बस्ती में भाजपा किसे बनाएगी उम्मीदवार! संजय, गिल्लम या आरसी, कौन होगा जिला पंचायत अध्यक्ष
Basti Zila Panchayat Chunav: खींचतान बस्ती के भाजपाई राजनीतिक गलियारों में
-भारतीय बस्ती संवाददाता-
बस्ती. सत्ता और संगठन के बीच चल रहे अघोषित खींचतान के बीच प्रदेश में होने वाला मंत्रिमंडल विस्तार अधर में है. भाजपा संगठन महामंत्री बीएल सन्तोष ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तारीफ कर साफ संदेश दे दिया है की आलाकमान प्रदेश में बदलाव के मूड में नहीं है. कुछ दिनों पहले तक चर्चाओं के हवाले से मंत्रिमंडल विस्तार की हवाएं तैर ही थीं. अब तक धरातल पर उसका भी कुछ अता-पता नहीं दिख रहा है.
कुछ इसी तरह की खींचतान बस्ती के भाजपाई राजनीतिक गलियारों में चल रही है. पंचायत चुनाव के बाद जिला पंचायत सदस्य पद पर भाजपा के नौ प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की थी. 43 सीटों वाले जिला पंचायत में मात्र 9 सदस्यों के सहारे खुद का अध्यक्ष बनवा पाना पार्टी के लिए टेढ़ी खीर है. कुछ भी करके जिले में भाजपा अपना अध्यक्ष बनवाने के लिए जीतोड़ मेहनत कर रही है. इसके लिए पार्टी में तीन दावेदार संजय चौधरी, गिल्लम चौधरी और आरसी वर्मा जमीन पर सरपट दौड़ लगा रहे है. तीनों दावेदारों द्वारा दावा किया जा रहा है की हमारे पास भरपूर मात्रा में सदस्य है.
चुनाव बाद हुई बैठक में चर्चाओं के बाबत अंदरखाने से संजय चौधरी के नाम पर पार्टी में सत्ता से जुड़े एक विधायक को छोड़ बाकी के सभी माननीयों में सहमति बन चुकी है. वहीं स्थानीय भाजपा संगठन माननीयों द्वारा दिये गये नाम पर अनचाही सहमति देते दिख रहा है. ऐसे में सब कुछ आल इज वेल तो नहीं ही कहा जा सकता है.
कमोबेश यही हाल बस्ती के सभी ब्लाकों का है. सत्ताधारी दलों के दरवाजों पर वैसे भी पंचायत चुनावों में सबसे ज्यादा भीड़ देखी जाती है. इस बार ये भीड़ भाजपा के दरवाजे पर टिकट के लिए दस्तक दे रही है. पार्टी से ही एक-एक ब्लाक में दो से चार उम्मीदवार अपनी दावेदारी कर रहे है. पार्टी संगठन इस मामले पर अभी मौन है. माननीय अपने-अपने चहेतों को मैदान में उतर कर क्षेत्र पंचायत सदस्यों का समर्थन जुटाने का इशारा कर चुके है.
जबकि विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो संगठन के दावेदार भी मैदान में उतर कर भाग्य आजमाने के लिए आतुर दिख रहे है. संगठन से जुड़े एक पदाधिकारी की प्रमुखी के लिए सक्रीयता इन दिनों काफी चर्चाओं में है. देखना दिलचस्प होगा की दावेदारी पेश कर रहे लोगों को किसका आशीर्वाद प्राप्त होता है. टिकट के लिए असमंजस के झूले में झूल रहे दावेदारों का खर्चा बढ़ता ही जा रहा है.
जिला पंचायत सदस्यों की भीड़ अध्यक्ष पद के दावेदारों के दरवाजे पर तो क्षेत्र पंचायत सदस्य ब्लाक प्रमुखी की चाहत रखने वालों को चूसने पर आमादा है. ऐसे में सत्ता और संगठन के बीच किस्मत किस पर मेहरबान होती है, ये वक्त बताएगा. मगर दोनों की खींचतान से पार्टी का एक बड़ा तबका करीने से किनारे कर दिया गया है. जिसका असर आने वाले चुनावों में पार्टी को भुगतना पड़ेगा.