दर्ज है.
महात्मा गांधी ने राजनीति को सेवा का माध्यम बनाया था, आज राजनीति स्वार्थ और सत्ता की चाहत में डूबी दिखाई देती है. महात्मा गांधी ने जिस स्वस्थ समाज की कल्पना की थी वहां हिंसा, घृणा, भ्रष्टाचार, असहिष्णुता ने जगह बना ली है. आज देश में राजनीतिक फायदे के लिए मानवता का लहू बहाया जा रहा है. दो समूहों में दंगे कराकर अपने भविष्य को सुरक्षित करने के प्रयास किए जा रहे हैं. गांधी जी यह .ढ़तापूर्वक मानते थे कि स्वच्छता में ईश्वर का निवास होता है. गांधीजी समानता में विश्वास रखते थे और वे लगातार महिलाओं के सशक्तिकरण की बात करते थे. गांधीजी स्वयं एनी बेसेंट और सरोजिनी नायडू जैसी प्रतिष्ठित महिलाओं से प्रभावित थे. उन्होंने भारत के नीति निर्माताओं से विकास के एजेंडे के केंद्र में महिला-पुरुष समानता और महिला सशक्तिकरण को रखने की बात की.
गांधीजी आत्मनिर्भरता के सिद्धांत के प्रबल समर्थक थे. उन्होंने हमेश ‘स्वदेशी’ के बारे में बात की. वे आत्मनिर्भर और समरसतापूर्ण “आदर्श गांवों” के निर्माण की इच्छा रखते थे. वे विश्वास करते थे कि भारत की आत्मा गांवों में निवास करती है. उनके लिए, खादी सिर्फ एक राजनीतिक प्रतीक या राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक नहीं था बल्कि यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने का भी एक साधन भी था. आज हम ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों में पलायन की दुःखद प्रवृत्ति को देखते हैं. हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था कमजोर है और आजीविका के लिए पर्याप्त अवसर देने में विफल रही है. यह समय है कि देशवासी महात्मा की इच्छाओं का सम्मान करे और अपने गांवों की ओर लौटे. भारत में वास्तविक विकास तब होगा जब हम ग्रामीण भारत, विशेष रूप से हमारे किसानों, हमारे बुनकरों और हमारे कारीगरों को सशक्त बनाने में सक्षम होंगे.
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अपने पूरे जीवन में, गांधी जी ने बेहतर और उच्च कौशल हासिल करने पर जोर दिया. वह स्वयं जो भी करते थे उसमें कौशल को प्राप्त करने का अभ्यास करते थे. आज, जब हम उद्योग की मांग और शिक्षा प्रणाली द्वारा दी गई शिक्षा के बीच के अंतर की बात करते हैं, तो कौशल प्रशिक्षण की आवश्यकता अधिक स्पष्ट हो जाती है. अंत्योदय या सबसे गरीब, सबसे वंचित समूहों का उत्थान भी महात्मा गांधी के दिल के नजदीक का एक अभियान था. विकास के लिए गांधीजी का विचार सर्वोदय था, जो कि अंत्योदय के माध्यम से सभी का विकास करना था. अंत्योदय पर गांधीजी के दर्शन ने श्री दीन दयाल उपाध्याय जैसे नेताओं को प्रभावित किया. महात्मा गांधी द्वारा दिए गए गरीबी, भेदभाव और सामाजिक बुराइयों से मुक्त भारत के .ष्टिकोण को ध्यान में रखकर ही विकास के लिए कार्यक्रमों और नीतियों का कार्यान्वयन और रूपरेखा तैयार किया जाना चाहिए.
भारत के स्वतंत्रता संग्राम में गांधी जी के योगदान को नकारा नहीं जा सकता. उनकी अहिंसा की अवधारणा न केवल भारत को स्वतंत्रता दिलाने में सहायक हुई बल्कि इसके माध्यम से विश्व को शोषण और अत्याचार से निपटने के लिये एक और हथियार मिला. हालांकि आज ऐसा समय आ गया है जब अधिकतर लोग गांधी और उनके विचारों की आवश्यकता को ही नकार रहे हैं और वर्तमान समय में उनकी प्रासंगिकता पर प्रश्न उठाया जा रहा है. जानकर मानते हैं कि गांधी के विचार ऐसे समय में सबसे अधिक प्रासंगिक हैं जब लोग लालच, व्यापक हिंसा और भागदौड़ भरी जीवन-शैली के समाधान खोजने की कोशिश कर रहे हों. गांधी जी की अहिंसा और सत्याग्रह की अवधारणा की आज सबसे अधिक आवश्यकता है, क्योंकि यही वह समय है जब मात्र प्रतिशोध के नाम पर किसी की भी हत्या कर दी जाती है और अपने आलोचकों को दुश्मन से अधिक कुछ नहीं समझा जाता. संयुक्त राज्य अमेरिका में मार्टिन लूथर किंग, दक्षिण अफ्रीका में नेल्सन मंडेला और अब म्यांमार में आंग सान सू की जैसे लोगों के नेतृत्व में दुनिया भर में कई उत्पीड़ित समाजों द्वारा लोगों को जुटाने की गांधीवादी तकनीक को सफलतापूर्वक नियोजित किया गया है, जो कि इस बात की गवाही देता है कि गांधी और उनके विचार आज भी प्रासंगिक हैं.
वास्तव में गांधी जिन जीवन मूल्यों के प्रतिनिधि हैं उनका भी पालन किए जाने की जरूरत है. भेदभाव और छुआछूत खत्म होना चाहिए लेकिन जातीय दुराग्रह इतने तीव्र हैं कि जागरूकता का कोई भी अभियान शिथिल ही रह जाता है. आइए आज एक प्रण लें कि कम से कम व्यक्तिगत तौर पर हमसे जितना संभव हो सकेगा हम अपने जीवन में गांधीजी के मूल्यों को लाने का प्रयास करेंगे. तभी देश और समाज में शांति और समृध्दि आ सकेगी. आज के दिन हम महात्मा के शांति, सत्य के प्रति निष्ठा, अहिंसा, ट्रस्टीशिप, अपने परिवेश, शरीर, विचारों की शुचिता, समानता और सामाजिक न्याय जैसे आदर्शों के प्रति अक्षरशः मन, कर्म, वचन से संकल्पबद्ध हो कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करें.