महामारी के बीच महंगाई की शिकार जनता: रिफाइन्ड और सरसो तेल के बढ़े के दाम, आलू की कीमत भी दिखा रही आंख
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-भारतीय बस्ती संवाददाता-
बस्ती. कोरोना की दूसरी लहर और लॉकडाउन में खाद्यान्न सामग्री एवं सब्जियों की बढ़ती कीमतों से आम जनता कराह रही है. जीविका के सिमटते संसाधनों के बीच महगाई की चक्की में पिसना उसकी मजबूरी बन गई है. कोरोना की पहली लहर से आम जनता उबर भी नहीं पाई थी कि दूसरी लहर उस पर गाज बनकर गिर गई. महीनों से घरों में कैद लोगों के जहां एक ओर रोजगार छिन चुके है वहीं खाद्य सामग्रियो के बढ़ते दामों के कारण लोगों का जीना मुहाल हो गया है. लोगों का घरेलू बजट बालू की भीत की तरह भरभरा कर गिर चुका है.
रोजगार और बंद कमाई रास्ते के बीच आम आदमी महंगाई की चक्की में पिस रहा है. ऐसे में लोगो के लिए अब घरेलू सामान जुटाना मुश्किल होता जा रहा है. ऐसे हालात में जिन परिवारों को रोज कमा कर परिवार चलाना पड़ रहा था. उनको कोई रास्ता नही सूझ रहा है. महंगाई की मार ने जो तेवर दिखाये है उससे उबरना आम जनता के लिए मुश्किल होता जा रहा है. घरेलू सामानों की व्यवस्था करने में उसे रोना आ रहा है. महंगाई की मार से त्रस्त लोगों का कहना है कि यदि यही हाल रहा तो घर में दो जून की रोटी तक के लाले पड़ जाएंगे. गरीबों को सरकार चावल, गेहूं तो उपलब्ध करा रही है लेकिन अन्य सामानों की खरीदारी वह कहां से करे यह सवाल किया जा रहा है.