Coronavirus In Kerala: केरल में कोरोना की चिंताजनक स्थिति

-तारकेश्वर मिश्र
केरल कोरोना वायरस की पहेली बनकर रह गया है. वह भारत में तीसरी लहर की भी पहेली साबित हो सकता है. केरल में हर रोज 20,000 से ज्यादा संक्रमित मामले दर्ज किए जाते रहे हैं. देश भर में कोरोना के आंकड़े भी लुढ़क कर धीरे-धीरे कम हो रहे हैं, लेकिन केरल में स्थिति काबू से बाहर है. इस समीकरण को सामान्य नहीं समझा जा सकता, क्योंकि अभी तय नहीं है कि केरल के नए आंकड़े कब तक जारी रहते हैं. माना जा सकता है कि पूरे देश का औसतन 50 फीसदी से ज्यादा संक्रमण केरल में ही है. भारत सरकार और महामारी विशेषज्ञों का चिंतित होना स्वाभाविक है.
देशभर में कम हो रहे कोरोना मामलों के बीच केरल में जानलेवा वायरस के नए मामलों की संख्या एक बार फिर बेकाबू हो गई है. मंगलवार को केरल में दैनिक मामले तीन... महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गए, पिछले 24 घंटे में यहां 24,296 कोरोना केस दर्ज हुए. इसके साथ ही केरल में कोरोना वायरस संक्रमितों की कुल संख्या बढ़कर 38,51,984 हो गई, जबकि 173 और मरीजों की मौत होने से मृतकों की तादाद 19,757 पर पहुंच गई. देश में मंगलवार को 37,593 नए मामले दर्ज किए गए, जो 13 अगस्त के बाद से एक दिन में सबसे अधिक है. वहीं, इस दौरान 34,169 कोरोना मरीज ठीक भी हुए हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक देश में कोरोना से ठीक होने वाले मरीजों का रिकवरी रेट बढ़कर 97.67 फीसदी हो गया है. देशभर के कुल नए कोरोना मामलों का 87.1 फीसदी हिस्सा सिर्फ 5 राज्यों से है, जिसमें से अकेले केरल में 64.63 फीसदी नए केस दर्ज किए गए हैं. सबसे ज्यादा मामलों वाले राज्यों की बात करें तो केरल में 24,296 कोरोना मामले, महाराष्ट्र में 4,355, तमिलनाडु में 1,585, कर्नाटक में 1,259 और आंध्र प्रदेश में 1,248 मामले सामने आए हैं.
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महाराष्ट्र और दिल्ली समेत कई राज्यों में कोविड-19 के नए मामलों में काफी कम आई है और देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर की रफ्तार कम हो गई है, लेकिन इस बीच केरल में कोरोना के लगातार बढ़ रहे नए मामलों ने चिंता बढ़ा दी है. नए केस को देखते हुए केंद्र सरकार ने एक एक्सपर्ट्स की टीम केरल भेजी है, जिसने राज्य में कोरोना विस्फोट की असली वजह का खुलासा किया है. केंद्र सरकार की एक्पर्ट्स टीम के अनुसार, केरल में कोरोना वायरस के नए मामलों से लगातार बढ़ोतरी का सबसे बड़ा कारण होम आइसोलेशन में रह रहे कोविड-19 के मरीजों की निगरानी में लापरवाही है. इस वजह से राज्य में कोरोना के नए केस तेजी से बढ़ रहे हैं और देशभर के दैनिक मामलों के 50 प्रतिशत मामले यहां दर्ज किए जा रहे हैं. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार ने 29 जुलाई को छह सदस्यीय टीम को केरल भेजा था, जो स्थिति का जायजा ले रही है. इस टीम की अगुवाई नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के डायरेक्टर डॉक्टर सुजीत सिंह कर रहे हैं और टीम फिलहाल सबसे ज्यादा पॉजिटिविटी रेट वाले जिलों का दौरा कर रही है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक केरल में लॉकडाउन की धज्जियां उड़ीं, संक्रमण में बेतहाशा वृद्धि हुई. केरल गई उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट के मुताबिक जिन जिलों में लॉकडाउन लगाया गया, वहां पहला सप्ताह बेअसर रहा है. कुछ जिलों में संक्रमण दर 17 फीसदी से भी अधिक मिल रही है. समिति ने कंटेनमेंट जोन, बफर जोन, में बेहतर कार्य करने की सलाह दी है.
केरल में जन-स्वास्थ्य का बुनियादी ढांचा, दूसरे राज्यों की तुलना में, काफी बेहतर है. कोरोना टीकाकरण, टेस्टिंग प्रति 10 लाख आबादी, मृत्यु-दर, अन्य वायरस की पहचान करने में और मास्क का इस्तेमाल करने आदि में केरल या तो अव्वल रहा है अथवा अन्य की अपेक्षा बेहतर रहा है. बावजूद इसके वहां कोरोना के हालात बेकाबू स्थिति में पहुंचे हुए हैं. चिंता के कुछ और पहलू भी गौरतलब हैं, क्योंकि विशेषज्ञों के आकलन हैं कि केरल कोरोना की तीसरी लहर की आधार-भूमि साबित हो सकता है. जन-स्वास्थ्य का मजबूत ढांचा और आम जागरूकता व्यापक होने के बावजूद केरल के अधिकतर हिस्सों में संक्रमण दर देश के अन्य राज्यों के मुकाबले काफी अधिक रही है. यही केरल को पहेली बनाए हुए है.
जब देश भर में कोरोना संक्रमण के मामले शांत या बेहद कम हो चुके हैं, तब केरल सबसे ज्यादा संक्रमित राज्य बना है. केरल के संक्रमण का बुरा असर आसपास के राज्यों पर पड़ रहा है. हालांकि पहले की अपेक्षा संक्रमण कम हुआ है, लेकिन फिर भी विशेषज्ञ और चिकित्सक मान रहे हैं कि यदि सितंबर माह के अंत में कोरोना की तीसरी लहर के लक्षण स्पष्ट होने लगे, तो उसमें केरल का बड़ा योगदान होगा. दरअसल केरल में कोरोना संक्रमण के लगातार फैलने की वजह रही है कि वहां मई से संपूर्ण लॉकडाउन लागू नहीं किया. मई में ही संक्रमण ‘पीक’ पर था. ईद के त्योहारी मौसम में ढील दी गई, नतीजतन भीड़ सड़कों और बाजारों में पसर गई. संक्रमण का बुनियादी कारण यही है. बीते दिनों ओणम का त्योहार मनाया गया. सरकारें त्योहारों पर बंधन लगाना नहीं चाहतीं, क्योंकि वही उनका राजनीतिक वोट बैंक है. प्रदेश सरकार के साथ साथ केरल की जनता को स्थिति की गंभीरता समझनी होगी. वरना कोरोना जानलेवा साबित हो सकता है. लेखक उत्तर प्रदेश राज्य मुख्यालय पर मान्यता प्राप्त स्वतन्त्र पत्रकार हैं. यह उनके निजी विचार हैं.