बस्ती ITI के मैदान की झाडि़यों में सड़ रहे हैं लाखों के ट्राईसाइकिल

बस्ती ITI के मैदान की झाडि़यों में सड़ रहे हैं लाखों के ट्राईसाइकिल
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अनूप भारद्वाज

बस्ती (Basti News). केंद्र में साल 2014 में मोदी सरकार बनते ही विकलांगों के लिए तमाम कल्याणकारी योजनाओं की शुरूआत की गयी. उन्हें सरकारी दस्तावेजों से लगायत हर कहीं दिव्यांगजन कहा जाने लगा.

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सरकार की योजनाओं और सुविधाओं से लैस करने के लिए उनके चुने हुए माननीयों ने जगह-जगह कैम्प लगाकर विभागीय सहयोग से दिव्यांगजनों को जरूरी उपकरण मुहैया कराये जाने लगे.

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इसी कड़ी में बस्ती में भी विभागीय जिम्मेदारों ने दिव्यांगजनों में ट्राईसाइकिल वितरीत किया. केंद्र सरकार की योजना के तहत बस्ती में सांसद हरीश द्विवेदी ने इस योजना का विधिवत आयोजन किया. इसके लिए आइटीआइ परिसर का चयन किया गया. कार्यक्रम में लाभार्थियों को जरूरी उपकरण दिये गये. तमाम दूरदराज के चिन्हित जरूरतमंद उस शिविर में नहीं आ पाये. जिन्हे जिम्मेदारों को उनके ब्लाक के द्वारा उन तक जरूरी उपकरणों को पुहंचा दिया जाना चाहिए था. मगर विभागीय उदासीनता कहा जाए या माननीयों के भूल जाने की आदत. सब शिविर तक ही सिमट के रह गया. दूरदराज के पात्रों तक केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना का लाभ नहीं पहुंच सका.

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शिविर के आयोजन के बाद बची हुई लाखों की ट्राईसाइकिलों को उनके हाल पर खुले मैदान में सड़ने के लिए उनके हाल पर छोड़ दिया गया. आइटीआइ के मैदान की झाडि़यों में वो ट्राईसाइकिलें जंग खा कर जिम्मेदारों को मुंह चिढ़ा रही है.

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तस्वीर- अनूप मिश्रा/ भारतीय बस्ती

विभाग द्वारा जब समय-समय पर दिव्यांगों में उपकरण बटने के लिए कैम्प लगाए जाते हैं. उसके बावजूद दिव्यांगों को जरूरी उपकरणों के लिए जिम्मेदारों के चक्कर लगाने पड़ते है. पैरों से दिव्यांग कोई लाभार्थी 50-60 किमी की दूरी चलकर कैसे जिला मुख्यालय तक आ सकता है. आ भी गया तो उसके आने-जाने में कितनी मुसीबतें होंगी ये जगजाहिर है.

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क्या कहते हैं जिला दिव्यांगजन अधिकारी 

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जिला दिव्यांगजन अधिकारी एस.के. सिंह ने  कहा की मेरे स्तर से ट्राई साइकिलों की खरीद नहीं हुई थी. ये निदेशालय ने भेजा था. सांसद हरीश द्विवेदी द्वारा कैम्प लगाकर दिव्यांगों में उपकरण बांटे गये थे. चिन्हित लाभार्थियों में बहुत से लोग शिविर में नहीं आये. जिससे ट्राईसाइकिल बच गया. उन्हें रखने के लिए विभाग के पास जगह नहीं थी. ट्राईसाइकिलों को रखने के लिए सांसद हरीश द्विवेदी जी से बात कर उन्हें आइटीआई परिसर में रखने के लिए कहा तो उन्होंने भी हामी भर दी. इसीलिए ट्राईसाइकिलों को खुले परिसर में रखा गया है. इस संबंध में सांसद हरीश द्विवेदी का पक्ष नहीं मिल सका है.

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