मध्य प्रदेश में गहराते बिजली संकट विपक्षी ही नहीं अपने भी घेर रहे सरकार को

मुख्यमंत्री और ऊर्जा मंत्री को इस मामले को खुद देखना चाहिए. त्रिपाठी ने चार सितम्बर को विंध्य क्षेत्र में बिजली कटौती को लेकर आंदोलन करने का ऐलान भी किया है. तीन वजह सामने र्आ है. बिजली कंपनियों की देनदारियां, बांधों में कम पानी और सरकार से कंपनियों की सब्सिडी नहीं मिलना. प्रदेश के तीन थर्मल पॉवर प्लांटों में कोयले की कमी के कारण बिजली उत्पादन बंद हो गया है. सरकार फिलहाल निजी क्षेत्र से बिजली खरीदकर सप्लाई कर रही है. प्रदेश में रबी का सीजन आने वाला है. इसके चलते अक्टूबर से बिजली की डिमांड बढ़ जाएगी. प्रदेश में रबी सीजन में यह डिमांड बढ़कर 16 से 17 हजार मेगावाट हो जाएगी.
ऐसे में बिजली का उत्पादन कम हुआ तो बिजली संकट गहराने के पूरे आसा हैं. फिलहाल सरकार निजी क्षेत्र से बिजली खरीद कर आपूर्ति कर रही है. जानकारी के मुताबिक, पावर मैनेजमेंट कंपनी ने 29 अगस्त को 1363 मेगावॉट की अघोषित लोड शोडिंग की थी, जबकि उसके एक दिन पूर्व 1708 मेगावॉट की लोड शेडिंग की गई थी. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सोशल मीडिया पर लिखा - मध्यप्रदेश में बिजली का संकट दिन-प्रतिदिन गहराता जा रहा है. ग्रामीण क्षेत्रों व कृषि क्षेत्रों में स्थिति बेहत खराब होती जा रही है. कई-कई घंटों की अघोषित कटौती की जा रही है.
कोयले की कमी के कारण उत्पादन भी प्रभावित हो रहा है. कई ताप विद्युत परियोजनाएं बंद होने की कगार पर हैं. मांग और आपूर्ति में बड़ा अंतर सामने आ रहा है. सरकार इन सब मामलों से बेखबर बनी हुई है. प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष सुरेंद्र चौधरी ने कहा कि अघोषित बिजली कटौती से बच्चों की पढ़ाई के साथ काम-धंधे भी प्रभावित हो रहे हैं. यदि स्थिति में जल्द सुधार नहीं होता है तो कांग्रेस आंदोलन करेगी. उनका कहना है कि सरकार 21 हजार मेगावाट बिजली उपलब्ध होने का दावा कर रही है, तो फिर लगातार अघोषित कटौती क्यों हो रही है.
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