बिना गुरू ज्ञान के सफलता असंभव – जगमग
शिक्षक का दायित्व विषयक गोष्ठी को मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित करते हुये डा. रामकृष्ण लाल ‘जगमग’ ने कहा कि संसार में मां के बाद शिक्षक ही हमें सदमार्ग दिखाते हैं. यही कारण है कि भारतीय मनीषा में गुरू का स्थान ईश्वर से ऊंचा है. गुरू गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पांय, बलिहारी गुरू आपने गोविन्द दियो बताय’ के द्वारा महात्मा कबीर ने गुरू की महिमा का गान किया.
बिना गुरु ज्ञान असंभव
जगमग ने कहा कि शिक्षकों ने समय काल के अनुरूप सृजन के ऐसे उदाहरण प्रस्तुत किये हैं जिससे दुनियां का इतिहास भरा पड़ा है. बिना गुरू ज्ञान के सफलता असंभव है. शिक्षकों को चाहिये कि वे अपना आचरण ऐसा रखें कि छात्र और समाज स्वयं उनसे प्रेरणा ले.
अध्यक्षता करते हुये खण्ड शिक्षाधिकारी इन्द्रजीत ओझा ने कहा कि आज के बदले सन्दर्भो में गुरू शिष्य का सम्बन्ध उपभोक्तावादी होता जा रहा है, इस मिथक को तोड़ने के लिये स्वयं गुरूजनों को ही प्रयास करना होगा.
गोष्ठी को उदयशंकर शुक्ल, धर्मेन्द्र पाण्डेय, शैल शुक्ल, सन्तोष भट्ट, हनुमान प्रसाद मिश्र, धु्रव कुमार मिश्र, उर्मिला पाण्डेय, हरिशंकर शर्मा आदि ने सम्बोधित करते हुये शिक्षा, शिक्षक के दायित्व पर विस्तार से प्रकाश डाला.
कविता से किया मंत्रमुग्ध
डा. रामकृष्ण लाल जगमग ने कविताओं के माध्यम से उपस्थित श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया.
आयोजक उदयराज पाण्डेय, ओम प्रकाश पाण्डेय की कवितायें सराही गईं. सम्मान के क्रम में मनोकामिनी देवी और जय-जय राम को सम्मानित किया गया.
कार्यक्रम में कृष्णावती पाण्डेय, रमेश पाण्डेय, नागेन्द्र कुमार, पूजा शुक्ल, पुष्पांजलि, प्रतिभा तिवारी, देवेन्द्र मणि, शशि कला उपाध्याय, दिनेश पाण्डेय, ऊषा दूबे, परमात्मा शर्मा, देवी प्रसाद शर्मा, नगेन्द्र कुमार, संजय पाण्डेय, असिता कन्नौजिया, उर्मिला पाण्डेय, स्नेहा शुक्ल, अभिषेक ओझा के साथ ही अनेक शिक्षक, छात्र, अभिभावक, स्थानीय नागरिक उपस्थित रहे. Basti news in hindi
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