Basti News: क्या हुआ तेरा वादा? जाम से आखिर बस्ती को कब मिलेगी राहत

आलाधिकारियों की बातों को हवा में उड़ाते हुए बिजली विभाग अब तक चौराहे पर लगे पोल नहीं हटा सका है. जिससे उसकी आड़ में लगने वाले ठेले, दुकानों और आटो वालों की वजह से अस्पताल चौराहे पर रोजाना हजारों लोगों को जाम में फंसे रहना मजबूरी बन गई है. जाम में फंसने की वजह से तमाम मरीजों को अस्पताल की सुविधाओं से वंचित होना पड़ता है.
शहर को चाक-चौबंद बनाने के लिए गठित बस्ती विकास प्राधिकरण भी जाम से निजात दिलाने की दिशा में अब तक कोई ठोस प्रयास नहीं कर सका. पाण्डेय बाजार रेलवे क्रासिंग, सुगर मिल क्रासिंग, अस्पताल चौराहा, रोडवेज, गांधीनगर से लेकर कम्पनी बाग तक लाखों शहरियों को रेंगते हुए चलना पड़ता है.
जाम से बचने के लिए फुलप्रूफ व्यवस्था करने में प्रशासन से लेकर जनप्रतिनिधि तक फेल साबित हो चुके है. जनता की माने तो जाम से कुछ हद तक बचा जा सकता है. बशर्ते सड़कों के किनारे बनी दुकानों के आगे रेलिंग लगा दिया जाए. पटरियों और दुकानों के बाहर लगने वाली रेलिंग से सड़कें काफी हद तक चौड़ी हो जाएंगी.

सड़कों के किनारे लगे बिजली के पोल और होर्डिंगों को हटाया जाये तो कुछ हद तक राहत मिल सकती है. नगर पालिका द्वारा गांधीनगर क्षेत्र में राजकीय इंटर कालेज के सामने बनाये गये पार्किंग जोन में कपड़े की दुकान लगाने वालों ने अपने कब्जे में ले रखा है. जिसे हटा पाने में प्रशासन असफल साबित हो रहा है. पटरियों पर दुकानदारों से लेकर ठेले वालों ने कब्जा जमा रखा है. कब्जेदार दुकानदार इतने ताकतवर हो चुके है की इन्हें हटाने की जहमत कोई नहीं कर पा रहा है. ऐसे में जाम में फंसे रहने वाली लाखों की जनसंख्या जिम्मेदारों को रोज कोसती रहती है. गर्मी का मौसम आ रहा है. जाम की यही हालत रही तो सड़कों गर्मी के चक्कर में फंसने वालों के साथ अनहोनी से इंकार नहीं किया जा सकता है.
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अनूप मिश्रा, भारतीय बस्ती के पत्रकार है. बस्ती निवासी अनूप पत्रकारिता में परास्नातक हैं और अपनी शुरुआती शिक्षा दीक्षा गवर्नमेंट इंटर कॉलेज से पूरी की है.