हिन्दी को सम्पर्क भाषा बनाने के लिये करने होंगे साझा प्रयास – हरीश द्विवेदी

हिन्दी को सम्पर्क भाषा बनाने के लिये करने होंगे साझा प्रयास – हरीश द्विवेदी
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बस्ती (Basti News) . हिन्दी (Hindi) को विश्व व्यापी सम्पर्क भाषा बनाने के लिये साझा प्रयास करने होंगे, क्षेत्रीय भाषाओं का भी इससे स्वाभाविक विकास होगा.

यह विचार सांसद हरीश द्विवेदी (Mp Harish Dwivedi) ने व्यक्त किया.

वे शनिवार को हिन्दी दिवस के अवसर पर पूर्वान्चल विद्वत परिषद उ.प्र. (Uttar Pradesh) की ओर से अध्यक्ष राजेन्द्रनाथ तिवारी के संयोजन में प्रेस क्लब में आयोजित विचार गोष्ठी, काव्य गोष्ठी, सारस्वत सम्मान समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित कर रहे थे.

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MP Harsish Dwivedi

सांसद हरीश ने कहा कि उन्हें अमेरिका में एक कार्यक्रम में भाषण देने का अवसर मिला और उन्होने हिन्दी में अपनी बात रखी जिसे लोगों ने सराहा. हमें अपनी मातृभाषा, भेष भूषा के प्रति सम्मान और गौरव की अनुभूति होना चाहिये. हिन्दी का भविष्य उज्जवल है.

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तस्वीर- भारतीय बस्ती

जगमग ने भी रखी अपनी बात

संचालन करते हुये वरिष्ठ कवि डॉ. रामकृष्ण लाल ‘जगमग’ ने कविताओं के माध्यम से हिन्दी के वर्तमान, भविष्य पर प्रकाश डाला. उनकी रचना ‘ सच कहता हूं आपसे हिन्दी के विद्वान सबसे ज्यादा कर रहे हिन्दी का अपमान’ को सराहा गया. अध्यक्षता पूर्व प्रधानाचार्य गणेश पाण्डेय ने की.

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विनोद उपाध्याय द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना, अनूप खरे द्वारा वंदेमातरम् से आरम्भ कार्यक्रम में अनेक वक्ताओं ने हिन्दी के वर्तमान परिदृश्य पर प्रकाश डाला.

मुख्य विकास अधिकारी अरविन्द कुमार पाण्डेय ने कहा कि हिन्दी का भविष्य उज्जवल है. सरकारी, प्रशासनिक सेवाओ में भी हिन्दी के छात्रों के लिये अवसर बढा है.

कार्यक्रम संयोजक राजेन्द्रनाथ तिवारी ने विस्तार से हिन्दी की विकास यात्रा, आजादी की लडाई में हिन्दी के योगदान, साहित्य पर विषद विवेचना करते हुये कहा कि हिन्दी आज अपने श्रम से विश्व व्यापी हो रही है. अब समय आ गया है कि हिन्दी को राष्ट्र भाषा का गौरव संवैधानिक रूप से दिया जाय. आगन्तुकों के प्रति आभार व्यक्त करते हुये कहा कि निज भाषा का अपना विशेष महत्व है.

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योगदान के लिए मिला सम्मान

गोष्ठी को भाजपा जिलाध्यक्ष पवन कसौधन, पूर्व विधायक राजमणि पाण्डेय, डा. रामनरेश सिंह ‘मंजुल’ आलोक मणि त्रिपाठी, डा. त्रिभुवन प्रसाद मिश्र, प्रभाकर त्रिपाठी, डा. कांचन माला त्रिपाठी, अजय अज्जू हिन्दुस्थानी, प्रदीप चन्द्र पाण्डेय आदि ने हिन्दी के विविध पक्षों, इतिहास, वर्तमान और भविष्य पर प्रकाश डाला.

पूर्वान्चल विद्वत परिषद उ.प्र. की ओर से डा. दशरथ प्रसाद यादव, प्रभाकर त्रिपाठी, धर्मेन्द्र पाण्डेय, अमरेश चन्द्रा, गोमती प्रसाद अनिल को उनके योगदान के लिये सम्मानित किया गया.

दूसरे चरण में डा. रामकृष्ण लाल ‘जगमग’ के संचालन में आयोजित काव्य गोष्ठी में विनोद उपाध्याय, ताजीर वस्तवी, डा. पारस वैद्य, हरीश दरवेश, रामचन्द्र राजा, जगदम्बा प्रसाद भावुक, सत्येन्द्रनाथ मतवाला, लालमणि प्रसाद, डा. राममूर्ति चौधरी, ओम प्रकाश पाण्डेय, रहमान अली रहमान आदि ने रचनाओं के माध्यम से हिन्दी दिवस की महत्ता को रेखांकित किया.

कार्यक्रम में मुख्य रूप से बाबूराम दूबे, रविन्द्र गौतम, विपिन बिहारी त्रिपाठी, राजकुमार शुक्ल, रामचरन चौधरी, रामदत्त जोशी, दिनेश पाल, संजय द्विवेदी, विजय द्विवेदी, बटुकनाथ शुक्ल, सतीश पाल, जगदीश प्रसाद पाण्डेय, विशाल पाण्डेय, कुलवेन्द्र सिंह ‘मजहबी’ रायअंकुरम श्रीवास्तव, राजीव सक्सेना, एस.एन. श्रीवास्तव, दीपक प्रसाद, दिनेश उपाध्याय, सन्तोष, दिव्य प्रकाश, राजकुमार पाण्डेय, देवेन्द्र प्रसाद पाण्डेय, सोहन सिंह, सामइन फारूकी के साथ ही विविध क्षेत्रों के मर्मज्ञ उपस्थित रहे.

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