यमुना एक्सप्रेसवे पर बस रहा है नया शहर, छू लेंगे जमीन के दाम आसमान! 14 लाख लोगों को मिलेगा घर
यमुना एक्सप्रेसवे पर नया शहर, जमीन के दाम उछलेंगे!

Yamuna Expressway: जेवर से कुबेरपुर तक यमुना एक्सप्रेसवे के किनारे एक नया आगरा अर्बन सेंटर बसाया जाएगा, जो किसी सपनों के शहर जैसा होगा। यहां थीम पार्क, होटल, कन्वेंशन सेंटर, स्पोर्ट्स सिटी, उद्योग और रिहायशी कॉलोनियां बनाई जाएंगी। इसका मास्टर प्लान भी तैयार हो चुका है। मंगलवार को यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA) के सीईओ ने जेपी होटल में स्टेकहोल्डर्स के साथ बैठक कर इस अर्बन सेंटर का प्रजेंटेशन दिया।
यमुना किनारे नया अर्बन सेंटर
यीडा के सीईओ अरुणवीर सिंह ने बताया कि यह अर्बन सिटी करीब 12 हजार हेक्टेयर में बसाई जाएगी। इसमें 25 प्रतिशत जमीन औद्योगिक इस्तेमाल के लिए होगी। यहां ऐसे उद्योग लगाए जाएंगे, जो प्रदूषण नहीं फैलाते, साथ ही पर्यटन से जुड़े उद्योगों को भी बढ़ावा मिलेगा। इसमें करीब 2 हजार हेक्टेयर जमीन उद्योगों के लिए और 1 हजार हेक्टेयर जमीन पर्यटन के लिए रखी गई है। इस शहर में लगभग 14 लाख लोग रहेंगे। यह पूरा प्रोजेक्ट चार चरणों में बनेगा, जिसमें पहला चरण साल 2025 से 2029 के बीच पूरा करने की योजना है।
100 एकड़ जमीन देने का सुझाव दिया
मास्टर प्लान के अनुसार यह नया शहर 2041 तक पूरी तरह बस जाएगा। यहां पानी की व्यवस्था यमुना नदी और लोअर गंगा नहर से की जाएगी। बैठक के दौरान फुटवियर और चर्म विकास परिषद के अध्यक्ष पूरन डावर ने जेवर में लेदर पार्क के लिए 100 एकड़ जमीन देने का सुझाव दिया। वहीं, वरिष्ठ अधिवक्ता केसी जैन ने भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को आसान बनाने की बात कही।
मंडलायुक्त शैलेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि टीटीजेड इलाके में उद्योगों पर लगी रोक जल्द ही हट सकती है। इसके लिए सरकार सुप्रीम कोर्ट में मजबूती से अपनी बात रख रही है। प्रजेंटेशन के बाद यीडा के सीईओ ने स्टेकहोल्डर्स से 15 दिन के अंदर सुझाव और आपत्तियां मांगी हैं। इसके बाद इस अर्बन सिटी की योजना को आखिरी रूप दिया जाएगा।
शहर के पहले चरण में औद्योगिक क्षेत्र तैयार किया जाएगा, जिससे लोगों को स्थानीय स्तर पर नौकरी के मौके मिलेंगे। इस स्मार्ट शहर में 14.6 लाख लोगों के रहने के लिए घर बनाए जाएंगे और करीब 8.5 लाख लोगों को रोजगार देने की योजना है। शुरुआत में शहर का विकास 36 गांवों में होगा। इसके बाद बाकी 58 गांवों की करीब 9500 हेक्टेयर जमीन को भी इसमें जोड़ा जाएगा। यहां पर रहने के लिए कॉलोनियां, उद्योग, बाजार, हरित क्षेत्र और बेहतर ट्रांसपोर्ट की सुविधा भी विकसित की जाएगी।