कोरोना ने दिखाया इलेक्ट्रानिक शवदाह गृहों के जरूरत का रास्ता
![कोरोना ने दिखाया इलेक्ट्रानिक शवदाह गृहों के जरूरत का रास्ता](https://bhartiyabasti.com/media-webp/2021-05/vidyut-shavdaah-grih.jpg)
-भारतीय बस्ती संवाददाता-
बस्ती. कोरोना के बढ़ते मामलों ने देश में मौत की दर को खासा प्रभावित किया है. मौत के बढ़ते आंकड़ों की वजह से शवों को जलाने के पारंपरिक रिवाजों को बदलने के लिए मजबूरी देखी गयी. जिसकी वजह से गरीबों ने अपने परिजनों के शवों को नदियों में प्रवाहित करना शुरू कर दिया. अभी हाल में ही इसका विभत्स रूप तब देखने को मिला जब बिहार के बक्सर और गंगा नदी में सैकड़ों शवों को तैरते हुए देखा गया. कानुपर, उन्नाव सरीखे तमाम शहरों में नदी के रेत में शवों को दफना दिया गया था. तेज हवा, बारिश और आवारा जानवरों की वजह से दफन हुई लाशें दुनिया के सामने आम हुईं तो सबकी आंखें फटी रह गयी.
जागरूक लोगों की मानें तो सरकार द्वारा अयोध्या, काशी जैसे तमाम जगहों पर इलेक्ट्रानिक शवदाह गृह संचालित किये जाते है. यदि ऐसे ही इलेक्ट्रानिक शवदाह गृहों को पूरे देश के हर शहरों में स्थापित कर दिया जाए तो लकड़ियों पर आत्मनिर्भरता कम हो जाएगी. वहीं प्रदूषण का खतरा भी कम होगा. समय की बचत, कम खर्च में अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी हो सकेगी. सरकारों द्वारा शमशान घटों के निर्माण पर जोर दिया जा रहा है. यदि इलेक्ट्रानिक शवदाह गृहों पर सरकारें घ्यान दें तो बजट का सही उपयोग हो सकता है.