श्रावण मास के तेरस में रुद्राभिषेक करना होता है फलदायी

श्रावण मास के तेरस में रुद्राभिषेक करना होता है फलदायी
gudia nag panchmi

बैजनाथ मिश्र.
रुद्राभिषेक यूं तो कभी भी किया जाए हमेशा शुभ फलदायी होता है लेकिन श्रावण मास  तेरस (कृष्ण पक्ष व शुक्ल पक्ष )के मौके पर इसका महत्व कई गुणा बढ़ जाता है. शिवपुराण के रुद्रसंहिता में बताया गया है महाशिवरात्रि, सावन सोमवार और शिवरात्रि पर अगर रुद्राभिषेक किया जाए तो यह विशेष फलदायी होता है. रुद्राभिषेक के दौरान शिवलिंग का पवित्र स्नान किया जाता है और यह सनातन धर्म में सबसे प्रभावशाली और चमत्कारी पूजा मानी गई है. रुद्राभिषेक करके भगवान शिव जल्द प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों के सभी दुखों को दूर करते हैं. लेकिन इस बार कोरोना काल में महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा, ऐसे में आप यह प्रभावशाली पूजा महाशिवरात्रि के मौके पर अपने घर में भी कर सकते हैं और कोरोना से दूर रह सकते हैं.

यजुर्वेद में घर पर रुद्राभिषेक करने के बारे में जानकारी दी गई है, जो शिवभक्तों के लिए अत्यंत लाभप्रद है. ‘सर्वदेवात्मको रुद्र: सर्वे देवा: शिवात्मका:’ अर्थात सभी देवताओं की आत्मा में रुद्र उपस्थित हैं और सभी देवता रुद्र से संबंधित हैं. जैसा की मंत्र से साफ है कि रुद्र ही सर्वशक्तिमान हैं. यह भगवान शिव का प्रचंड रूप है इस रूप की विधि-विधान से पूजा करने पर ग्रह-नक्षत्रों की बाधाएं दूर होती हैं और वे शुभ फल देते हैं. साथ ही रोगों और परेशानियों से मुक्ति मिलती है. महाशिवरात्रि का दिन भगवान शिव का सबसे प्यारा दिन माना जाता है क्योंकि इस दिन शिव और शक्ति का मिलन हुआ था.

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शिवलिंग के अभिषेक से पहले इन चीजों को एकबार देख लें कि यह सभी चीजें हैं या नहीं. अभिषेक के लिए गाय का घी, चंदन, पान का पत्ता, धूप, फूल, गंध, बेलपत्र, कपूर, मिठाई, फल, शहद, दही, ताजा दूध, मेवा, गुलाबजल, पंचामृत, गन्ने का रस, नारियल का पानी, चंदन पानी, गंगाजल, पानी, सुपारी और नारियल आदि की सही तरीके से व्यवस्थाय कर लें. अगर आप अन्य सुंगधित पदार्थ शिवलिंग पर अर्पित करना चाहते हैं तो वह भी लेकर पूजा से पहले ही रख लें. इसके साथ ही श्रृंगी (गाय के सींग से बना अभिषेक का पात्र) श्रृंगी पीतल या फिर अन्य धातु की भी बाजार में उपलब्ध होता है. रुद्राष्टाध्यायी के एकादशिनि रुद्री के ग्यारह आवृति पाठ किया जाता है. इसे ही लघु रुद्र कहा जाता है. शिवलिंग से बहने वाले पानी को इकट्ठा करने की व्यवस्था करें और फिर वेदी पर रखें.

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घर पर रुद्राभिषेक करने के लिए सबसे पहले मिट्टी का शिवलिंग बनाएं. अगर घर पर पारद शिवलिंग पहले से है तो यह और भी अच्छा है. इस पूजा की शुरुआत से पहले भगवान गणेश की आराधना की जाती है, फिर माता पार्वती, नौ ग्रह, माता लक्ष्मी, पृथ्वी माता, ब्रह्मदेव, अग्निदेव, सूर्यदेव और गंगा माता को पूजा आमंत्रित किया जाता है और उनके लिए आसान या सीटें तैयार की जाती हैं. इन सभी देवी-देवताओं की रोली-अक्षत और फूल चढ़ाकर पूजा करके प्रशाद अर्पण करने के बाद शिवलिंग की पूजा की जाती है.

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घर पर शिवलिंग को उत्तर दिशा में रखें और भक्त का मुख पूर्व की तरफ होना चाहिए. अभिषेक के लिए श्रृंगी में सबसे पहले गंगाजल डालें और अभिषेक शुरू करें फिर उसी से गन्ने का रस, शहद, दही, दूध अर्थात पंचामृत समेत जितने भी तरल पदार्थ हैं, उनसे शिवलिंग का अभिषेक करें.

ध्यान रखें कि भगवान शिव का अभिषेक करते समय महामृत्युंजय मंत्र, शिव तांडव स्तोत्र, ओम नम: शिवाय या फिर रुद्रामंत्र का जप करते रहें.

इसके बाद शिवलिंग पर चंदन का लेप लगाएं और फिर पान का पत्ता, बेलपत्र, सुपारी आदि सभी चीजें शिवजी को अर्पित करें.

 इसके बाद भगवान शिव के भोग के लिए जो व्यंजन बनाकर रखें हैं, उनको भी शिवलिंग पर अर्पित कर दें. इसके बाद भगवान शिव के मंत्र का 108 बार जप करें और फिर पूरे परिवार के साथ शिवलिंग की आरती उतारें.

 अभिषेक के जल को एकत्रित करके पूरे घर में छिड़काव करें और फिर सभी को पीने के लिए दे दें. मान्यता है कि ऐसा करने से सभी रोग दूर हो जाते हैं. महाशिवरात्रि पर रुद्राभिषेक की पूरी प्रकिया में शिव मंत्रों का जप करते रहें.बैजनाथ मिश्र.रुद्राभिषेक यूं तो कभी भी किया जाए हमेशा शुभ फलदायी होता है लेकिन श्रावण मास  तेरस (कृष्ण पक्ष व शुक्ल पक्ष )के मौके पर इसका महत्व कई गुणा बढ़ जाता है. शिवपुराण के रुद्रसंहिता में बताया गया है महाशिवरात्रि, सावन सोमवार और शिवरात्रि पर अगर रुद्राभिषेक किया जाए तो यह विशेष फलदायी होता है. रुद्राभिषेक के दौरान शिवलिंग का पवित्र स्नान किया जाता है और यह सनातन धर्म में सबसे प्रभावशाली और चमत्कारी पूजा मानी गई है. रुद्राभिषेक करके भगवान शिव जल्द प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों के सभी दुखों को दूर करते हैं. लेकिन इस बार कोरोना काल में महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा, ऐसे में आप यह प्रभावशाली पूजा महाशिवरात्रि के मौके पर अपने घर में भी कर सकते हैं और कोरोना से दूर रह सकते हैं.

यजुर्वेद में घर पर रुद्राभिषेक करने के बारे में जानकारी दी गई है, जो शिवभक्तों के लिए अत्यंत लाभप्रद है. ‘सर्वदेवात्मको रुद्र: सर्वे देवा: शिवात्मका:’ अर्थात सभी देवताओं की आत्मा में रुद्र उपस्थित हैं और सभी देवता रुद्र से संबंधित हैं. जैसा की मंत्र से साफ है कि रुद्र ही सर्वशक्तिमान हैं. यह भगवान शिव का प्रचंड रूप है इस रूप की विधि-विधान से पूजा करने पर ग्रह-नक्षत्रों की बाधाएं दूर होती हैं और वे शुभ फल देते हैं. साथ ही रोगों और परेशानियों से मुक्ति मिलती है. महाशिवरात्रि का दिन भगवान शिव का सबसे प्यारा दिन माना जाता है क्योंकि इस दिन शिव और शक्ति का मिलन हुआ था.

शिवलिंग के अभिषेक से पहले इन चीजों को एकबार देख लें कि यह सभी चीजें हैं या नहीं. अभिषेक के लिए गाय का घी, चंदन, पान का पत्ता, धूप, फूल, गंध, बेलपत्र, कपूर, मिठाई, फल, शहद, दही, ताजा दूध, मेवा, गुलाबजल, पंचामृत, गन्ने का रस, नारियल का पानी, चंदन पानी, गंगाजल, पानी, सुपारी और नारियल आदि की सही तरीके से व्यवस्थाय कर लें. अगर आप अन्य सुंगधित पदार्थ शिवलिंग पर अर्पित करना चाहते हैं तो वह भी लेकर पूजा से पहले ही रख लें. इसके साथ ही श्रृंगी (गाय के सींग से बना अभिषेक का पात्र) श्रृंगी पीतल या फिर अन्य धातु की भी बाजार में उपलब्ध होता है. रुद्राष्टाध्यायी के एकादशिनि रुद्री के ग्यारह आवृति पाठ किया जाता है. इसे ही लघु रुद्र कहा जाता है. शिवलिंग से बहने वाले पानी को इकट्ठा करने की व्यवस्था करें और फिर वेदी पर रखें.

घर पर रुद्राभिषेक करने के लिए सबसे पहले मिट्टी का शिवलिंग बनाएं. अगर घर पर पारद शिवलिंग पहले से है तो यह और भी अच्छा है. इस पूजा की शुरुआत से पहले भगवान गणेश की आराधना की जाती है, फिर माता पार्वती, नौ ग्रह, माता लक्ष्मी, पृथ्वी माता, ब्रह्मदेव, अग्निदेव, सूर्यदेव और गंगा माता को पूजा आमंत्रित किया जाता है और उनके लिए आसान या सीटें तैयार की जाती हैं. इन सभी देवी-देवताओं की रोली-अक्षत और फूल चढ़ाकर पूजा करके प्रशाद अर्पण करने के बाद शिवलिंग की पूजा की जाती है.

घर पर शिवलिंग को उत्तर दिशा में रखें और भक्त का मुख पूर्व की तरफ होना चाहिए. अभिषेक के लिए श्रृंगी में सबसे पहले गंगाजल डालें और अभिषेक शुरू करें फिर उसी से गन्ने का रस, शहद, दही, दूध अर्थात पंचामृत समेत जितने भी तरल पदार्थ हैं, उनसे शिवलिंग का अभिषेक करें.

ध्यान रखें कि भगवान शिव का अभिषेक करते समय महामृत्युंजय मंत्र, शिव तांडव स्तोत्र, ओम नम: शिवाय या फिर रुद्रामंत्र का जप करते रहें.

इसके बाद शिवलिंग पर चंदन का लेप लगाएं और फिर पान का पत्ता, बेलपत्र, सुपारी आदि सभी चीजें शिवजी को अर्पित करें.

 इसके बाद भगवान शिव के भोग के लिए जो व्यंजन बनाकर रखें हैं, उनको भी शिवलिंग पर अर्पित कर दें. इसके बाद भगवान शिव के मंत्र का 108 बार जप करें और फिर पूरे परिवार के साथ शिवलिंग की आरती उतारें.

 अभिषेक के जल को एकत्रित करके पूरे घर में छिड़काव करें और फिर सभी को पीने के लिए दे दें. मान्यता है कि ऐसा करने से सभी रोग दूर हो जाते हैं. महाशिवरात्रि पर रुद्राभिषेक की पूरी प्रकिया में शिव मंत्रों का जप करते रहें.

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