सिंहासन क्रिया श्वसन प्रणाली के लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण

सिंहासन क्रिया श्वसन प्रणाली के लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण
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बस्ती . विश्व संवाद परिषद योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय महासचिव डॉ नवीन सिंह ने बताया कि बस्ती जनपद के मुख्य योग शिक्षक राम मोहन पाल जी शहर में दर्जनों परिवारों को योग के माध्यम से स्वस्थ कर रहे हैं और योग के प्रति जागरूक भी कर रहे हैं उन्होंने बताया कि इस वैश्विक महामारी के चुनौती भरे समय में एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली एवं एक अच्छी तरह से कार्य कर रही श्वसन प्रणाली सबसे अधिक महत्वपूर्ण है.

योग शिक्षक प्रशिक्षक राम मोहन पाल ने बताया कि प्राचीन योगिक तकनीक शरीर ,मन और ऊर्जा के लिए बहुत ही लाभदायक हैं ऐसे में सिंहासन क्रिया बहुत महत्वपूर्ण है इसे ‘लायन पोज’ भी कहते हैं इसमें शेर के गर्जन ध्वनि के समान ध्वनि बनाने की आवश्यकता होती है . वज्रासन में बैठकर घुटनों के बीच में थोड़ा अंतर करें उस बीच में अपने दोनों हाथों के पंजों को अंदर की तरफ रखते हुए गर्दन को ऊपर उठाएं जीभ को पूरी तरह से बाहर निकाले और शेर की तरह गर्जन ध्वनि करते हैं ऐसा 3 से 5 बार करें . इसके नियमित अभ्यास से शरीर के विभिन्न अंगों को बहुत ही लाभ मिलता है यह तनाव को कम करता है, थायराइड से संबंधित समस्याओं को समाप्त करता है, आवाज को मधुर बनाना हो तो इस आसन का अभ्यास अवश्य करें इसके नियमित अभ्यास से गले में होने वाले संक्रमण से बचा जा सकता है .

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अस्थमा में इससे आराम मिलता है यह एंटी एजिंग थेरेपी के रूप में भी कार्य करता है चेहरे पर रक्त परिसंचरण में सुधार होता है इसके अभ्यास से झुर्रियां कम होती हैं मुंह के दुर्गंध को दूर करता है गर्दन की मांसपेशियों को आराम देता है और आंखों की जलन से राहत दिलाता है अक्सर घबराए हुए स्वभाव वालों के लिए यह उपयोगी है हकलाने वालों के लिए यह अत्यंत लाभदायक है फेफड़े को मजबूत बनाता है गले को मजबूत बनाता है मासिक धर्म संबंधी विकार को दूर करता है इस आसन को करने से रीढ़ की हड्डी पुष्ट होती है और इससे संबंधित समस्याओं से बचा जा सकता है इसके नियमित अभ्यास से दांत जीभ जबड़े और गले के रोगों से मुक्ति मिलती है साथ ही साथ आमाशय छोटी आंत बड़ी आंत और गुर्दे की सफाई के लिए भी यह अत्यंत लाभदायक है .यदि घुटनों को मोड़ने में कठिनाई हो तो कुर्सी पर बैठकर भी इस अभ्यास को किया जा सकता है.

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