सुरक्षित गर्भ समापन के लिये साझा प्रयास पर जोरः कार्यशाला में विमर्श

गरीबी, अज्ञानता के कारण दम तोड़ देती है  प्रसूतायें

सुरक्षित गर्भ समापन के लिये साझा प्रयास पर जोरः कार्यशाला में विमर्श
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बस्ती . सुरक्षित गर्भ समापन एक बड़ी चुनौती है, इस दिशा में स्वैछिक संगठनों, मीडिया तथा जागरूक लोगों, को अपनी भूमिका निभानी होगी. यह विचार ग्रामीण विकास विकास सेवा समिति के सचिव राम ललित यादव ने व्यक्त किया. वे बुधवार को प्रेस क्लब सभागार में साझा प्रयास नेटवर्क के कार्यशाला को सम्बोधित कर रहे थे. कहा कि गरीबी और अज्ञानता के कारण आज भी कई प्रसूतायें दम तोड़ देती हैं, यदि उन्हें समुचित चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराया जाय तो दो उनकी जिन्दगी बचाया जा सकता है.

ग्रामीण विकास सेवा समिति और साझा प्रयास नेटवर्क के सहयोग आयोजित कार्यशाला में सुरक्षित गर्भ समापन के विभिन्न विन्दुओं पर व्यापक विचार विमर्श कर निर्णय लिया गया कि स्वैछिक संगठनों, से भी सहयोग प्राप्त किया जाय.  

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सामाजिक कार्यकर्ता जय प्रकाष यादव ने कहा कि स्वैछिक संगठनों, को भी सुरक्षित गर्भपात की जानकारी दिया जाय. जिससे मातृ मृत्यु दर में कमी लाया जा सके. कार्यशाला में आई.पास.डेप्लमेन्ट फाण्डेषन के संजय कुमार तथा सिताषु श्रीवास्तव ने “प्रजनन स्वास्थ्य व सुरक्षित गर्भसमापन” विषय पर अपने विचार रखे. कार्यक्रम का आरम्भ रिसर्च एंड ट्रेनिंग प्रोग्राम ऑफिसर रमा यादव द्वारा किया गया. बताया कि यह नेटवर्क बिहार व उत्तर प्रदेश में 20 स्वयंसेवी संस्थाओं का नेटवर्क है जो कि महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य विशेषकर सुरक्षित गर्भसमापन सेवाओं को सुद्रढ़ करने व समुदाय में जागरुकता बढ़ाने का कार्य करता है. कहा कि  बस्ती में साझा प्रयास नेटवर्क विभिन्न हितधारकों जैसे स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों, पंचायत प्रतिनिधि, लोकल एन.जी.ओ.  सेवा प्रदाताओं आदि के साथ कार्य कर रहा हैं जिससे समुदाय के लोगों में सुरक्षित गर्भसमापन व परिवार नियोजन विषय पर जागरूकता बढ सके .

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आईपास के संजय कुमार ने बताया कि  ‘‘भारत में अनुमानित प्रतिवर्ष 1.56 करोड़ गर्भ समापन होते है, जिनमें लगभग 50 प्रतिशत गर्भ धारण अनचाहे होते हैं. भारत में मातृ मृत्यु दर में असुरक्षित गर्भसमापन का योगदान 8 प्रतिशत है. उत्तर प्रदेश में प्रति वर्ष होने वाले कुल 31 लाख गर्भपात में से सिर्फ 11 प्रतिशत ही स्वास्थ्य संस्थाओं  में होते हैं, उन्होने एम.टी.पी. एक्ट के बारे में विस्तार से बताया कि हमारे देश में गर्भपात हेतु मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट, 1971 चिकित्सीय गर्भसमापनअधिनियम लागू है लेकिन गर्भ समापन सम्बन्धी कानूनी जानकारी का लोगों में अभाव है. चूँकि स्वैच्छिक संस्था के प्रतिनिधियों की भी स्थानीय स्तर पर सेवादाताओं की निगरानी की भूमिका महत्वपूर्ण होती है. इन मुद्दों पर संस्था प्रतिनिधियों के संवेदीकरण से समुदाय में बेहतर जागरूकता लाने में मदद मिलेगी तथा असुरक्षित गर्भ समापन के कारण हो रही महिला मृत्युदर में कमी लायी जा सकेगी.

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कार्यशाला में राम नयन यादव, अतुल शुक्ला, अंषुल आन्नद, प्रषान्त कुमार श्रीवास्तव, सुषमा, ओमकार नाथ उपाध्याय, श्याम नारायन चौधरी, राधेष्याम चौधरी, गंगाराम वर्मा, आलोक सहाय, आदि शामिल रहे.

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