कोरोना खौफ के बीच हो रही हैं शादियां, डरे सहमें हैं घरों के लोग

-भारतीय बस्ती संवाददाता-
बस्ती. सामान्य स्थिति में जब किसी के घर शादियां पड़ती थी तो कई महीनों पहले से उसके लिए लम्बी तैयारियां चल रही होती थी. फिर भी उस समय कुछ न कुछ कमियां रह जाती थी जिससे परिवार वालों को यह घटक रह जाता था कि हमने यह पूरा नही कर पाया जो हमेशा सुई की तरह चुभता रहता था. जिनके घर पर शादियां रहती थी उनके दूर कमाने गये सदस्यों के साथ ही नात रिश्तेदार भी सप्ताह भर पहले से आ जाते थे जिससे घरों में चहल पहल रहता था.
कई दिनों से अनेकों रस्मे निभाई जाती थी. जब बारात निकलना होता था तो बैंड बाजों, डीजे आदि के आवाजो से पूरा गांव झूम उठता था और दूर के लोग यह कहते थे कि आज लगता है उस गांव में किसी का शादी है. बारात में नाच, आरकेस्ट्रा ले जाते थे जिससे बारातियों का मनोरंजन हो सके.
लेकिन इस समय कोरोना के खौफ के कारण सभी खुशियों पर कोरोना का ग्रहण लग गया जिससे पिछले साल से हो रही शादियों से किसी के चेहरे पर उत्साह नहीं दिखाई पड़ रहा है जिसका मुख्य कारण यह है कि कोरोना के भय में हो रही शादियों लोग अपने दच्छा के अनुसार शादियों को धूंम धाम से नही कर पा रहे है. कोरोना ने ऐसा समय ला दिया है कि रिश्तेदार तो दूर घर के सदस्य ही नही शामिल हो पा रहे हैं. जब सामान्य स्थिति थी तो सभी घर से शादियां न करने के बजाय मैरेज हालों से करना उचित समझते थे लेकिन अब तो सभी कम लोगो के बीच घरों पर ही शादियां निपटा लेना उचित समझ रहें हैं. कुछ लोग तो इस साल तय हुए शादियों को स्थिति सामान्य होने तक टाल दे रहे हैं.
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जिससे स्थिति यह आ गयी है कि कुछ लोगो के हाथों से रोजगार छिन जा रहा है जो लोग मैरेज हालो से शादियां करने में अपनी शान समझते थे आज स्थिति यह आ गयाी है कि उनको घरों से शादियां चोरी छुपे करनी पड़ रही है जिससे मैरेज हालों, कैटर्स, डेकोरेशन, स्टेज शो, हलवाई आदि के रोजगार पर भी कोरोना का ग्रहण लग गया है जिससे ये सभी बेरोजगार हो गये हैं. इन लोगों को हर समय रोजगार न मिलकर लगन के समय में ही रोजगार मिल पाता है लेकिन कोराना के कारण लोग इन सब से दूर हो रहे है जिससे इन सब पर संकट बना हुआ है.