यूपी: 3.7 लाख बेरोजगार फार्मासिस्टों को नौकरी की मांग, ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा में सुधार की अपील

एक तरफ तो सरकार संविदा के चिकित्सकों से जैसे-तैसे काम चला रही है वहीं लगभग तीन लाख 70 हजार से अधिक फार्मासिस्ट बेरोजगार है। उन्हें तत्काल सेवाओं से जोड़कर स्थितियों को संभाला जा सकता है। फार्मासिस्टों को प्रशिक्षण देकर ग्रामीण क्षेत्रों में डाक्टर के रूप में उनकी नियुक्ति की जाय जिससे ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा को सुधारा जा सके। कहा कि 2007 के बाद से अभी तक नियुक्तियां न निकालकर सरकार फार्मासिस्टों के हितों की खुली अनदेखी कर रही है। यदि शीघ्र समस्याओं का समाधान न हुआ तो फेडरेशन प्रदेश व्यापी आन्दोलन को बाध्य होगा।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डा. खालिद रिजवान अहमद ने कहा कि फार्मासिस्ट स्वास्थ्य सेवाओं के अभिन्न अंग के साथ ही डाक्टर और मरीज के बीच की मजबूत कड़ी हैं। इनकी समस्याओं का प्रभावी समाधान निकाला जाना चाहिये।

गोष्ठी को राष्ट्रीय महासचिव डा. मनोज कुमार पाण्डेय, फेडरेशन जिलाध्यक्ष डा. पवन कुमार पाण्डेय, डा. मनोज कुमार चौधरी, जफर अहमद अंसारी, राम महेश चौधरी, आदि ने सम्बोधित करते हुये फार्मासिस्टों की समस्याओं पर विस्तार से प्रकाश डालते हुये एकजुटता पर जोर दिया। डा. सुधाशु मिश्र, शैलेन्द्र पाण्डेय, पी.के. पाण्डेय, अमरनाथ सिंह आदि ने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं में फार्मासिस्टों के लिये स्पष्ट नीति बनाये जाने की जरूरत है। वर्षो तक प्रशिक्षण के बाद उनकी नियुक्ति न किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। कहा कि दुखियों की सेवा फार्मासिस्टों का धर्म है। फार्मासिस्टों को उनका अधिकार मिलना चाहिये। सरकारी अस्पतालों में फार्मासिस्टों की मानक के अनुरूप नियुक्ति के साथ ही संख्या के अनुरूप उसकी समीक्षा की जानी चाहिये।

कार्यक्रम में मुख्य रूप से जय प्रकाश मौर्या, दुर्गेश गुप्ता, मो. असलम, विनोद कुमार, श्याम प्रकाश शर्मा, बी.एन. शुक्ल, श्याम नरायन चौधरी, संदीप कुमार, गंगाराम, मधुर प्रकाश, रामजीत यादव, विकास चौहान, संघ प्रिय गौतम, सौरभ पाण्डेय, सुधांशु मिश्र, मोहित साहू, अनिल कुमार चौधरी, रामतेज गुप्ता, रामकरन पटेल, मनोज गुप्ता, चन्द्रजीत यादव, हर्ष कालरा, घनश्याम शर्मा, आदर्श वर्मा, रवि विश्वकर्मा, विवेकानन्द पाण्डेय, मो. अशरफ, अजीत श्रीवास्तव के साथ ही अनेक फार्मासिस्ट एवं सामाजिक संगठनो के लोग उपस्थित रहे।